प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में नया मोड़ लाया है. लेकिन इसके साथ ही, भारतीय राजनीति में भी हलचल मची है. सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी इस ऑपरेशन के बहाने विपक्षी दलों में फूट डालने और अपनी सत्ता की पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. खास तौर पर, महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के इर्द-गिर्द सियासी चालें चली जा रही हैं.
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सुप्रिया सुले को मिला बड़ा सम्मान
सुप्रिया सुले को हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंच पर पेश करने के लिए गठित सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व सौंपा गया है. यह एक बड़ा सम्मान माना जा रहा है. खबरें हैं कि सुप्रिया ने इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने से पहले पीएम मोदी से मुलाकात की. इस बीच चर्चा है कि शरद पवार चाहते हैं कि उनकी बेटी को मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री का पद मिले.
एनसीपी के सांसदों पर पीएम की नजर
प्रधानमंत्री मोदी की नजर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शरद पवार धड़े के आठ सांसदों पर है, जिनमें सुप्रिया सुले भी शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार चाहती है कि शरद पवार का धड़ा एनडीए में शामिल हो या कम से कम बाहर से समर्थन दे. इससे एनडीए का बहुमत मजबूत होगा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सौदेबाजी की ताकत कम हो सकती है.
अजित पवार और NCP विलय का पेंच
शरद पवार के भतीजे अजित पवार और उनके धड़े का कहना है कि वे एनसीपी के विलय के खिलाफ हैं, जब तक शरद पवार स्पष्ट रूप से अजित को पार्टी की विरासत सौंपने की घोषणा नहीं करते. अजित पवार की पत्नी भी विलय के खिलाफ हैं, क्योंकि वे बारामती में सुप्रिया सुले के हाथों लोकसभा चुनाव में मिली हार को भुला नहीं पाई हैं.
शरद पवार की रणनीति और सवाल
शरद पवार की रणनीति भी सवालों के घेरे में है. हाल ही में एक पत्रकार के सवाल पर उन्होंने एनसीपी के दोनों धड़ों के विलय के बारे में कहा, "मुझे नहीं मालूम." हालांकि, पुणे में अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने संकेत दिया कि अगर 9 जून को दोनों धड़े एक हो जाते हैं, तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. यह बयान उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी और अजित पवार के लिए एक संदेश माना जा रहा है.
एनसीपी के सांसदों और विधायकों का रुख
सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार के अधिकांश सांसद और विधायक एनडीए में शामिल होने के पक्ष में हैं, क्योंकि विपक्ष में रहने के कारण उनके क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए फंडिंग नहीं मिल रही है. सुप्रिया सुले ने अतीत में शरद पवार और मोदी के बीच गठजोड़ को रोकने में अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार वे एनडीए का हिस्सा बनेंगी?
ऑपरेशन सिंदूर: सैन्य कार्रवाई या सियासी दांव?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पीएम मोदी की आक्रामक बयानबाजी, जैसे "पाकिस्तान को गोली और गोला" की बात, को कुछ लोग जनता का ध्यान सियासी मुद्दों से हटाने की रणनीति मान रहे हैं.
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