RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति(MPC) की बैठक के बाद आज उसके फैसलों के बारे में जानकारी दी. RBI गवर्नर ने GDP ग्रोथ रेट, रेपो रेट और UPI को लेकर बातें कही हैं. उन्होंने बताया कि, छह सदस्यीय समिति ने रेपो रेट को यथावत रखने पर सहमति जताई है. आपको बता दें कि, फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी है जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके साथ ही UPI को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है. जानकारी के मुताबिक UPI की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख तक किए जाने पर सहमति बनी है.
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पहले 1 लाख रुपये की थी लिमिट
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस या UPI के जरिए अब एक बार में 5 लाख रुपये तक का टैक्स पेमेंट किया जा सकेगा, जबकि अब तक यह लिमिट महज एक लाख रुपये तक सीमित थी. रेपो रेट, महंगाई और GDP के बारे में MPC मीटिंग में हुई चर्चा के बारे में बताते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी. UPI के जरिए टैक्स पेमेंट की लिमिट बढ़ाने से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा. वैसे आपको बता दें कि, ये लिमिट नॉर्मल ट्रांजेक्शन के लिए नहीं बढ़ाई गई है.
UPI पेमेंट को लेकर जो नई लिमिट सेट की गई हैं, उसके मुताबिक सामान्य पेमेंट के लिए प्रति ट्रांजेक्शन 1 लाख रुपये, कैपिटल मार्केट्स, इंश्योरेंस के पेमेंट के लिए 2 लाख रुपये और आईपीओ (IPO) में अप्लाई के लिए UPI पेमेंट लिमिट प्रति ट्रांजेक्शन 5 लाख रुपये है.
रेपो रेट और GDP ग्रोथ को लेकर शक्तिकांत दास ने क्या कहा?
रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखने के फैसले के साथ ही RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की GDP को लेकर भी समिति के अनुमान बताए. उन्होंने कहा कि, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP अनुमान को भी यथावत रखा गया है. यानी नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी पर स्थिर है. इसके साथ ही FY25 के लिए RBI ने GDP ग्रोथ के ये अनुमान बताए है-
Q1- 7.1 percent
Q2- 7.2 percent
Q3- 7.3 percent
Q4- 7.2 percent
अब जानिए मौद्रिक नीति समिति(MPC) क्या होती है?
केंद्र सरकार ने साल 2016 में मौद्रिक नीति समिति(MPC) का गठन किया था. इस समिति नेतृत्व RBI के गवर्नर करते हैं और यह 6 सदस्यीय समिति होती है. मौद्रिक नीति समिति का गठन साल 2016 में रेपो रेट(बेंचमार्क नीति ब्याज दर) तय करने के के लिए किया गया था जिससे मुद्रास्फीति को एक लक्षित लेवल के भीतर नियंत्रित किया जा सके. इस समिति की स्थापना से पहले ब्याज दरों से संबंधित मुख्य फैसले RBI के गवर्नर अकेले लेते थे. भारत की मौद्रिक नीति तय करने में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की पहल के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत MPC का गठन किया गया था. MPC साल में कम से कम 4 बार बैठकें करती है और हर बैठक के बाद मौद्रिक नीति प्रकाशित की जाती है जिसमें प्रत्येक सदस्य अपनी राय बताता है.
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