आंध्र प्रदेश में जगन की बहन शर्मिला आएंगी कांग्रेस के साथ! भाई VS बहन की फाइट में कौन भारी

तेलंगाना में कांग्रेस के पास रेवंत रेड्डी हैं. लेकिन, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के पास ऐसा कोई जुनूनी चेहरा नहीं जो जगन मोहन रेड्डी का मुकाबला कर सके. वाईएस शर्मिला रेड्डी में कांग्रेस को वो चेहरा देख रहा है जिससे जगन मोहन रेड्डी का मुकाबला किया जा सकता है.

YS Sharmila Reddy

YS Sharmila Reddy

रूपक प्रियदर्शी

03 Jan 2024 (अपडेटेड: 04 Jan 2024, 07:27 AM)

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News Tak : तेलंगाना में कांग्रेस के पास रेवंत रेड्डी हैं. लेकिन, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के पास ऐसा कोई जुनूनी चेहरा नहीं जो जगन मोहन रेड्डी का मुकाबला कर सके. वाईएस शर्मिला रेड्डी में कांग्रेस को वो चेहरा देख रहा है जिससे जगन मोहन रेड्डी का मुकाबला किया जा सकता है. शर्मिला रेड्डी वाई एस राजशेखर रेड्डी की बेटी और जगन मोहन रेड्डी की सगी छोटी बहन हैं. परिवार की राजनीतिक विरासत को लेकर जगन औऱ शर्मिला के रास्ते अलग हुए. यही अलगाव अब कांग्रेस के काम आने वाला है. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के रिवाइवल प्लान का हिस्सा हैं शर्मिला रेड्डी.

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कांग्रेस में शामिल होंगी जगन की बहन शर्मिला रेड्डी

शर्मिला रेड्डी का कांग्रेस ज्वाइन करना तय हुआ है. वह अपनी पार्टी YSR तेलंगाना पार्टी का विलय कांग्रेस में करेंगी. शर्मिला को आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस महासचिव या राज्यसभा भेजने जैसे विकल्पों पर बात हो रही है. उन्होंने अपने समर्थकों को ऐसी ही डील के बारे में बताया है. हालांकि, तेलंगाना चुनाव से पहले भी शर्मिला रेड्डी की सोनिया गांधी, राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी लेकिन कुछ हुआ नहीं. हालांकि, शर्मिला तेलंगाना चुनाव से दूर रहीं ताकि कांग्रेस की मदद हो.

शर्मिला रेड्डी को लेकर दूसरी चर्चा ये भी है कि जगन मोहन रेड्डी बहन को साथ लेना चाहते हैं. शर्मिला से भी वाईएस राजशेखर रेड्डी वाला सेंटीमेंट जुड़ा है. जगन नहीं चाहते हैं कि पिताजी की विरासत का बंटवारा हो लेकिन शर्मिला कांग्रेस में जाने के फायदे देख रही हैं.

जगन के साथ ही एक साथ छोड़ी थी कांग्रेस

कांग्रेस से अलग होकर जगन मोहन ने वाईएसआर कांग्रेस यानी YSRCP बनाई थी. शर्मिला रेड्डी भी मां विजयम्मा के साथ कांग्रेस से निकल गईं. 2017 में जगन की सबसे बड़ी पदयात्रा में शर्मिला ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी लेकिन शर्मिला की महत्वाकांक्षा सिर्फ भाई को सीएम बनते देखना नहीं थी.

जगन के रहते उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो सकती थी. भाई-बहन में मतभेद हुए और 2021 में भाई से अलग होकर शर्मिला ने मां विजयम्मा के साथ वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बनाई. कोशिश की कि तेलंगाना में अपनी राजनीति जमाई जाए. पिता राजशेखर रेड्डी की कांग्रेस वाली विरासत तो जगन को ट्रांसफर हो गई लेकिन बेटी शर्मिला के हिस्से आई सिर्फ मां. राजनीति में जमने का स्ट्रगल ही उनको कांग्रेस तक ला रहा है.

