Operation Sindoor debate: पिछले सप्ताह संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर खूब जमकर चर्चा हुई. पहले से प्रस्तावित तारीख और समय के अनुसार सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी-अपनी बातें रखी. इसी को लेकर वोट वाइब ने एक सर्वे किया जिसमें उसने "ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस" मुद्दे के तहत जनता की राय जानने की कोशिश की.
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इस सर्वे में लोगों में अलग-अलग उम्र के लोगों से कुल 5 सवाल पूछे गए जिनपर उन्होंने अपना उत्तर दिया. हालांकि इस सर्वे के आंकड़े बेहद ही चौंकाने वाले है. आइए विस्तार से जानते है इस सर्वे की पूरी इनसाइड स्टोरी.
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस में किसका पलड़ा भारी?
जब जनता से यह सवाल किया गया कि आपके अनुसार, संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान किस पक्ष का पलड़ा भारी था? इसपर 43.4 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सरकार का पलड़ा भारी है. 33.6 प्रतिशत लोगों के हिसाब से विपक्ष का पलड़ा भारी था तो वहीं 12.4 प्रतिशत लोगों का मानना है कि दोनों में से कोई नहीं. 10.6 प्रतिशत लोगों का जवाब था कि इसमें तुलना नहीं की जा सकती. आंकड़ों को देखकर यह साफ यह कि लोग सरकार का पलड़ा ही भारी मान रहे है.
ऑपरेशन सिंदूर पर सबसे अच्छा भाषण किसका?
इस सवाल पर आए जवाब आंकड़े बड़े ही जबरदस्त है. 34.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे अच्छा भाषण दिया तो 27.2 प्रतिशत लोगों नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण को बेहतर बताया. वहीं 12.4 प्रतिशत लोगों को प्रियंका गांधी, 7.9 प्रतिशत को अमित शाह, 3.9 प्रतिशत को राजनाथ सिंह और एस. जयशंकर का भाषण अच्छा लगा.
क्या ट्रंप ने सीजफायर करवाया?
जब लोगों से पूछा गया कि संसद में हुई बहस के आधार पर, क्या आप इस बात से सहमत हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता की थी? इसमें 39.3 प्रतिशत जनता का मानना था कि यह सही बात है. 44.5 प्रतिशत जनता ने इसे सिरे से नकारा है तो वहीं 16.2 प्रतिशत जनता का मानना है कि इसमें कुछ कह नहीं सकतें.
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस का आकलन
जब लोगों से पूछा गया कि आपके मुताबिक संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई बहस कैसे थी तो ज्यादातर लोगों ने इसे राजनीति बताया. 25.5 फीसदी लोगों का मानना था कि यह बहस संतोषजनक थी, वहीं 47.7 फीसदी जनता के हिसाब से यह औसत और राजनीति थी. 15.2 फीसदी लोगों को यह निराशाजनक लगी और 11.6 फीसदी लोगों के मुताबिक इस पर कुछ कह नहीं सकते है का जवाब था.
बिहार में कराए जा रहे SIR पर बहस कितनी जरूरी?
बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं के लिए चलाए जा रहे SIR(Special Intensive Revision) पर संसद में बहस के मुद्दे पर 49.8 प्रतिशत लोगों का मानना था इस पर संसद में बहस होने चाहिए और 31.3 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में नहीं थे. साथ ही 19 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता.
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