भारी मन से ले रहा फैसला… मनी लॉन्ड्रिंग, ED पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने क्यों कहा ऐसा?

देश में इस वक्त इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) की छापेमारी के चर्चे हैं. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ED और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को अपने हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है.

जस्टिस संजय किशन कौल ने पीएमएलए के तहत ईडी की कार्रवाई को दूसरी बेंच को सौंपने का फैसला सुनाया है.
जस्टिस संजय किशन कौल ने पीएमएलए के तहत ईडी की कार्रवाई को दूसरी बेंच को सौंपने का फैसला सुनाया है.

देवराज गौर

24 Nov 2023 (अपडेटेड: 24 Nov 2023, 02:34 PM)

follow google news

Supreme Court on PMLA & ED: देश में इस वक्त इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) की छापेमारी के चर्चे हैं. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ED और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को अपने हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. इस बीच PMLA के तहत गिरफ्तारी और प्रॉपर्टी कुर्क करने की ED की शक्तियों को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका पर सुनवाई चल रही है. अब इस सुनवाई को आठ सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है. यह फैसला सुनाते हुए तीन जजों की बेंच में मौजूद जस्टिस संजय किशन कौल ने कुछ ऐसी टिप्पणी की है, जिसकी अब चर्चा हो रही है.

Read more!

रिटायर होने वाले जस्टिस संजय किशन कौल ने क्या कहा

तीन जजों की बेंच ने गुरुवार को पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के गठन का फैसला लिया है. सुनवाई कर रही बेंच के जस्टिस एसके कौल ने अपना फैसला सुनाते हुए सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि

‘हम सब समझते हैं मिस्टर सॉलिसिटर. मैं ये फैसला भारी मन से ले रहा हूं. हमने सबकुछ देखा और सुना. बस हमने कुछ बोला नहीं. कभी-कभी चीजों को नहीं कहना चाहिए. 1 जनवरी से मुझे कहने की आजादी होगी.’

जस्टिस कौल 25 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ कर रही थी.

याचिकाकर्ताओं ने विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में अदालत के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. इसमें 27 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत ED को गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की ताकत देने के प्रावधानों को बरकरार रखा था. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ED एक ‘‘बेलगाम घोड़ा’’ बन गया है और वह जहां चाहे वहां जा सकता है.

सरकार ने कोर्ट से क्या कहा

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से रिट याचिका में बदलाव के बाद कुछ नए बिंदु सामने आए हैं. मुझे इस पर अपना पक्ष रखने के लिए समय चाहिए. जस्टिस कौल के रिटायर होने के कारण बेंच भंग हो जाएगी. इसलिए मेहता ने नई बेंच के गठन का अनुरोध किया. बता दें कि बेंच का गठन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही करते हैं. कोर्ट ने सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए याचिका पर दिसंबर तक जवाब देने का समय दिया है. इससे पहले याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में संशोधन के लिए अपना आवेदन वापस ले लिया था. अदालत ने याचिकाकर्ताओं के संशोधित याचिका के आवेदन को स्वीकार कर लिया था.

    follow google newsfollow whatsapp