Bihar Latest Socio Economic Data: बिहार सरकार जातीय जनगणना का आंकड़े पहले ही जारी कर चुकी है. आज 7 नवंबर 2023 को बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे का पूरा विवरण विधानसभा में पेश किया है. इसके मुताबिक हमें बिहार की और गहन जानकारी मिलती है. जातीय आंकड़ों के अलावा बिहार सरकार ने विधानसभा में विभिन्न जातियों के पास नौकरियों की स्थिति, गरीबी, आय, शिक्षा इत्यादि जैसे कंसोलिडेटेड आंकड़े पेश किए हैं. इससे हमें बिहार की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति के बारे में पता चलता है.
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जातीय जनगणना के लेटेस्ट आंकड़ों से क्या पता चला
सामान्य वर्ग
बिहार में सबसे अधिक सरकारी नौकरियां सामान्य वर्ग के पास हैं. सामान्य वर्ग के कुल 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं. आबादी के हिसाब से देखें, तो सामान्य वर्ग की 3.19 फीसदी आबादी सरकारी नौकरी में है.
पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति
पिछड़ा वर्ग की 1.75 फीसदी आबादी सरकारी नौकरियों में होने के साथ ही सामान्य वर्ग के बाद दूसरे नंबर पर है. पिछड़ी आबादी के कुल 6 लाख 21 हजार 481 लोग सरकारी नौकरियों में हैं. वहीं अगर अनुसूचित जाति की बात करें तो 1.3 फीसदी लोगों के साथ कुल 2 लाख 91 हजार 4 लोग सरकारी नौकरियों में हैं.
अनुसूचित जनजाति
सबसे कम सरकारी नौकरियों के साथ अनुसूचित जाति वर्ग के पास केवल 30 हजार 164 सरकारी नौकरियां हैं जो अनुसूचित जनजाति का केवल 1.37 फीसदी हैं.
यहां देखिए किस जाति को कितनी सरकारी नौकरी
जातिवार देखें तो बिहार में सबसे अधिक सरकारी नौकरियां 2 लाख 89 हजार 538 यादवों के पास हैं. हालांकि यहां यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि बिहार में यादवों की जनसंख्या 1 करोड़ 86 लाख 50 हजार 119 यानी कुल जनसंख्या का 14.26 फीसदी है. इसलिए जनसंख्या के अनुपात में यह बहुत कम है.
बिहार में गरीबी का क्या हाल
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक गरीबी अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी है. सामान्य वर्ग के अंदर गरीब परिवारों की तादाद 25.09 फीसदी है. बिहार में गरीबी का क्रम नीचे से ऊपर की ओर – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग है.
सामान्य वर्ग में भूमिहार सबसे गरीब
जातीय जनगणना के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक भूमिहार जाति सामान्य वर्ग के अंदर सबसे गरीब है. बिहार में भूमिहारों की जनसंख्या 37 लाख 50 हजार 886 यानी कुल जनसंख्या का 2.86 फीसदी हैं. इसमें से 25.32 फीसदी भूमिहार गरीबी में अपना जीवन-यापन करते हैं.
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