हैदराबाद में SC समुदाय के लिए मोदी ने ऐसा क्या वादा किया कि कंधे पर सिर रख रोने लगा ये नेता?

यह पहली बार नहीं है जब देश में कोटे के अंदर कोटे की बात हो रही है. अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) में भी उप-समूहों के बंटवारे को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है. जिसके लिए रोहिणी आयोग का गठन किया गया.

Narendra Modi in Sikandrabad Rally with Manda krishna madiga

Narendra Modi in Sikandrabad Rally with Manda krishna madiga

अभिषेक

13 Nov 2023 (अपडेटेड: 13 Nov 2023, 10:06 AM)

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Telangana Election: तेलंगाना विधानसभा चुनाव से जुड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में चुनावी मंच पर बैठे मोदी के कंधे पर सिर रखकर एक नेता रो रहे हैं. मोदी उनकी पीठ थपथपा उन्हें दिलासा देते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो हैदराबाद की एक जनसभा का है. यहां पीएम ने अनुसूचित जाति आरक्षण को लेकर एक बड़ा वादा किया है. आइए आपको बताते हैं कि मोदी के कंधे पर सिर रख रोने वाले नेता कौन हैं और अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के लिए PM ने आखिर क्या वादा किया है.

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मोदी के कंधे पर सिर रख रोने वाले नेता हैं मंदा कृष्णा मडिगा

तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होने हैं. इसी को लेकर PM मोदी शनिवार को सिकंदराबाद में जनसभा कर रहे थे. इस सभा में मोदी के कंधे पर सिर रखकर रोने वाले नेता का नाम मंदा कृष्णा मडिगा है. ये ‘मडिगा आरक्षण पोराटा समिति (MRPS) के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. इस रैली का आयोजन भी MRPS ने ही कराया था. MRPS लंबे समय से अनुसूचित जातियों को मिले आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे की मांग के लिए आंदोलन कर रही है.

मोदी ने इसी रैली में ‘अनुसूचित जाति के उप-समूहों में वर्गीकरण के लिए समिति गठित करने का वादा किया’. इसी बात पर कृष्णा मडिगा भावुक हो गए और PM मोदी के कंधे पर सर रखकर रोने लगे.

क्या है मडिगा आरक्षण पोराटा समिति

मडिगा आरक्षण पोराटा समिति (एमआरपीएस) एक गैर-लाभकारी संगठन है. इसकी स्थापना अनुसूचित जाति (SC) को मिले आरक्षण कोटे में वर्गीकरण की मांग के लिए की गई है. यह संगठन SC में मडिगा सहित सभी घटक जातियों के लिए आरक्षण को समान रूप से मिलने को सुनिश्चित करने की वकालत करता है. इस संगठन के अध्यक्ष मंदा कृष्णा मडिगा हैं. तेलुगु भाषी राज्यों में अनुसूचित जातियों में मडिगा समुदाय की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. इसके नेताओं का आरोप है कि SC समुदाय की कुछ जातियों ने राजनीतिक वर्चस्व की वजह से SC कोटे पर कब्जा जमाया हुआ है. इस वजह से अधिक आबादी में होने के बावजूद मडिगा लोग हाशिए पर हैं.

यह पहली बार नहीं है जब देश में कोटे के अंदर कोटे की बात हो रही है. अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) में भी उप-समूहों के बंटवारे को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है. केंद्र सरकार ने 2017 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया था. इसे रोहिणी आयोग के नाम से जाना जाता है.

रोहिणी आयोग के बारे में भी जान लीजिए

रोहिणी आयोग का गठन OBC में सब कैटेगरी के परीक्षण के लिए किया गया था. आसान शब्दों में कहें तो इसे OBC कोटा के अंदर कोटा की संभावना तलाशने के लिए बनाया गया. इसके पीछे का तर्क यह है कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण का समान वितरण हो. आयोग का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि ओबीसी वर्ग के अंदर की जातियों को समान रूप से आरक्षण का लाभ मिल रहा है या नहीं? आयोग 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप चुका है.

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