कहानी ईवीएम की, जानिए भारत में पहली बार कब हुआ था इसका इस्तेमाल

राजनीतिक दलों में ईवीएम को लेकर हमेशा बहस छिड़ी रहती है. कभी ईवीएम के हैक होने के आरोप लगते रहते हैं तो कभी बैलट पेपर से चुनाव होने की मांग उठती रहती है. ईवीएम क्या होती है, यह कब से प्रचलन में आई और इसकी जरूरत क्यों लगी? ऐसे ही कई सवालों के जवाब हम देंगे आपको.

ईवीएम का मौसम आ गया है यानी चुनाव, अक्सर EVM पर हैक होने के आरोप लगते रहते हैं.

ईवीएम का मौसम आ गया है यानी चुनाव, अक्सर EVM पर हैक होने के आरोप लगते रहते हैं.

देवराज गौर

• 05:50 PM • 13 Oct 2023

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STORY OF EVM: राजनीतिक दलों में ईवीएम को लेकर हमेशा बहस छिड़ी रहती है. कभी ईवीएम के हैक होने के आरोप लगते रहते हैं तो कभी बैलट पेपर से चुनाव होने की मांग उठती रहती है. अगर आपने चुनावों में वोट डाला हो तो आपको पता होगा कि ईवीएम क्या होती है. लेकिन यह कब से प्रचलन में आई और इसकी जरूरत क्यों लगी? ऐसे ही कई सवालों के जवाब हम देंगे आपको.

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क्या है ईवीएम

ईवीएम एक मशीन है जिसके माध्यम से एक वोटर अपना वोट डालता है. पहले यह वोट बैलेट पेपर के माध्यम से डाला जाता था. एक वोटर बैलेट पेपर को बैलेट बॉक्स में डालकर अपना वोट दर्ज करता था. लेकिन ईवाएम के आने से पूरा सिस्टम ही बदल गया. पहला बैलेट पेपर के माध्यम से वोट देने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी.

ईवीएम का आविष्कार भारत की ही देन है. इसका आविष्कार 1980 में भारत में ही किया गया था. भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (बैंगलोर) और भारत इलेक्ट्रोनिक्स (हैदराबाद) द्वारा 1989 में ईवाएम को बनाने की शुरुआत हुई.

सबसे पहले भारत में EVM का उपयोग केरल के उत्तर पारावुर विधानसभा के 50 मतदान केंद्रों में हुए उपचुनाव में किया गया.

साल 2004 से सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए EVM का उपयोग किया जाने लगा.

ईवीएम कैसे काम करती है

एक ईवीएम में दो भाग होते हैं.

1- कंट्रोल यूनिट
2- वोटिंग यूनिट

दोनों भाग एक 5 मीटर लंबे केबल से जुड़े होते हैं. कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रहता है. जबकि वोटिंग यूनिट मतदान कक्ष के अंदर रखा जाता है.

मतदान अधिकारी के कंट्रोल यूनिट से बैलेट बटन दबाने के बाद ही मतदाता भीतर रखी मशीन पर अपना वोट दर्ज कर सकता है. एक वोटर एक ही वोट डाल सकता है. क्यों कि आपका वोट डालने के बाद मशीन बंद हो जाती है. जबतक मतदाता अधिकारी दोबारा से बैलेट बटन नहीं दबाएगा तब तक दूसरा वोट नहीं डाला जा सकता है.

ईवीएम की खास बात यह है कि इससे बूथ कैप्चरिंग काफी मुश्किल है. क्योंकि एक ईवीएम एक मिनट में सिर्फ 5 वोट ही दर्ज कर सकती है.

एक ईवीएम में अधिकतम 2000 वोटों को रिकार्ड किया जा सकता है. और एक ईवीएम में नोटा सहित अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम अंकित किए जा सकते हैं.

ईवीएम को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती है. यह बैटरी से चलती है

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