इस्तीफे से दो घंटे पहले कर रहे थे केजरीवाल का समर्थन, कहानी AAP छोड़ने वाले राजकुमार आनंद की

आम आदमी पार्टी रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है. रोज सबूत पेश करती है. रोज आरोप लगाती है कि बीजेपी पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रही है. केजरीवाल सरकार में सात विभागों के मंत्री राजकुमार आनंद ने सरकार और AAP से इस्तीफा देकर पार्टी आरोपों को और हवा दे दी है.

Delhi's Social Welfare Minister Raaj Kumar Anand
Delhi's Social Welfare Minister Raaj Kumar Anand

रूपक प्रियदर्शी

• 08:51 PM • 10 Apr 2024

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Raaj Kumar Anand news: आम आदमी पार्टी रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है. रोज सबूत पेश करती है. रोज आरोप लगाती है कि बीजेपी पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रही है. केजरीवाल सरकार में सात विभागों के मंत्री राजकुमार आनंद ने सरकार और AAP से इस्तीफा देकर पार्टी आरोपों को और हवा दे दी है. इसकी पूरी पुष्टि तब होगी अगर राजकुमार आनंद आने वाले दिनों में पटका पहनकर बीजेपी ज्वाइन कर रहे होंगे. हालांकि राजकुमार आनंद ने कहा है कि उनके पास कोई ऑफर नहीं है. 

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ये संयोग हो भी सकता है, नहीं भी कि AAP छोड़ने से कुछ दिन पहले राजकुमार आनंद इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ईडी) के लपेटे में आए थे. पिछले साल नवंबर में जब ईडी ने सीएम केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया था उससे ठीक पहले राजकुमार आनंद के घर पर रेड मारी थी. दिल्ली में सिविल लाइंस वाले सरकारी घर समेत 9 ठिकानों पर रेड पड़ी थी. राजकुमार आनंद पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का भी शक था. 

अरविंद केजरीवाल के कट्टर समर्थक रहे हैं राजकुमार आनंद

राजकुमार आनंद और उनका परिवार अरविंद केजरीवाल का कट्टर वाला समर्थक रहा है. 2020 के चुनाव में राजकुमार आनंद पटेल नगर विधानसभा सीट से AAP के टिकट पर चुनाव ल़ड़कर विधायक बने थे. 61 परसेंट वोट मिले थे आनंद को. उनकी पत्नी वीणा आनंद तो 2013 से AAP की विधायक थी. राजकुमार आनंद केजरीवाल के करीबी नेताओं में गिने जाते थे. यूपी के रहने वाले आनंद दलित नेता माने जाते हैं. राजकुमार आनंद के मंत्री बनने का नंबर तब लगा जब AAP नेता राजेंद्र पाल गौतम बौद्ध सम्मेलन में हिंदू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी के बाद विवादों में घिरे थे. 

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद भी राजकुमार आनंद की नजर में AAP कट्टर ईमानदार पार्टी हुआ करती थी. इस्तीफे से 2 घंटे पहले सीएम केजरीवाल के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए आरोप लगाया था कि तिहाड़ जेल के अधिकारी मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. आनंद इसलिए नाराज थे कि भगवंत मान और संजय सिंह को टोकन देकर भी मिलने से रोक दिया गया था. अब केजरीवाल और AAP के लिए उनके पास आरोप ही आरोप हैं. उनकी नजर में अब AAP में करप्शन ही करप्शन है.  

बीजेपी में आते ही करप्शन चार्ज से नेताओं को राहत!

इतनी कहानी तो राजकुमार आनंद की. आगे की कहानी राजकुमार आनंद जैसे नेताओं की जो अलग-अलग पार्टियों से बीजेपी में आए. हफ्ते भर पहले इंडियन एक्सप्रेस ने खुलासा किया था कि 2014 के बाद से करप्शन केस में ईडी, सीबीआई जैसी सरकारी एजेंसियों की जांच में फंसे 25 जाने-माने नेता बीजेपी में या बीजेपी के साथ हो लिए गए. अजित पवार, हिमंता बिस्वा सरमा, सुवेंदु अधिकारी, अशोक चव्हाण, प्रफुल्ल पटेल, कृपाशंकर सिंह, संजय सेठ ऐसे ही कैटेगरी के नेताओं में हैं. 

सबसे ज्यादा 10 कांग्रेस के, एनसीपी और शिवसेना से 4-4, तृणमूल कांग्रेस के 3, टीडीपी के 2 और SP-YSRCP से 1-1 बीजेपी में आए. अकेले महाराष्ट्र से 12 नेता 2022 या उसके बाद बीजेपी में आए. फिर क्या हुआ. बीजेपी में आने के बाद 20 नेताओं के खिलाफ जांच धीमी हो गई या रुक गई. प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार खुशकिस्मत निकले जिनके केस बंद हो गए हैं. अब ये बात पुरानी हो चुकी है कि 2014 के बाद ईडी ने जितने पॉलिटिकल केस की जांच की उनमें से 95 परसेंट विपक्ष के नेताओं के खिलाफ थे. ऐसे ही नेताओं को रेफरेंस लेकर विपक्ष के नेता कहते हैं कि बीजेपी वॉशिंग मशीन है जिसमें आते ही सारे दाग धुल जाते हैं. अब सवाल यह है कि क्या राजकुमार आनंद भी किसी वॉशिंग मशीन से अपने दाग धोने के लिए AAP से निकले हैं?
 

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