NDA में भी उठ रही जातिगत जनगणना की आवाज, BJP ला पाएगी इसका कोई तोड़?

बिहार के CM नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना का आंकड़ा जारी कर ऐसा दांव खेला है कि, विपक्षी भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा…

NDA

NDA

अभिषेक

• 12:36 PM • 06 Oct 2023

follow google news

बिहार के CM नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना का आंकड़ा जारी कर ऐसा दांव खेला है कि, विपक्षी भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं. वजह है, आगामी चुनाव के मद्देनजर एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश. इस कोशिश में नीतीश कुमार ने ऐसा दांव चला है कि, विपक्ष इसे पचा भी नहीं पा रहा और उगल भी नहीं.

Read more!

एक तरफ छत्तीसगढ़ के जगलदपुर में PM मोदी कहते हैं कि, “उनके लिए गरीब ही सबसे बड़ी आबादी है. चाहे वह दलित, आदिवासी, पिछड़ा या सामान्य वर्ग के हो. अगर वह गरीब है तो, देश के संसाधन पर पहला हक उसी का है. उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा आबादी हिंदुओं की है, तो क्या हिंदू आगे बढ़कर अपना हक ले लें”?

मैं इसका विरोधी नहीं- यूपी के डिप्टी सीएम

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं- “मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसी जनगणना का विरोधी नहीं हूं, लेकिन जो लोग इसके नाम पर वोट बैंक तैयार करने के ख्वाब देख रहे हैं, उनका ख्वाब मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसा बनकर रह जाएगा”.

BJP के इन सहयोगी दलों ने किया स्वागत

इधर उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सभी सहयोगी दलों, अपना दल की अनुप्रिया पटेल , निषाद पार्टी के संजय निषाद और सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने जातिगत जनगणना की वकालत की है. बता दें कि, ये सभी पार्टीयां ओबीसी या दलित वर्ग की है.

राम मंदिर के उद्घाटन से जवाब देने की तैयारी?

एक तरफ तो बीजेपी के सहयोगी दल जातिगत जनगणना की वकालत कर रहे हैं, वहीं पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे हुए है. पार्टी इसके काट के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रही है. ‘गरीब कल्याण’ उसी का एक नमूना है. दूसरी तरफ पार्टी राम मंदिर के उद्घाटन की भी तैयारी में है. मेनीफेस्टो में कही बात को पूरा करने से अच्छी सियासत किसी भी राजनीतिक दल के लिए क्या ही हो सकता है. इससे पार्टी अपने हिन्दुत्व के एजेंडा को भी मजबूत करेगी.

इन आंकड़ों ने किया परेशान?

बिहार में हुए जातिगत जनगणना में ओबीसी की 63 फीसदी और SC और ST की जनसंख्या 22 फीसदी निकाल कर आई है. विपक्ष के INDIA अलायंस के लगभग सभी दल “जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी” की बात दुहरा रहे है. बीजेपी पशोपेश में है. वो इस मामले का खुलकर सामने आ भी नहीं पा रही है. पार्टी खुलेमन से इस पहल को स्वीकार भी नहीं कर पा रही है. अब देखना ये होगा कि, विपक्ष के मुद्दे के सामने BJP के मुद्दे कितना कारगर सिद्ध हो पाते हैं.

    follow google newsfollow whatsapp