राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं को लेकर बीजेपी पर हमला तेज कर दिया है. वे सड़क से लेकर संसद तक विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं. इसके साथ ही राहुल जनता के बीच अपनी आवाज बुलंद करने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं. चाहें वो बेंगलुरु में फर्जी वोटिंग का मामला हो या बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा. वे 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले आक्रामक मोड में नजर आ रहे हैं.
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कर्नाटक में करेंगे बड़ा खुलासा
आपको बता दें राहुल गांधी 5 अगस्त को कर्नाटक के बेंगलुरु में होंगे. यहां पर वो 2024 के लोकसभा चुनावों में कथित धांधली का खुलासा करने वाले हैं. राहुल गांधी के मुताबिक, बेंगलुरु की एक लोकसभा सीट जहां 6.5 लाख वोट पड़े थे, इसे लेकर उनका दावा है कि इसमें डेढ लाख फर्जी वोट थे. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस सीट पर 25 हजार वोटों के अंतराल से जीत गई थी. ऐसे में अब वो आंकड़ों और डाटा के हिसाब से चुनाव में गड़बड़ी का पूरा कच्चा चिट्ठा सामने रखने वाले हैं. राहुल गांधी का दावा है कि बीजेपी ने ऐसे ही 15-20 सीटें चोरी करके जीती हैं.
इंडिया गठबंधन की रणनीति पर होगी चर्चा
वहीं, 7 अगस्त को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की एक अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक में उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार पर सहमति, बिहार में वोटबंदी के खिलाफ आंदोलन और संसद से सड़क तक दबाव बनाने की रणनीति पर चर्चा होगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, डीएमके, अखिलेश यादव और फारूक अब्दुल्ला जैसे नेता इस गठबंधन को मजबूत करने में जुटे हैं. राहुल गांधी इसे 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले साकार रूप देने के मूड में हैं.
बिहार में पदयात्रा में होंगे शामिल
इसके बाद 10 अगस्त से राहुल गांधी बिहार के 30 जिलों में मतदाता अधिकार यात्रा शुरू करेंगे. सासाराम से शुरू होने वाली इस पदयात्रा में मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी, तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी नेता शामिल होंगे. ये यात्रा सासाराम से शुरू होगी. बता दें कि यहां इंडिया गठबंधन ने चार लोकसभा सीटें जीती थीं. बताया जा रहा है कि ये यात्रा तीन चरणों में होगी. इनमें सीमांचल और बिहार के अन्य जिले शामिल होंगे.
बीजेपी पर बढ़ता दबाव
माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं. इस बीच अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और पीएम मोदी के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तनातनी की खबरें हैं.आरएसएस ने साफ किया है कि बिना उनकी मंजूरी के कोई फैसला नहीं होगा. वहीं, दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगी भी किसानों के मुद्दे पर दबाव बना रहे हैं.
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