जानिए आखिर कौन हैं वो इकलौता मुस्लिम चेहरा जिसने बीजेपी के 195 उम्मीदवारों की लिस्ट में बनाई जगह

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की जिसमें एक नाम अब्दुल सलाम का भी था

NewsTak

रूपक प्रियदर्शी

• 05:15 PM • 05 Mar 2024

follow google news

BJP's only Muslim candidate Abdul Salam: बीजेपी आमतौर पर हिंदुओं वाली पार्टी मानी जाती है. वैसे बीजेपी ने भी इस पहचान से कभी परहेज नहीं किया है. इसीलिए जब पार्टी या सरकार में कोई मुस्लिम चेहरा प्रमोशन पाता है तब उसकी हेडलाइन बनती है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की जिसमें एक नाम अब्दुल सलाम का भी था. जो अब सुर्खियां बटोर रहे है. वैसे हो सकता है कि, आगे आने वाली लिस्ट में किसी और मुस्लिम उम्मीदवार को बीजेपी का टिकट मिल जाए या ये भी हो सकता है कि, उम्मीदवारों की लिस्ट में अब्दुल सलाम ही अकेले मुस्लिम उम्मीदवार रह जाएं. 

Read more!

कौन हैं अब्दुल सलाम जिन्हें मिला बीजेपी से टिकट 

केरल की 20 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए है. अब्दुल सलाम को बीजेपी ने केरल की मल्लपुरम लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. 68 साल के अब्दुल सलाम केरल के त्रिशूर के रहने वाले हैं. बायोलॉजी उनका सब्जेक्ट रहा है जिसमें उन्होंने 153 रिसर्च पेपर और 13 किताबें भी लिखी है. सलाम साल 2011 से लेकर 2015 तक कालीकट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं. 

वैसे अब्दुल सलाम का वाइस चांसलर के तौर पर कार्यकाल विवादों में रहा. उन पर यूनिवर्सिटी की जमीन बेचने और बिना प्लस टू यानी बारहवीं किए छात्रों को डिग्री कोर्स में एडमिशन देने के आरोप लगे. टीचर्स और स्टूडेंस यूनियन से भी उनकी नहीं बनी क्योंकि वो स्टूडेंट पॉलिटिक्स के न सिर्फ खिलाफ रहे बल्कि उसपर बैन लगाना चाहते थे. पीएम मोदी से प्रभावित होकर अब्दुल सलाम एकेडेमिक करियर से पॉलिटिक्स में आए और 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. 2021 में हुए केरल विधानसभा चुनाव लड़ते समय उन्होंने अपनी संपत्ति छह करोड़ से ऊपर घोषित की थी. हालांकि मेमोम विधानसभा सीट पर उन्हें मुस्लिम लीग के उम्मीदवार से करारी हार मिली थी. 

क्या है मल्लपुरम सीट का गणित  

जिस मल्लपुरम सीट से बीजेपी ने अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाया है वहां मुस्लिमों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है. अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाने के पीछे शायद बीजेपी के लिए यही प्लस प्वाइंट रहा की वो मुस्लिम हैं. वहीं माइनस प्वाइंट ये है कि, 1952 से 2019 तक हुए इस सीट पर चुनाव में से एक चुनाव छोड़कर हर चुनाव मुस्लिम लीग के उम्मीदवार ने ही जीता है. केरल में कांग्रेस-मुस्लिम लीग में अलायंस हैं और सीट शेयरिंग फॉर्मूले में मल्लपुरम सीट मुस्लिम लीग के खाते में रहती है. 

20 साल में मल्लपुरम में चार लोकसभा चुनाव और दो उपचुनाव हुए. एक को छोड़कर बीजेपी ने मुस्लिम बहुल सीट पर बदल-बदलकर हिंदू उम्मीदवार उतारने का प्रयोग किया और यह प्रयोग हर बार फेल रहा. बीजेपी बड़े अंतर से हारी और काभी भी तीसरी पोजिशन से आगे नहीं बढ़ पाई. अब बीजेपी को उम्मीद होगी कि, जो पहले किसी ने नहीं किया वो इस बार अब्दुल सलाम करके दिखाएंगे.

अब्दुल सलाम को लेकर क्या है बीजेपी का प्लान?

बीजेपी जैसी पार्टी में लोकसभा चुनाव का टिकट बड़ा प्रमोशन मिलने जैसा है. अब्दुल सलाम का ग्राफ ऐसे समय बीजेपी में ऊपर उठ रहा है जब कोई मुस्लिम नेता पार्टी की फ्रंटलाइन पर नहीं है. बीजेपी में अघोषित व्यवस्था रही है हर दौर में एक-दो मुस्लिम नेता पार्टी की पहली-दूसरी लाइन में रहे है. अटल-आडवाणी वाले दौरे में आरिफ बेग, सिकंदर बख्त होते थे. फिर शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी रहे. क्या अब्दुल सलाम इनमें से किसी की जगह लेने के लिए तैयार किए जा रहे हैं?

आरिफ बेग बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे. बीजेपी के टिकट पर कई चुनाव लड़े भी, जीते भी. सिकंदर बख्त ऐसे मुस्लिम नेता रहे जिनकी सबसे ज्यादा पूछ रही. शुरू से बीजेपी के साथ रहे. पार्टी महासचिव, उपाध्यक्ष, राज्यसभा में विपक्ष के नेता जैसे बड़े पदों पर रहे. वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी बनाए गए. 2002 में राजनीति से रिटायर होने तक केरल के राज्यपाल रहे. 

फिर शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी बने बीजेपी की पसंद 

आरिफ बेग, सिकंदर बख्त का दौर जाने से पहले बीजेपी में दो नए नौजवान मुस्लिम चेहरों ने एंट्री ले ली थी. शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी दोनों को वाजपेयी ने अपनी सरकारों में मंत्री बनाया. शाहनवाज हुसैन मुस्लिम बहुल सीट किशनगंज और मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर से चुनाव जीते थे. जब लोकसभा चुनाव नहीं जीते तो राज्यसभा भेजकर अहमियत बनाए रखी. 

मोदी लहर में 2014 में लोकसभा चुनाव हारने से शाहनवाज हुसैन से बड़ा झटका लगा. पार्टी ने उन्हें राज्यसभा न भेजकर बिहार की सियासत करने पटना भेज दिया. मुख्तार अब्बास नकवी 2022 में राज्यसभा के साथ-साथ मोदी सरकार से भी ड्रॉप हो गए. आज मोदी सरकार में न तो कोई मुस्लिम मंत्री है, न सांसद. बरसों तक कांग्रेस में रहीं नजमा हेपतुल्ला कुछ वक्त तक बीजेपी में रही लेकिन वो कभी चेहरा नहीं बनी. अगर अब्दुल सलाम बीजेपी के लिए केरल जैसे मुश्किल राज्य से जीत आए तो  दिल्ली की राजनीति में उनके लिए बड़ा मौका बनेगा. लेकिन इसके लिए केरल में बीजेपी और अब्दुल सलाम दोनों की जीत जरूरी है. 


 

    follow google newsfollow whatsapp