AIADMK से 50 साल पुरानी दोस्ती टूटी, अब थलापति विजय के लिए इलेक्शन मैनेज करेंगे सेंगोट्टैयन? तमिलनाडु की राजनीति में नया मोड़।

Shesh Bharat: AIADMK के सबसे पुराने और वरिष्ठ नेता के ए सेंगोट्टैयन ने पार्टी से निकाले जाने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. चर्चा है कि वह अब थलापति विजय की पार्टी तमिलागा वेटर्रि कड़गम (TVK) में शामिल हो सकते हैं.

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रूपक प्रियदर्शी

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Shesh Bharat: 77 साल के हो चुके के ए सेंगोट्टैयन ने शायद सोचा नहीं होगा कि एक दिन ऐसा आएगा जब उन्हें अम्मा जयललिता की बनाई AIADMK से जाना पड़ेगा. हालांकि अक्तूबर से ऐसा सोचने का समय मिला था. जब पार्टी चीफ ईपीएस पलानीस्वामी ने एंटी पार्टी एक्टिविटी के आरोप में निकाला था.

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निष्कासन भी किसलिए? सेंगोट्टैयन ने बस इतनी ईमानदार कोशिश की थी कि अम्मा के जाने के बाद ओ पनीरसेल्वम, वीके शशिकला जैसे जो बड़े नेता पार्टी से बाहर हो गए थे उनकी वापसी करा लें पलानीस्वामी.

मदद मांगने दिल्ली में अमित शाह तक पहुंचे थे लेकिन पलानीस्वामी ने एक बार ना कह दिया तो आज तक उसी ना पर टिके हैं. बड़े चुनाव से पहले AIADMK में अंदरुनी कलह पीक पर हैं. अम्मा के बाद पार्टी इतनी भी मजबूत नहीं रही. फिर भी पलानीस्वामी इस उम्मीद में हैं कि अकेले वो सब ठीक कर लेंगे. 

AIADMK से 50 साल पुराना नाता टूटा

निकालने जाने के बाद भी के ए सेंगोट्टैयन विधानसभा सदस्य बने रह सकते थे लेकिन उन्होंने अब बड़ा कदम उठाते हुए खुद ही गोबिचेट्टीपलायम के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. सेंगोट्टैयन अब आजाद हो चुके हैं. तमिलनाडु में उनका इस्तीफा बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है.

करीब 50 साल तक AIADMK में रहकर राजनीति कर चुके सेंगोट्टैयन ने ये कहते हुए इस्तीफा दिया कि बड़ी पीड़ा के साथ जा रहे हैं. ऐसी ही पीड़ा के साथ ओ पनीरसेल्वम, वीके शशिकला, टीटीवी दिनाकरन भी AIADMK से निकले. ये सारे वो लोग थे जो जयललिता के समय पार्टी की आंख-कान थे.

सारे जयललिता के बड़े भरोसेमंद और पलानीस्वामी की टक्कर के नेता थे. 2016 में जयललिता के जाने के बाद पार्टी पलानीस्वामी के कब्जे में गई. फिर एक-एक बड़े-बड़े बाहर होते रहे. सबसे लेटेस्ट नाम पार्टी के सबसे पुराने नेता सेंगोट्टैयन जुड़ा है.

थलापति विजय की TVK में एंट्री की अटकलें!

चर्चा बड़ी तेज है कि के ए सेंगोट्टैयन अब एक्टर थलापति विजय की पार्टी ज्वाइन करेंगे. टीवीके में इधर-उधर से बहुत सारे नेता आए लेकिन के ए सेंगोट्टैयन जैसे कद का पहला नेता ज्वाइन कर सकता है. अगर पार्टी ज्वाइन नहीं भी किया तो विजय के साथ मिलकर कोई बड़ा गेम प्लान कर सकते हैं.

चर्चा है कि बंद कमरे में सेंगोट्टैयन और विजय की कई राउंड की बातचीत हो चुकी है. एक चर्चा ये है कि डीएमके भी इंटरेस्टेड है. आगे क्या करना है, इसकी फाइनल कॉल सेंगोट्टैयन 27 नवंबर को ले सकते हैं. सेंगोट्टैयन का अगला कदम केवल ईपीएस, AIADMK के लिए बीजेपी की भी नींद खराब कर सकता है.

