कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड की खचाखच भीड़ को किया लीड, कौन हैं CPM की मीनाक्षी मुखर्जी?

इंसाफ यात्रा को लीड किया मीनाक्षी मुखर्जी ने जिसे पार्टी नई फेस के तौर पर पेश कर रही है. मीनाक्षी मुखर्जी को लेफ्ट फ्रन्ट के चेयरमैन बिमान बोस कैप्टन पुकारते हैं.

Minakshi Mukherjee

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रूपक प्रियदर्शी

09 Jan 2024 (अपडेटेड: 09 Jan 2024, 01:30 PM)

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Minakshi Mukherjee: हो सकता है देर हो गई हो लेकिन सबसे बड़ी लेफ्ट पार्टी सीपीएम(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) को समझ आने लगा है कि, चुनावों में अगर वापसी करनी है, तो नए फेस को आगे करना होगा. इससे पार्टी का भी विस्तार होगा और विचारधारा का भी. कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में सीपीएम की ‘इंसाफ यात्रा रैली’ से यही मैसेज दिया गया. यह इंसाफ यात्रा 3 नवंबर को कूच बेहार से शुरू हुई थी. नाइंसाफी के खिलाफ नारे बुलंद करते 2200 किलोमीटर की यात्रा 50 दिन बाद कोलकाता पहुंची तो परेड ग्राउंड की भारी भीड़ ने जोरदार स्वागत किया.

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इंसाफ यात्रा को लीड किया मीनाक्षी मुखर्जी ने जिसे पार्टी नई फेस के तौर पर पेश कर रही है. मीनाक्षी मुखर्जी को लेफ्ट फ्रन्ट के चेयरमैन बिमान बोस कैप्टन पुकारते हैं. कैडर उनको कॉमरेड मीनाक्षी मुखर्जी पुकारता है. मीनाक्षी मुखर्जी सीपीएम के यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया DYFI की स्टेट सेकेट्री हैं. मीनाक्षी मुखर्जी सीपीएम कैडर में धीरे-धीरे चढ़ रही हैं जिसमें सीपीएम को फ्यूचर लीडरशिप दिख रही है.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड खचाखच भीड़ से भरा हुआ था. जब मंच पर मीनाक्षी भाषण के लिए पोडियम पर पहुंची तो भीड़ ने कम से कम 20 मिनट तक मीनाक्षी जिंदाबाद के नारे लगाए. सीपीएम के स्टेट सेकेट्री मोहम्मद सलीम औऱ सीपीएम सेंट्रल कमेटी मेंबर आभाष राय चौधरी ने मीनाक्षी का इंट्रो ऐसे दिया जैसे अब वही हैं जो पार्टी को आगे लेकर जाएंगी.

बंगाल का राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहा है. वर्तमान में लेफ्ट, कांग्रेस को हराकर ममता बनर्जी के हाथों में बंगाल है. इंडिया गठबंधन बनने के बाद ममता बनर्जी, लेफ्ट नेता और कांग्रेस नेता एक छत के नीचे बैठकर बीजेपी को हराने की योजनाएं बनाते हैं. संभव है कि इंडिया एकता के नाम पर ममता, कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग भी हो जाए. वैसे बंगाल में अब सबसे बड़ी लड़ाई ममता वर्सेज बीजेपी है, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि ममता कांग्रेस के साथ-साथ लेफ्ट से भी दोस्ती कर लें. इंसाफ यात्रा में जितनी जोर से नारे कम्युनल बीजेपी के खिलाफ लगे उतने ही मजबूती से नारे करप्ट तृणमूल कांग्रेस के भी गूंजे.

कौन हैं मीनाक्षी मुखर्जी

39 साल की मीनाक्षी मुखर्जी ने लेफ्ट के स्टूडेंट विंग SFI से पॉलिटिक्स में कदम रखा. बर्धमान यूनिवर्सिटी से पॉलिकल साइंस में मास्टर्स कर चुकी मीनाक्षी मुखर्जी अपने करारे भाषणों से भीड़ का आकर्षण बनती रही हैं. एसएफआई से सीपीएम की स्टेट कमेटी तक पहुंचने में उनके करारे भाषण सबसे बड़े मददगार साबित हुए. इंडिया गठबंधन के बारे में जो बात लेफ्ट के बाकी नेता नहीं कहते वो कहने में भी मीनाक्षी मुखर्जी संकोच नहीं करती.

ममता के खिलाफ लड़ चुकी है चुनाव

2021 के विधानसभा चुनाव में सबसे हॉट सीट थी नंदीग्राम जहां से सीएम ममता बनर्जी चुनाव लड़ी थी. ममता से बगावत करने वाले सुवेंदु अधिकारी को बीजेपी ने उतारा था. लेफ्ट ने ममता और सुवेंदु की कांटे की लड़ाई को और कठिन बनाने के लिए मीनाक्षी मुखर्जी को उतारा था. सुवेंदु अधिकारी के आगे न तो सीएम ममता टिकीं, न मीनाक्षी मुखर्जी लेकिन राजनीति को पंख मिल गए. यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया का स्टेट सेकेट्री बना दिया गया. इस पद पर पहुंचने वाली वो पहली महिला बनीं. सीपीएम की सबसे बड़ी बॉडी स्टेट कमेटी में भी नॉमिनेशन हुआ.

बंगाल में क्या है लेफ्ट का हाल

पिछले 20 साल में लेफ्ट सिकुड़ते-सिकुड़ते शून्य पर आ गया. 2004 के लोकसभा चुनाव में लेफ्ट के 35 सांसद बंगाल से जीते थे. 2009 में ये संख्या 15 रह गई. 2014 में सिर्फ 2 और 2019 में संख्या शून्य रह गई. लेफ्ट का यही हाल बंगाल विधानसभा में भी हुआ. 2006 में लेफ्ट के 235 विधायक थे. 2011 में सिर्फ 62 रह गए. 2016 में ये संख्या 32 और 2021 में शून्य हो गई. सरवाइवल का लालच लेफ्ट को इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और ममता के साथ लाया. मीनाक्षी मुखर्जी जैसे फेस को आगे करना उस स्ट्रैटजी का हिस्सा है कि कहीं से पार्टी में नई जान फूंकी जा सके.

वैसे बीजेपी-कांग्रेस की लड़ाई में लेफ्ट पार्टियां बहुत पीछे छूट चुकी हैं. पूरे देश में सिर्फ केरल ऐसा राज्य है जहां लेफ्ट की सरकार है. त्रिपुरा बीजेपी ले गई. बंगाल ममता के पास चला गया. करीब 10 लेफ्ट पार्टियों का गठबंधन है लेफ्ट फ्रंट जिसका लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है. 2011 में 34 साल बाद लेफ्ट का शासन ममता बनर्जी ने ऐसे खत्म किया कि लेफ्ट का एक विधायक तक नहीं जीत सका.

 

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