विनायक दामोदर सावरकर पर दिए गए बयानों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार सुर्खियों में रहते हैं. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी सावरकर को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मानती है, वहीं राहुल गांधी उन पर ब्रिटिशों के एजेंट होने और कायरता के आरोप लगाते रहे हैं. अब इस मुद्दे पर एक नया मोड़ आया है.
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PIL बॉम्बे हाईकोर्ट ने की खारिज
हाल ही में, बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई, जिसमें मांग की गई थी कि राहुल गांधी को सावरकर के योगदान को नजरअंदाज करने वाले बयान देने से रोका जाए. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने तर्क दिया कि राहुल गांधी के ऐसे बयान उनके मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन हैं. उन्होंने राहुल गांधी के लंदन वाले भाषण का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि सावरकर मुसलमानों को देशद्रोही मानते थे.
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वे राहुल गांधी को सावरकर के योगदान के बारे में 'अज्ञानता दूर करने' का निर्देश नहीं दे सकते. कोर्ट ने यह भी बताया कि सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि का मुकदमा पहले से ही पुणे की एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित है, इसलिए जनहित याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती.
कोर्ट में गजब हुआ!
सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प बहस देखने को मिली. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने कोर्ट से अपनी बात मनवाने के लिए एक अनोखा तर्क दिया. उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र में नेता प्रतिपक्ष (LoP) भविष्य में प्रधानमंत्री बन सकता है, और इसलिए राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
फडनीस ने दलील दी कि एक LoP के नाते राहुल गांधी सावरकर के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां नहीं कर सकते क्योंकि युवा पीढ़ी प्रधानमंत्री की तुलना में विपक्ष के नेता पर अधिक विश्वास करती है, और वे भ्रम पैदा नहीं कर सकते या अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकते.
इस दलील पर बेंच ने हालांकि लिखित में कुछ नहीं कहा, लेकिन सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की कि "हमें नहीं पता कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं. आप यह सब जानते हैं."
इससे पहले भी याचिका हो चुकी खारिज
गौरतलब है कि पंकज फडनीस इससे पहले मई में इसी तरह की याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे, लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.
राहुल पर लंबित हैं कई केस
सावरकर पर राहुल गांधी के बयानों को लेकर पुणे और लखनऊ की अदालतों में भी कई मामले चल रहे हैं. लखनऊ वाले केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी थी कि अगर भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी की गई, तो उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान से कार्रवाई की जाएगी.
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