सीनियर नेता ने EPS को दी थी चुनावी हार की चेतावनी

9 बार के MLA सेंगोट्टैयन तमिलनाडु विधानसभा के सबसे सीनियर सदस्य हैं. उनकी राजनीति पार्टी संस्थापक एमजी रामचंद्रन के साथ शुरु हुई थी. पहली बार 1977 में सत्यमंगलम से जीते और सीधे एमजीआर और जयललिता तक पहुंचे. अम्मा के जाने के बाद जब AIADMK पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के बीच बंटी तब भी सेंगोट्टैयन ने पलानीस्वामी का साथ दिया.

चीजें 5 सितंबर से खराब होनी शुरू हुई. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस AIADMK के जनरल सेक्रेटरी एडप्पादी के पलानीस्वामी के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी. सेंगोट्टैयन की जिद थी कि पूर्व सीएम ओ पन्नीरसेल्वम, टीटीवी दिनाकरन और जयललिता की सहेली रहीं वीके शशिकला समेत निकाले गए नेताओं को वापस लाया जाए. ऐसा नहीं होने पर चुनावी हार का डर दिखाया. पलानीस्वामी को ये सब पसंद नहीं आया. उन्होंने पहला एक्शन लेते हुए सारे पदों, जिम्मेदारियों से सेंगोट्टैयन को हटा दिया. 

थेवर जयंती पर खुला चैलेंज, पलानीस्वामी ने फौरन किया निष्कासित

बड़ा कांड हुआ 30 अक्टूबर को.फ्रीडम फाइटर थेवर जयंती के मौके पर सेंगोट्टैयन ने खुलेआम पन्नीरसेल्वम, दिनाकरन से हाथ मिलाकर ईपीएस को चैलेंज कर दिया. फौरन फरमान निकला कि उन्हें AIADMK से निकाला जाता है. तब से अटकलें लग रही थी कि सेंगोट्टैयन चुप तो नहीं बैठेंगे.

पहले एक कोशिश की एक्स AIADMK नेताओं के साथ मोर्चा बनाने की कोशिश की लेकिन शायद मोर्चा कामयाबी की ओर नहीं बढ़ा तो उन्होंने टीवीके जाने का मन बनाया. के ए सेंगोट्टैयन गौंडर समाज से हैं जो AIADMK के साथ लंबे समय से जुड़ा है. सेंगोट्टैयन के लिए विजय को इस समाज में जनाधार बनाने का मौका मिलेगा.

DMK या TVK? क्यों विजय की पार्टी है सेंगोट्टैयन के लिए बेहतर विकल्प?

कहा जाता है सेंगोट्टैयन के लिए डीएमके ने दरवाजे खुले रखे लेकिन वहां जाने में रिस्क ये है कि उनकी पूछ उतनी नहीं रहेगी जिसकी आदत रही है. परम्परागत समर्थकों को भी हिचक हो सकती है कि जिस डीएमके के खिलाफ लड़ते रहे अचानक उसके साथ कैसे हो सकते हैं. टीवीके जाने से कहीं कोई हिचक, विचारधारा आड़े नहीं आएगी.

वैसे भी विजय ने पूरा माहौल बनाया हुआ है. सेंगोट्टैयन के लिए टीवीके में अच्छा भविष्य हो सकता है. सेंगोट्टैयन इलेक्शन मैनेजमेंट और ऑर्गनाइज़ेशनल स्किल के माहिर माने जाते हैं जिसका एमजीआर और जयललिता ने बढ़िया इस्तेमाल किया. विजय के लिए ऐसे स्किल वाला आदमी असेट बन सकता है. 

EPS के आउटरीच प्रोग्राम में अब होगी सीधी टक्कर

सेंगोट्टैयन का झटका ईपीएस आसानी से भुला नहीं पाएंगे. 30 नवंबर से पलानीस्वामी ने तमिलनाडु की जनता से संपर्क के लिए विशाल आउटरीच प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं. इसकी शुरूआत के लिए उन्होंने इरोड जिले के गोबिचेट्टीपलायम को चुना है जहां 50 साल से सेंगोट्टैयन एकछत्र राज चल रहा है.

ईपीएस ने 7 जुलाई को कोयंबटूर से 6 फेज का मक्कलाई कप्पोम, तमिलागाथाई मीटपोम आउटरीच टूर शुरू किया था. 234 में से 174 सीटों का दौरा कर चुके हैं. विजय की करूर रैली हादसे के बाद यात्रा रोकनी पड़ी. अब सिक्स और आखिरी फेज में 60 और सीटें कवर की जानी है. अब तक पलानीस्वामी के साथ साथ रहे केएन सेंगोट्टैयन पहली बार पलानीस्वामी के खिलाफ खड़े मिलेंगे.

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