महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी ने 12,000 बूथों पर वोटिंग प्रतिशत को गलत तरीके से बढ़ाया और फर्जी वोटरों को शामिल किया.
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राहुल गांधी के मुताबिक, इन बूथों पर बीजेपी ने रणनीतिक चतुराई दिखाते हुए 85 विधानसभा सीटों में से 68-69 सीटें जीत लीं, जो लोकसभा चुनाव में उनकी कमजोर प्रदर्शन वाली सीटें थीं.
वोटिंग में गड़बड़ी का दावा
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि हर बूथ पर 5 बजे के बाद 600 अतिरिक्त वोट डाले गए, जिसके लिए 10 घंटे की वोटिंग प्रक्रिया की जरूरत थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी ने सिर्फ 12,000 बूथों को ही क्यों चुना, जबकि महाराष्ट्र में 1 लाख से ज्यादा बूथ थे.
दूसरी ओर, बीजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ सीटों पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ने से विपक्षी दल भी जीते, जैसे शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टियां.
वोटर संख्या में असामान्य वृद्धि
इसके अलावा, आंकड़ों पर गौर करें तो महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में 8.98 करोड़ वोटर थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 9.29 करोड़ हो गए. लेकिन महज 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव में यह संख्या 9.70 करोड़ हो गई, यानी 41 लाख वोटरों की बढ़ोतरी. वहीं, झारखंड में 5 साल में 31 लाख वोटर बढ़े, लेकिन 5 महीने में सिर्फ 2.5 लाख. यह असामान्य वृद्धि सवाल उठाती है.
रणनीति या चोरी?
राहुल गांधी का कहना है कि यह रणनीति नहीं, बल्कि "चोरी" थी, जिसमें एक पार्टी के पक्ष में वोट बढ़ाए गए और दूसरी पार्टी के वोटरों के नाम काटे गए. दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि उनकी रणनीति जायज थी और उन्होंने कार्यकर्ताओं के जरिए मतदाताओं को बूथ तक लाने का काम किया. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर में भी बीजेपी की इस रणनीति का जिक्र था, जिसमें भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान ने अपनी रणनीति का खुलासा किया था.
चुनाव आयोग पर सवाल
इस विवाद ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी के आरोपों ने बीजेपी की रणनीति और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बहस छेड़ दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में चुनाव आयोग को सर्वदलीय बैठक बुलाकर संदेह दूर करना चाहिए. क्या यह महाराष्ट्र चुनाव में बड़ा खेल था, या सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी? यह सवाल अब हर किसी के जेहन में है.
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