Supreme Court on the Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद यह कानून फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक यह मामला लंबित है, तब तक सरकार इस कानून के किसी भी हिस्से को लागू करने की कोशिश न करे. अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी, जिसके बाद नए आदेश आ सकते हैं.
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सरकार की दलीलें नहीं मानी गईं
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के किसी भी तर्क को नहीं माना. सरकार के वकील ने बहस पूरी करने के लिए समय मांगा था, जिसके बाद गुरुवार दोपहर 2 बजे सुनवाई दोबारा शुरू हुई. सरकार ने वही पुराने तर्क दोहराए, लेकिन कोर्ट को लगा कि सरकार मामले को लंबा खींचना चाहती है.
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
चीफ जस्टिस और दो अन्य जजों की बेंच ने तीन बड़ी बातें कहीं:
- वक्फ बाय यूजर जारी रहेगा: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जो संपत्तियां वक्फ को दी गई हैं, उनका डीनोटिफिकेशन नहीं होगा और न ही उनका दोबारा रजिस्ट्रेशन होगा.
- कलेक्टरों को अतिरिक्त काम नहीं: कलेक्टर अपना रूटीन का काम करते रहेंगे, उन्हें वक्फ कानून से संबंधित कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी.
- वक्फ बोर्ड और काउंसिल का पुनर्गठन रुका: वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल के पुनर्गठन पर भी अंतरिम रोक लगा दी गई है. यानी, अभी जो व्यवस्था है, जिसमें गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते, वही जारी रहेगी.
कब तक रहेगी रोक?
यह अंतरिम आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुना देता. इसका मतलब है कि भारत सरकार फिलहाल वक्फ कानून को लागू नहीं कर सकती.
वक्फ बाय यूजर का मुद्दा
कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के मुद्दे पर भी बात की. 14वीं-15वीं शताब्दी की मस्जिदों और दरगाहों के कागजात न होने के बावजूद उन्हें वक्फ को दिया गया था. सरकार इस व्यवस्था को खत्म करना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, यह व्यवस्था चलती रहेगी.
गैर-मुस्लिम सदस्यों का सवाल
कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी बोर्ड या काउंसिल में कोई गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं आ पाएगा. इसके अलावा, ट्रिब्यूनल की मौजूदा व्यवस्था भी बनी रहेगी और कलेक्टर की भूमिका वक्फ मामलों में बिल्कुल नहीं रहेगी.
बैकफुट पर सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को थोड़ा बैकफुट पर ला दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में अंतरिम आदेश के आधार पर ही बहस होगी. चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि वक्फ कानून में जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.
नीतीश और नायडू को झटका
इस फैसले से नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को भी झटका लग सकता है, जिन्होंने मुस्लिम वोटों के लिए इस कानून का समर्थन किया था, लेकिन अब उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ.
लंबा चलेगा मामला
यह मामला आसानी से अगले एक-दो महीने में नहीं निपटने वाला है. माना जा रहा है कि इसमें 8-10 महीने लग सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जिन तीन आधारों पर अंतरिम आदेश दिया है, उससे सरकार को अपने मकसद में कामयाबी मिलने की संभावना कम है.
सरकार का बचाव?
अब मोदी सरकार यह कह सकती है कि वे तो गरीब पसमांदा मुसलमानों के लिए अच्छा कानून ला रहे थे, लेकिन विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट ने उनके हाथ बांध दिए.
जेपीसी में भी विरोध
विपक्ष पहले से ही जेपीसी में इन्हीं मुद्दों पर विरोध कर रहा था. लोकसभा और राज्यसभा में भी विपक्ष ने सरकार को संविधान के खिलाफ न जाने की सलाह दी थी और वक्फ बाय यूजर को राम मंदिर के फैसले का हवाला देकर सही ठहराया था. उन्होंने यह भी कहा था कि जब हिंदुओं के बोर्ड में गैर-हिंदू सदस्य नहीं हो सकता, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य कैसे हो सकता है. लेकिन सरकार ने बहुमत के दम पर विपक्ष की बातों को खारिज कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी.
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