Ram Mandir Inauguration: विज्ञान का चमत्कार है राम मंदिर, 1000 सालों तक नहीं डिगेगा!

अयोध्या के राम मंदिर का डिज़ाइन 6.5 तीव्रता तक के भूकंप को सहने में सक्षम है. एक अनुमान है कि 1,000 वर्षों तक इस मंदिर को मरम्मत की आवश्यकता नहीं होगी.

Ram Mandir Inauguration
Ram Mandir Inauguration

NewsTak

22 Jan 2024 (अपडेटेड: 22 Jan 2024, 04:40 AM)

follow google news

Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में बना राम मंदिर न सिर्फ एक भव्य पूजा स्थल है बल्कि प्राचीन आस्था और आधुनिक विज्ञान के अद्भुत मेल भी है. इस मंदिर को मॉडर्न इंजीनियरिंग का चमत्कार समझा जा रहा है. शक्तिशाली भूकंप और भयानक बाढ़ भी मंदिर का कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी, इसकी डिज़ाइन ही कुछ ऐसी तैयार की गई है. राम मंदिर ऐसा बनाया गया है कि1000 सालों तक इसे कोई डिगा नहीं पाएगा. आइए एक नजर डालते हैं कि भव्य राम मंदिर के निर्माण में क्या क्या चमत्कार दिखाए गए हैं, जो विज्ञान और प्राचीन ज्ञान का अद्भुत मिश्रण हैं.

Read more!

लोहे, स्टील, सीमेंट नहीं सिर्फ पत्थर का इस्तेमाल क्यों?

इस मंदिर को टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड के प्रबंधन में प्रबंधन में लार्सन एंड टुब्रो बना रहा है. राम मंदिर को बनाने में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इसे भारत की पारंपरिक नागर शैली की वास्तुकला से प्रेरित होकर डिजाइन किया गया है. मंदिर के डिजाइन में 360 खंभे हैं और इसमें लोहा, स्टील या सीमेंट के इस्तेमाल की बजाय पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. भूकंप आने से जुड़े खतरों को कम करने के लिए पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. अन्य सामग्रियों की तुलना में पत्थर का जीवनकाल लंबा और बेहतर टिकाऊ होता है.

राम मंदिर की नींव इतनी मजबूत!

मंदिर के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक इनोवेशन को देखें, तो ये इसकी नींव है. यह मंदिर रोल्ड कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 15 मीटर मोटी परत पर बनाया गया है. इसमें फ्लाई ऐश, डस्ट और केमिकलों से बनी कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 56 परतों का इस्तेमाल किया गया है. इस मजबूत नींव को ग्रेनाइट के 21 फुट मोटे चबूतरे की मदद से और मजबूत बनाया गया है. यह चबूतरा मंदिर को नमी से भी बचाएगा. नींव के स्तंभ नदियों पर बने विशाल और शक्तिशाली पुलों जैसे हैं, , जो भूकंप की स्थिति में मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.

1000 सालों तक मरम्मत की जरूरत नहीं!

अयोध्या के राम मंदिर का डिजाइन 6.5 तीव्रता तक के भूकंप को सहने में सक्षम है. एक अनुमान है कि 1,000 वर्षों तक इस मंदिर को मरम्मत की आवश्यकता नहीं होगी. मंदिर निर्माण की एक्सपर्ट टीम ने अयोध्या से नेपाल तक फैले क्षेत्र में अबतक आए भूकंप की तीव्रता को मापा है और इसी हिसाब से मंदिर की अनूठी नींव तैयार करवाई है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) चेन्नै की सलाह के आधार पर ही इंजीनियरों ने जमीन को 15 मीटर तक खोदा और ऊपरी मिट्टी को हटाया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि माना गया कि इतनी मिट्टी चिकनी है. इसके बाद इसे अलग से वैज्ञानिक रूप से तैयार की गई मिट्टी से फिर भरा गया.

सीआईएसआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के निदेशक ने मंदिर के निर्माण में पत्थर के इस्तेमाल की तारीफ की है. उन्होंने भी माना है कि अन्य सामग्रियों की तुलना में पत्थर का जीवन अधिक है और इसमें लोहे की तरह जंग लगने की आशंका भी नहीं है. इंजीनियरों ने इस इलाके में बाढ़ के अबतक के इतिहास का अध्ययन किया है और यह सुनिश्चित किया है कि ऐसा मंदिर तैयार है, जिसे भविष्य की किसी बाढ़ से भी कोई खतरा नहीं है.

रामनवमी पर रामलला का अभिषेक करेंगी सूरज की किरणें

राम मंदिर में सीबीआरआई का डिज़ाइन किया गया एक अनोखा रिफ्लेक्शन प्रबंधन है. इससे राम नवमी के दौरान दोपहर के समय प्रभु श्रीराम की मूर्तियों के माथे पर सूरज की रोशनी पड़ेंगी. यानी एक तरह से रामलला का अभिषेक सूरज की किरणों से होगा.

    follow google news