अलग-अलग वजहों से चर्चा में बनी रही हैं शर्मिला रेड्डी

आंध्र प्रदेश में शर्मिला रेड्डी का कांग्रेस में जाना बड़ा राजनीतिक उलट-फेर माना जा रहा है. अटकलें लग रही हैं कि अगर शर्मिला कांग्रेस में गईं तो जगन की पार्टी वाईएसआरसीपी के कुछ विधायक भी कांग्रेस में जा सकते हैं. कुछ ऐसे हैं जिनका टिकट खतरे में हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो शर्मिला के साथ जाकर वाईएसआर के प्रति वफादारी दिखाना चाहते हैं.

शर्मिला रेड्डी की चर्चा तब हुई थी जब 2022 में हैदराबाद में केसीआर के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए वह कार से पहुंची थी. पुलिस ने केसीआर के घर से एक किलोमीटर दूर कार में बैठी शर्मिला रेड्डी को क्रेन से उठवा लिया था. शर्मिला का दूसरा कांड था जब उन्होंने ड्यूटी कर रहे पुलिसवाले को थप्पड़ मार दिया था.

पॉलिटिक्स में काफी एक्टिव रही हैं शर्मिला

लोकसभा और विधानसभा चुनावों से ठीक पहले शर्मिला रेड्डी 17 फरवरी को अपने बेटे वाई एस राजा रेड्डी की शादी कर रही हैं. उनके पति अनिल राजनीति से दूर रहते हैं. लेकिन, पत्नी को भरपूर सपोर्ट करते है. रेड्डी परिवार में वो जगन की छोटी बहन हैं. राजनीतिक परिवार की बेटी और राजनीति में एक्टिव होने के बाद भी उन्होंने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा.

जगन मोहन से बहुत पहले शर्मिला ने 2012 में 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा की थी. जगन मोहन जब 175 दिन जेल में रहे तब उन्होंने ही पार्टी और परिवार को संभाला. 2019 में उन्होंने चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ बाय बाय बाबू के नारे के साथ 11 दिन में 39 रैलियां करते हुए 1500 किलोमीटर की बस यात्रा की थी. इसका जोरदार फायदा जगन मोहन को हुआ था. आंध्र विभाजन के बाद जगन मोहन ने आंध्र प्रदेश पर फोकस किया लेकिन शर्मिला तेलंगाना तक विस्तार चाहती थीं. जगन नहीं माने तो उन्होंने वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बनाकर तेलंगाना में जमने की कोशिश की.

शर्मिला के जरिए तेलंगाना जैसा कमाल आंध्र में भी दोहराना चाहती है कांग्रेस

वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी नेताओं में थे. 2004 से 2009 तक आंध्र के सीएम भी रहे. 2009 में प्लेन क्रैश में रेड्डी की दुखद मृत्यु हो गई. इसी के बाद रेड्डी परिवार और कांग्रेस दोनों के बीच के संबंध उलट-पलट गए. कांग्रेस ने वाईएसआर की जगह जगन मोहन रेड्डी को सीएम नहीं बनाया. उल्टे यूपीए शासन में जगन को करप्शन के आरोप में जेल जाना पड़ा. जेल से निकलकर जगन मोहन ने राजनीति में जोरदार वापसी की. अपनी पार्टी बनाकर कांग्रेस-बीजेपी से दूरी बनाकर आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीते.

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस, टीडीपी, बीजेपी सब निपटे हुए हैं. तेलंगाना जीतने के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि जो तेलंगाना में हुआ वो आंध्र प्रदेश में भी हो सकता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी आंध्र प्रदेश में सफल रही थी. लेकिन, अभी भी जोरदार नेता की तलाश है जो रेवंत रेड्डी जैसा कमाल कर सके.

कुछ दिन पहले देश के मशहूर इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर चंद्रबाबू नायडू से मिलने गए थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव में पीके, चंद्रबाबू नायडू के लिए काम कर सकते हैं. चर्चा इसकी भी है कि पीके के जरिए चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस में भी अलायंस हो सकता है. जगन मोहन से लड़ाई कांग्रेस और नायडू दोनों की है. दोनों आपस में लड़ेंगे तो फायदा जगन मोहन को होगा.

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