विधानसभा चुनाव से पहले लोकल बॉडीज इलेक्शन ने केरल के सारे राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा दिए हैं. लोकल चुनावों में कमजोर कड़ी माने जा रहे कांग्रेस के यूडीएफ ने जबर्दस्त तरीके से बाउंस बैक किया. हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे लेफ्ट को जोर का झटका लगा. बीजेपी का एंबिशन तिरूवनंतपुरम तक सिमट गया. लेफ्ट कैडर में सीपीएम सचिव एमवी गोविंदन और सीएम पी विजयन की लीडरशिप पर फायर है लेकिन गुलशन में यूडीएफ के इतने फूल खिले तो कांग्रेस का दिल बाग-बाग है. लोकल चुनाव में बड़ी जीत का साइड इफेक्ट ये हुआ कि यूडीएफ का कुनबा और बढ़ गया. दो नई पार्टियों ने यूडीएफ में एंट्री लेकर कांग्रेस को बड़ा बूस्टर दिया है..
ADVERTISEMENT
बीजेपी के खिलाफ राजनीति में ममता बनर्जी अजब खेलती हैं. दिल्ली में तो बीजेपी के खिलाफ इंडिया अलायंस के साथ हैं लेकिन बंगाल की राजनीति में कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं रखती. केरल के निकाय चुनावों के बाद जो हुआ वो बड़ा अजब है. केरल ममता बनर्जी की राजनीति के फोकस में नहीं है लेकिन वहां पार्टी खड़ी हो गई है. पीवी अनवर के भरोसे तृणमूल कांग्रेस केरल की भी पार्टी है. पीवी अनवर कुछ वक्त पहले तक लेफ्ट के साथ होते थे. राजनीति की बदलती भांपकर पहले लेफ्ट से अलग हुए. फिर तृणमूल कांग्रेस में जाकर कांग्रेस के अलायंस में शामिल हो गए.
जेआरपी ने किया यूडीएफ ज्वाइन
केरल के निकाय चुनावों में यूडीएफ की शानदार जीत होते ही तृणमूल कांग्रेस और आदिवासियों के हितों के लिए काम करने वाली जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी (जेआरपी) ने यूडीएफ ज्वाइन कर लिया. कोच्चि में कांग्रेस नेता वीडी सतीसन ने पीवी अनवर और सी के जानू की औपचारिक यूडीएफ में ज्वाइनिंग कर दी. अब केरल में यूनाइडेट डेमोक्रेटिक फ्रंट और बड़ा हो गया जिसका नेतृत्व कांग्रेस कर रही है. वैसे वीडी सतीसन ने तृणमूल, जेआरपी के साथ विष्णुपुरम चंद्रशेखरन की केरल कामराज कांग्रेस के भी यूडीएफ में आने का एलान किया था लेकिन आखिरी वक्त में विष्णुपुरम बैक हो गए. उन्होंने फिलहाल यूडीएफ ज्वाइन करने से मना कर दिया.
विष्णुपुरम कहां रहेंगे, फैसला बाकी
केरल में अरसे से जमने की कोशिश कर रही बीजेपी ने रीजनल पार्टियों के साथ एनडीए अलायंस खड़ा किया था. सीके जानू और विष्णुपुरम एनडीए का हिस्सा थे लेकिन सीके जानू ने एनडीए को ये कहकर छोड़ा कि 9 साल से अलायंस के बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं थी. विष्णुपुरम ने फिलहाल फैसला नहीं लिया है कि एनडीए में रहेंगे या यूडीएफ में जाएंगे या कुछ और करेंगे. सीके जानू का जाना बीजेपी के लिए झटका है.
सीके जानू कांग्रेस के साथ
सीके जानू केरल में जमीन के अधिकारों के लिए लड़ती रही हैं. 2003 में मुथंगा जमीन आंदोलन वायनाड से शुरू हुआ था. सरकार ने वादे पूरे नहीं किए तो आदिवासियों ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर लिया. 2003 में पुलिस फायरिंग के बाद आंदोलन खत्म हुआ तब आदिवासी गोत्र महा सभा चलाती थीं. सीके जानू. अब उनकी अपनी पार्टी है जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी (जेआरपी) जिसने बीजेपी से निराश होकर कांग्रेस के साथ होने का फैसला किया. 1975 में केरल सरकार ने कानून बनाकर वादा किया था कि सभी आदिवासियों को कृषि योग्य भूमि मिलेगी.
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में विलय
पीवी अनवर ने पिछले महीनों में अकेले बड़ी हलचल मचाई हुई थी. लेफ्ट में रहते हुए उन्होंने सीएम पी विजयन से टकराव मोल दिया और फिर अलायंस छोड़ दिया. नीलांबुर की विधानसभा सीट 2016 से लगातार जीतने वाले पीवी अनवर ने विधायकी भी छोड़ दी जिसके कारण उपचुनाव हुआ. निर्दलीय लड़कर खुद तो चुनाव नहीं जीते लेकिन लेफ्ट की हार और कांग्रेस की जीत की गारंटी दे दी. उपचुनावों में लेफ्ट की पुरानी सीट नीलांबुर सीट कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने जीतकर डंका बजा दिया. अनवर ने पहले Democratic Movement of Kerala नाम की पार्टी बनाई. फिर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में विलय कर दिया. ममता को ये इसलिए सूट किया कि बिना कुछ किए केरल में पार्टी खड़ी हो गई. अब अनवर ने ममता बनर्जी को कांग्रेस के करीब कर दिया.
कांग्रेस का वोट शेयर 6 परसेंट घटा
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये तुलना की गई कि 2024 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले लोकल बॉडीज इलेक्शन में किसे कितना वोट मिला. कांग्रेस के सीटों के मामले में तो बाजी मार ली लेकिन उसका वोट शेयर करीब 6 परसेंट घट गया. 2024 में करीब 39 परसेंट वोट मिले थे लेकिन लोकल बॉडीज इलेक्शन में घटकर 29 परसेंट रह गया. लेफ्ट के हाथों से पूरा चुनाव निकल गया लेकिन 33 परसेंट से ज्यादा वोट शेयर बना हुआ है.
बीजेपी को ज्यादा धक्का लगा
लोकल चुनावों में हारने के बाद भी विधानसभा के लिए यही बड़ा बूस्टर है. बीजेपी को इसलिए ज्यादा धक्का लगा कि उसकी लीड खत्म हो गई. लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करीब 19 परसेंट वोट मिले थे लेकिन लोकल चुनावों में घटकर करीब 14 परसेंट रह गया. ये तब हुआ जब गृह मंत्री अमित शाह एलान कर चुके है कि टारगेट है कि केरल में पार्टी 25 परसेंट तक पहुंचे.
Shesh Bharat: जगन रेड्डी-केसीआर की दोस्ती फिर चर्चा में, क्या सियासी सहारे की तलाश में हैं दोनों तेलुगू नेता?
ADVERTISEMENT

