IPS Anand Mishra: भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक प्रतिष्ठित अधिकारी और असम के लखीमपुर में वर्तमान पुलिस अधीक्षक आनंद मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका इस्तीफा 16 जनवरी 2024 से आधिकारिक तौर पर प्रभावी होगा यानी इस तारीख से वो वॉलेंट्री रिटायरमेंट (VRS) ले लेंगे. ऐसी चर्चाएं है कि IPS आनंद मिश्रा आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार के बक्सर सीट पर उम्मीदवारी के लिए नजर गड़ाए हुए हैं. वैसे उनकी तरफ से अभी इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है कि वह सियासत में एंट्री लेने वाले हैं या उनके एजेंडे में और भी कुछ है.
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पहले ये जानिए क्या रीजन बता कर दिया है इस्तीफा
IPS आनंद मिश्रा ने राज्य के मुख्य सचिव को संबोधित पत्र में अपने स्वतंत्र जीवन की इच्छा का हवाला देते हुए IPS का पद छोड़ने की बात लिखी है. पत्र में उन्होंने कहा है कि, ‘यह स्वतंत्रता और स्वतंत्रता का जीवन जीने के लिए IPS से मेरा बिना शर्त इस्तीफा है, जिसे मैं विभिन्न सामाजिक सेवाओं और अन्य माध्यमों से महसूस करना चाहता हूं जो आईपीएस के कार्यक्षेत्र से परे हैं.’
कौन हैं IPS आनंद मिश्रा?
आनंद मिश्रा मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के पड़सौरा गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म जून 1989 में बिहार में ही हुआ पर उनकी परवरिश कलकत्ता में हुई. आनंद ने स्नातक की पढ़ाई के बाद ही सिविल सेवा परीक्षा(UPSC) की तैयारी शुरू कर दी थी. उन्होंने बहुत छोटी ही उम्र में पुलिस अधिकारी बनने का फैसला ले लिया था. आनंद मिश्रा असम-मेघालय कैडर के 2011 बैच के IPS अधिकारी हैं.
मिश्रा वर्तमान में असम के लखीमपुर में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात है. IPS आनंद की असम में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में प्रमुख भूमिका रही है. वे अपने ड्यूटी के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई सफल ऑपरेशनों को अंजाम दिया है.
IPS विकास वैभव की भी सियासत में एंट्री को लेकर हैं चर्चे
ऐसा नहीं है कि आनंद मिश्रा कोई पहले IPS हैं, जिनकी सियासत में एंट्री के चर्चे हो रहे हैं. बिहार के चर्चित IPS विकास वैभव को लेकर भी कुछ ऐसी है चर्चे हैं. विकास वैभव ने पिछले दिनों ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ के ‘नमस्ते बिहार’ का पहला जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया है. इस कार्यक्रम में काफी भीड़ उमड़ी थी. तब सवाल उठे कि क्या IPS विकास वैभव इस बहाने सियासत में एंट्री मारने वाले हैं?
बिहार में प्रशासनिक अधिकारियों का रिटायर होने के बाद या नौकरी छोड़कर सियासत में आने का चलन सा चल पड़ा है. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. वैसे जनता दल यूनाइटेड से टिकट ना मिलने पर वो लड़ नहीं पाए थे. बिहार के कई पूर्व आईएएस और आईपीएस विभिन्न दलों के साथ हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी इसका उदाहरण हैं. आरसीपी सिंह भी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का हिस्सा था और बाद में राजनीति में आए.
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