केरल में CPM के खिलाफ बागी हो गई CPI, सीएम विजयन पर क्यों लग रहा है BJP से डील का आरोप! जानें क्या है पूरा मामला

तीन साल तक केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति का विरोध करने के बाद केरल के सीएम पिनराई विजयन ने अचानक पीएम श्री योजना पर साइन कर दिए. इस फैसले से लेफ्ट गठबंधन में बवाल मच गया है. सीपीआई के मंत्री कैबिनेट से नदारद हैं और सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

CM Vijayan shakes up his government by striking a deal with the BJP
बीजेपी से डील कर सीएम विजयन ने हिला दी अपनी सरकार

रूपक प्रियदर्शी

29 Oct 2025 (अपडेटेड: 29 Oct 2025, 11:15 AM)

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तमिलनाडु में सीएम स्टालिन और केरल में पी विजयन अड़े हुए थे कि मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति ठीक नहीं है. शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगता रहा है. ये जंग 2022 से चल रही है. उसी साल पीएम श्री योजना शुरू हुई जिसमें शिक्षा के लिए केंद्र सरकार राज्यों को मोटा फंड देने वाली थी. बस शर्त ये थी कि नई शिक्षा नीति लागू करनी होगी. तमिलनाडु और केरल के मना करने के कारण केंद्र सरकार पीएम श्री का फंड नहीं दे रही है. पीएम श्री योजना का पूरा नाम है Pradhan Mantri Schools for Rising India.

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तीन साल तक अड़े रहने के बाद सीएम विजयन सरकार ने अचानक पलटी मार ली तो भयंकर हंगामा शुरू हो गया. विजयन ने केंद्र सरकार की हर बात मान ली. एक हाथ से विजय केरल में नई शिक्षा नीति लागू कराएंगे. दूसरे हाथ से मोदी सरकार पीएम श्री का फंड केरल का ट्रांसफर करेगी. पीएम श्री के लिए हामी भरने के लिए विजयन ने कैबिनेट से सलाह नहीं ली थी. अब सरकार के बीजेपी के आगे सरेंडर करने से लेफ्ट गठबंधन एलडीएफ में भारी बवाल मचा है.

सीपीआई के मंत्रियों की कैबिनेट से दूरी

विजयन सीपीएम कोटे से लेफ्ट अलायंस की सरकार चला रहे हैं. सीपीआई दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके चार विधायक सरकार में मंत्री हैं. विरोध जताने कई सीपीआई मंत्री कैबिनेट की बैठक से नदारद रहे तो हंगामा और मच गया. अलप्पुझा आकर सीएम पिनराई विजयन ने सीपीआई के केरल चीफ बिनॉय विश्वम से मीटिंग की लेकिन सुलह नहीं हो पाई. विजयन ने सब कमेटी बनाकर पीएम श्री योजना को रिव्यू करने की बात कही. बिनॉय विश्वम अड़े हैं कि पीएम श्री को लेकर एग्रीमेंट रद्द होना चाहिए. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम विजयन ने साफ कर दिया कि पीएम श्री से बैकआउट नहीं कर सकते. ये अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है. विजयन ये कहते रहे कि पीएम श्री के लिए साइन करने से नई शिक्षा नीति लागू नहीं होगी लेकिन सीपीआई को ये लॉजिक समझ नहीं आ रहा.

सीपीआई और सीपीएम में बढ़ा तनाव

घोषित तौर पर मामला सुलझाने तक सीपीआई के मंत्री विजयन कैबिनेट की बैठक में नहीं आएंगे. लेफ्ट के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा, विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सीपीएम और सीपीआई लेफ्ट की दो बड़ी पार्टियां हैं लेकिन केरल से दिल्ली तक कभी कोई इतना मतभेद नहीं हुआ.

बात यहां तक आ पहुंची हैं कि बातें हो रही है कि कहीं सीपीआई सीपीएम सरकार से समर्थन वापस तो नहीं ले लेगी? केरल की लड़ाई दिल्ली तक पहुंच गई है. सीपीएम महासचिव एम ए बेबी की सीपीआई सचिव डी राजा से बातचीत हो रही है कि आगे क्या करना है. 4 नवंबर को सीपीआई ने स्टेट काउंसिल की मीटिंग बुलाई है. सीपीएम ने भी स्टेट कमेटी की मीटिंग रखी है. दिल्ली में डी राजा ने कहा कि केरल यूनिट का स्टैंड सही है.

