बुरे फंस गए सुखबीर सिंह बादल, अकाल तख्त ने सुनाई सजा, करनी पड़ेगी वॉशरूम और जूठे बर्तनों की सफाई  

डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम रेप के आरोप में सजा हुई. जेल में बंद है. जैसे ही कोई चुनाव होता है, किसी न किसी जुगाड़ से गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर निकल आता है. चुनाव होते ही वापस जेल चला जाता है.

सुखबीर सिंह बादल
सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)

News Tak Desk

• 08:37 AM • 03 Dec 2024

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डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम रेप के आरोप में सजा हुई. जेल में बंद है. जैसे ही कोई चुनाव होता है, किसी न किसी जुगाड़ से गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर निकल आता है. चुनाव होते ही वापस जेल चला जाता है. बरसों से ये खेल चल रहा है. आरोप लगता है बीजेपी पर कि वो मेहरबान रहती है रेप के दोषी पर.

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राम रहीम के चक्कर में आज तक हरियाणा में किसी का या बीजेपी के किसी नेता का कुछ नहीं बिगड़ा. पंजाब में बुरे फंस गए हैं सुखबीर सिंह बादल. पंजाब की राजनीति में अकाली दल की राजनीतिक हैसियत अब बहुत गिर गई है लेकिन सुखबीर बादल पंजाब के सीएम रहे. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हैं. पंजाब के सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं. बरसों तक बीजेपी के अलायंस पार्टनर रहे. उनकी पत्नी हरसिमरत कौर मोदी सरकार में मंत्री रहीं. बादल परिवार आज सत्ता में नहीं हैं. फिर भी रुआब, रसूख पर आंच नहीं आई. 

अकाल तख्त साहिब ने सुनाई सजा

आंच अब आई है. सुखबीर बादल को मिली है घनघोर सजा लेकिन किसी कोर्ट से नहीं. सिखों की सबसे बड़ी पावरफुल संस्था अकाल तख्त साहिब से. अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुनाई है. सुखबीर बादल दोषी करार दिए हैं कि उन्होंने सरकार में रहते हुए डेरा सच्चा सौदा वाले गुरमीत राम रहीम तो माफी दिलाने में भूमिका निभाई थी. जब सजा का एलान हो रहा था तब सुखबीर बादल हाथ जोड़कर सुनते रहे.

सिखों के लिए बड़ी कड़ी सजा होती तनखैया. सिख को ही ये सजा मिलती है. सजा के तौर पर गुरुद्वारे में सेवा देनी होती है. कड़े नियम मानने होते हैं. अकाल तख्त के सुप्रीम होते हैं जत्थेदार. अगर उन्हें लगता है कि किसी सिख की किसी हरकत से पंथ को नुकसान पहुंचा है तो उसे तनखैया घोषित कर पंथ से निष्कासित किया जाता है. आरोपी पांचों सिंह साहिबान के सामने अपना पक्ष रखता है. गुनाह के आधार पर सजा या माफी का फैसला होता है. 

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी तनखैया हो चुके घोषित

पंजाब से देश की राजनीति में कई नेता बड़े-बड़े पद तक पहुंचे. ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति होते हुए तनखैया घोषित हुए थे. 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण सजा के भागी बने. ज्ञानी जैल सिंह स्वर्ण मंदिर का दौरा करने आए थे. जूते भी पहन रहे थे. अर्दली ने छाता भी तान रखा था. 

बूटा सिंह देश के गृह मंत्री होते हुए तनखैया घोषित हुए. उन्होंने सजा से इनकार किया तो अलग एक्शन हुआ. सुरजीत सिंह बरनाला मुख्यमंत्री रहते हुए तनखैया घोषित हुए तो गले में लटकाई गई थी तख्ती मैं पापी हूं. कैप्टन अमरिंदर सिंह, बिक्रम मजीठिया ने भी तनखैया घोषित होने पर गुरुद्वारे में सेवा करके सजा पूरी की. सिख धर्म में अकाल तख्त साहिब का बड़ा सम्मान है. बड़े-बड़े नेता सिर झुकाते हैं. अगर भूल की है तो सजा भी भुगतते रहे हैं. महाराजा रणजीत सिंह भी तनखैया घोषित हो चुके हैं.

अब घोषित की गई सजा

सुखबीर बादल 30 अगस्त को धार्मिक दुराचार के दोषी तनखैया यानी दोषी घोषित हो गए थे. बादल को 2007 से 2017 तक सरकार की गई गलतियों के लिए धार्मिक कदाचार का दोषी मानते हुए तनखैया घोषित किया था. सजा पेंडिंग चल रही थी. अब जाकर अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबानों ने सजा सुनाई. सजा ऐसी कि सुनकर हैरान हो जाएंगे. 

तनखैया घोषित होने के बाद सुनाई गई सजा के मुताबिक अगले 2 दिन देश की राजनीति के इतने बड़े नेता को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के टॉयलेट साफ करने होंगे. नहाने के बाद एक घंटे तक लंगर घर में जूते बर्तन साफ करने होंगे. एक घंटे शबद कीर्तन करना होगा. घंटाघर के बाहर भी ड्यूटी करनी है. ये ड्यूटी व्हीलचेयर पर बैठ कर पूरी कर सकते हैं. सजा के दौरान गले में तख्ती लटकी रहेगी. स्वर्ण मंदिर के बाद 2-2 दिन केसगढ़ साहिब, दमदमा साहिब, मुक्तसर साहिब, फतेहगढ़ साहिब में भी सेवा करके सजा काटनी होगी. 

प्रकाश सिंह बादल अब जीवित नहीं हैं लेकिन सजा उनको भी मिली. उनसे फकर-ए-कौम की उपाधि वापस ली गई. शिरोमणि अकाली दल और सरकार के 16 मंत्रियों समेत 23 लोगों को धार्मिक दुराचार के आरोपों के लिए सजा सुनाई गई. इनमें 6 तो जीवित नहीं रहे. कइयों ने भूल मान ली है लेकिन प्रेम सिंह चंदूमाजरा समेत कुछ नेताओं ने आरोप नकार दिए हैं. 

इसलिए मिली सजा

बादल को ये दिन सिर्फ और सिर्फ गुरमीत राम रहीम के चलते देखने पड़ रहे हैं. 2007 में गुरमीत राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की नकल करते हुए उनके जैसी वेशभूषा धारण अमृत छकाने का स्वांग रचा था. इससे सिखों की भावना को ठेस पहुंची. पुलिस ने राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज किया था लेकिन सजा दिलाने की बजाय तत्कालीन बादल सरकार ने राम रहीम को बचाने के लिए केस वापस ले लिया था. तब सुखबीर बादल डिप्टी सीएम और अकाली दल अध्यक्ष होते थे. 

अकाल तख्त ने राम रहीम को सिख पंथ से निकाल दिया लेकिन अकाली दल अध्यक्ष रहते हुए सुखबीर बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके माफी दिलवाई थी. इतना हंगामा हुआ कि अकाल तख्त को माफी वापस लेनी पड़ी. सुखबीर बादल ने और कोप बचने के लिए भूल स्वीकार की. फिर भी सजा के हकदार बने. पंजाब की राजनीति में बादल के वैसे ही बुरे दिन चल रहे हैं. 2017 से अकाली दल धीरे-धीरे कर साफ होता जा रहा है. पंजाब में बीजेपी भी कुछ खास कर नहीं पाई. बीजेपी-अकाली एक-दूसरे के साथ रहकर अपना नुकसान कर बैठे. बादल वाली जगह आम आदमी पार्टी ने ले ली.

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