हर ओर राम मंदिर की चर्चा पर बिहार में कर्पूरी ठाकुर पर कार्यक्रम कर रहे नीतीश, कौन हैं ये?

नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अति पिछड़े वर्ग को अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रहे. ऐसा माना जा रहा है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, तो नीतीश EBC वोटर्स को एकजुट करने में जुटे हैं.

Karpuri Thakur, Nitish Kumar

Karpuri Thakur, Nitish Kumar

अभिषेक

19 Jan 2024 (अपडेटेड: 19 Jan 2024, 01:30 PM)

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Bihar 11th CM Karpuri Thakur: बिहार में राजनीतिक हलचल तेज है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या वह 25 जनवरी से पहले कोई नया सियासी फैसला लेने जा रहे हैं? सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल और विपक्ष के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) का साथ छोड़ देंगे? वैसे खुद उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस तरह की चर्चाओं को अफवाह बता रहे हैं. इस बीच बिहार में कर्पूरी ठाकुर पर किए जा रहे एक कार्यक्रम की भी काफी चर्चा है. सीएम नीतीश कुमार जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे है.

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वैसे तो हर साल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस बार कुछ खास आयोजन होने जा रहा है. देश में एक तरफ जहां 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है, तो वहीं बिहार में 22 से 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती का कार्यक्रम होंगे. इस कार्यक्रम के अंतिम दिन सीएम नीतीश कुमार 24 जनवरी को पटना में एक विशाल रैली का आयोजन करने वाले हैं. आइए आपको बताते है आखिर कौन हैं कर्पूरी ठाकुर, बिहार की सियासत में इनका क्या महत्व रहा है और अभी नीतीश के लिए ये क्यों जरूरी हैं.

कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

साल 1924 में बिहार के समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने भारत से अंग्रेजों को भगाने के आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, जिसके चलते वो जेल भी गए. 1952 में बिहार विधानसभा के पहले चुनाव में जीतने के बाद फिर वे कभी कोई चुनाव नहीं हारे. साल 1970 में वे सोशलिस्ट पार्टी से प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री बने और 163 दिनों तक सरकार चलाई. 1977 में एक बार फिर से उन्हें जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. तब वे 1 साल और 301 दिन तक मुख्यमंत्री रहे.कर्पूरी ठाकुर एक समाजवादी नेता थे. वे बिहार में इतने लोकप्रिय थे कि, उन्हें ‘जननायक’ की भी पहचान मिली.

कर्पूरी ठाकुर पर इतना बड़ा कार्यक्रम क्यों कर रहे हैं नीतीश कुमार?

इस बार नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर जन्म शताब्दी समारोह मना रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर ने अपने मुख्यमंत्री के दूसरे कार्यकाल में ऐसे फैसले लिए जिनकी वजह से वे जननायक बन गए. 1978 में मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने तत्कालीन जनता पार्टी सरकार के प्रमुख भागीदार भारतीय जनसंघ के विरोध के बावजूद आरक्षण को लागू किया. उनकी कोटा प्रणाली के तहत 26 फीसदी आरक्षण का मॉडल लागू किया. इसमें अति पिछड़ा वर्ग(EBC) 12 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) को 8 फीसदी, महिलाओं को 3 फीसदी, तो आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों(EWS) के लिए 3 फीसदी का आरक्षण का अधिकार दिया.

हाल ही में बिहार में जातिगत और आर्थिक आधार पर सर्वे हुआ. सर्वे में 36 फीसदी EBC (अति पिछड़ा वर्ग), 27 फीसदी OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग), 19 फीसदी SC (अनुसूचित जाति), 1.6 फीसदी ST (अनुसूचित जनजाति) तो वहीं 15.5 फीसदी अनारक्षित वर्ग के आंकड़े सामने आए. इन आंकड़ों से ये साफ है कि प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या अति पिछड़े वर्ग की है. कर्पूरी ठाकुर इसी EBC और OBC के नेता माने जाते हैं. नीतीश कुमार भी बिहार की सियासत में अति पिछड़े वर्ग और महादलित के अपने प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं.

नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अति पिछड़े वर्ग को अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रहे. ऐसा माना जा रहा है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, तो नीतीश EBC वोटर्स को एकजुट करने में जुटे हैं. इसे बीजेपी की राम मंदिर की सियासत के जवाब में सामाजिक न्याय की पॉलिटिक्स यानी कमंडल के जवाब में मंडल की कोशिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है. जेडीयू के नेता भी अक्सर नीतीश कुमार की तुलना कर्पूरी ठाकुर से करते रहते हैं. खासकर बिहार में नीतीश सरकार ने जब जातिगत आरक्षण को नए सिरे से बढ़ाया तो जेडीयू ने इसे कर्पूरी ठाकुर स्टाइल समावेश और सामाजिक न्याय की राजनीति ही बताया.

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