पीएम मोदी और सीएम विजयन की ट्यूनिंग 

पीएम मोदी और सीएम विजयन की पर्सनल ट्यूनिंग बहुत अच्छी मानी जाती है. फिर भी विजयन कई साल से अड़े हुए थे कि वो मोदी सरकार की पीएम श्री योजना केरल में लागू नहीं होने देंगे. विवाद की जड़ में है मोदी सरकार की बनाई नई शिक्षा नीति. अगले साल विधानसभा चुनाव पहले केरल में लेफ्ट सरकार के सीएम पी विजयन ने न केवल पलटी मारी बल्कि मोदी सरकार के ब्लैकमेल के आगे घुटने टेक दिए.

केरल में लेफ्ट-कांग्रेस की सियासी जंग

नेशनल पॉलिटिक्स में कांग्रेस और लेफ्ट बीजेपी के खिलाफ एक साथ इंडिया अलायंस में हैं लेकिन केरल में कांग्रेस और लेफ्ट की ही लड़ाई होती है. बहुत कोशिशों के बाद भी बीजेपी जम नहीं पाई. पिछले चार चुनावों से विधानसभा चुनाव लेफ्ट अलायंस जीत रहा है. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अलायंस की बड़ी जीत हो रही है. अगले साल चुनाव होने हैं. अगर सीपीएम और सीपीआई में लड़ाई हुई तो लेफ्ट का बंटाधार हो सकता है.

सीटों का गणित और सरकार पर संकट की संभावना

2021 में 140 सदस्यों के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने सबसे ज्यादा 62 सीटें जीती थी. सीपीआई को 17 विधायक जीते थे. बाकी अलायंस पार्टियों के पास 12 विधायक हैं. कुल मिलाकर 99 सीटों के साथ अलायंस की सरकार चल रही है. कांग्रेस ने 22 और मुस्लिम लीग ने 15 सीटें जीती थी. अन्य के पास 4 सीटें गईं. बीजेपी के अलायंस एनडीए का कोई विधायक नहीं है. अगर सीपीआई के 17 विधायक विजयन की सरकार से समर्थन वापस लेते हैं तो विजयन की सरकार तो नहीं गिरेगी लेकिन दोनों ही दरार ही सबसे बड़ा झटका होगा. इसका सीधा फायदा कांग्रेस और अलायंस को मिलेगा.

सीएम विजयन के बेटे पर ईडी नोटिस का विवाद

केरल में एक और कहानी चल ही है जिसमें सीएम विजयन पर आरोप लग रहे हैं. अपने बेटे के कारण विजयन बीजेपी से डील कर ली. दावा किया जा रहा है कि सीएम के बेटे पी विजयन के बेटे विवेक किरण को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में समन भेजा है. सीएम के ऑफिशियल रेसीडेंस क्लिफ हाउस के पते पर नोटिस भेजा गया. नोटिस भेजा गया या नहीं, इसकी लेकर सरकार ने, सीपीएम ने पुष्टि नहीं की लेकिन कांग्रेस ने विजयन पर सफाई की मांग कर दी.

लाइफ मिशन प्रोजेक्ट में घोटाले के आरोप

के सी वेणुगोपाल ने दावा किया कि 2023 में लाइफ मिशन परियोजना से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी ने विजयन के बेटे को 'गुप्त रूप से' नोटिस जारी किया था लेकिन किसी तरह की पूछताछ नहीं की. फिर सीएम और सरकार का समझौता हुआ. सतीशन में त्रिशूर में बीजेपी को जिताने से इसे जोड़ा. ईडी से कथित उसी समन के बाद फिर आने के बाद पीएम श्री पर सरकार ने एकदम यूटर्न ले लिया तो बहुत सारे सवाल उठे.

लाइफ मिशन प्रोजेक्ट के तहत 2018 के बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए त्रिशूर के वडक्कनचेरी में अपार्टमेंट बनना था. आरोप है कि यूनिटेक बिल्डर्स ने बिचौलियों को 4.5 करोड़ रुपये का कमीशन दिया. सीएम के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर को ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार हो चुके हैं.

दक्षिण भारत में बीजेपी की सीमाएं 

दक्षिण भारत में बीजेपी किसी राज्य में न तो सत्ता में है, न मुख्य विपक्षी दल. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू से अलायंस के कारण सत्ता की साइड में है. दक्षिण में दबदबा या तो कांग्रेस का है या उसके अलायंस पार्टियों को. केरल अकेले ऐसा राज्य है जहां लेफ्ट की सरकार चल रही है. यही वजह मानी जाती है कि ज्यादातर दक्षिण के राज्यो की मोदी सरकार से पटरी नहीं खाती. तमिलनाडु और केरल तो इतने बागी स्टेट्स हैं जो एक बार ठान लेते हैं तो फिर मोदी सरकार के ब्लैकमेल के आगे भी नहीं झुकते. तमिलनाडु ने तो टफ स्टैंड लिया हुआ है लेकिन सीएम विजयन झुक गए. अब पीएम श्री फंड के बहाने नई शिक्षा नीति लागू हो सकती है.

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