Who will become the Chief Minister of Rajasthan?: दिल्ली में इस वक्त राजस्थान की सियासत का शोर मचा हुआ है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राजस्थान के संग मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीत लिया है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस सवाल का जवाब अबतक नहीं मिला है. खासकर राजस्थान का मामला कुछ ज्यादा फंसा नजर आ रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि इन तीनों राज्यों में सीएम के लिए नया चेहरा देने की तैयारी है. पर क्या वसुंधरा राजे राजस्थान में इसके लिए मान जाएंगी? फिलहाल जब इस चिंता से बीजेपी जूझ रही है, तो वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंच गई हैं.
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राजस्थान में सीएम पद के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ओम माथुर, अर्जुन मेघवाल, बाबा बालकनाथ और राजकुमारी दीया कुमारी के नाम की चर्चा है. बीजेपी की जीत के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का शक्ति प्रदर्शन भी सामने आ चुका है. सूत्रों की माने तो उन्होंने पार्टी के 68 से ज्यादा विधायकों से मुलाकात की. बीते दिन से उनके एक फोन कॉल की भी चर्चा थी, जिसे उनके लहजे के नरम होने का संकेत कहा जा रहा था. पर इसी बीच वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंच गईं तो सीएम पद की रेस का गेम एक बार फिर से ऑन माना जा रहा है.
वसुंधरा ने फोन कॉल पर क्या की बात?
वसुंधरा राजे का पार्टी के विधायकों से मिलना जारी था. इसी बीच एक खबर ये आई कि विधायकों से मिलने के बाद उन्होंने पार्टी आला कमान से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि वो पार्टी की एक अनुशासित कार्यकर्ता हैं और पार्टी लाइन से कभी बाहर नहीं जा सकतीं. इसी बात से राजे के सीएम बनने और पार्टी की तरफ से चेहरा न बनाने पर बगावत करने जैसी अटकलों पर थोड़ा विराम जरूर लगा.
फिर दिल्ली क्यों आईं वसुंधरा?
इसी बीच वसुंधरा राजे बुधवार रात दिल्ली पहुंच गई हैं. वैसे एयरपोर्ट से निकलते समय उन्होंने अपनी दिल्ली की यात्रा को पारिवारिक बताते हुए कहा कि वो अपनी बहू से मिलने आई हैं. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष से मिलने के लिए समय मांगा है. इसीलिए माना ये जा रहा है कि वो दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिलने आई हैं.
पूरे चुनाव में बीजेपी ने राजे के चेहरे को प्रोजेक्ट करने से बनाई दूरी
वसुंधरा राजे सूबे की दो बार सीएम रह चुकी हैं. फिर भी बीजेपी ने पूरे चुनाव में राजे को साइड्लाइन किया और किसी भी नेता को आगे न करते हुए पीएम मोदी और कमल के निशान पर चुनाव लड़ा. नतीजों ने पार्टी की इस रणनीति को सफल साबित भी किया. सियासी जानकारों का मानना हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे को साइडलाइन करके किसी अन्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी हाईकमान के लिए आसान नहीं होगा. इस वक्त पार्टी के पास राजे की टक्कर का जनाधार और प्रदेश के समीकरणों में फिट बैठने वाला कोई और नेता नहीं है.
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