अजमेर: गरीब नवाज से सालभर बाद उतारी जा रही संदल, सेहत के लिए खास होती है, जानें फायदे

Ajmer: विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स की धार्मिक रस्में अनौपचारिक झंडा चढऩे के साथ शुरू हो गई है. शनिवार रात दरगाह में ख्वाजा साहब की मजार से खादिमों ने संदल उतारने की रस्म अदा की. दरगाह में मौजूद जायरीन को संदल तकसीम किया गया. संदल लेने के लिए […]

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चंद्रशेखर शर्मा

22 Jan 2023 (अपडेटेड: 22 Jan 2023, 10:24 AM)

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Ajmer: विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स की धार्मिक रस्में अनौपचारिक झंडा चढऩे के साथ शुरू हो गई है. शनिवार रात दरगाह में ख्वाजा साहब की मजार से खादिमों ने संदल उतारने की रस्म अदा की. दरगाह में मौजूद जायरीन को संदल तकसीम किया गया. संदल लेने के लिए जायरीन में होड़ मच गई. सालाना उर्स के मद्देनजर छह दिनों के जन्नती दरवाजा आम जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा.

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दरगाह के खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स के आगाज से पूर्व शनिवार को दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारा गया, जिसको आम जायरीन में तकसीम किया गया. संदल लेने के लिए जायरीनों में होड़ सी मची रही. सखी ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर होने वाली खिदमत के दौरान वर्षभर संदल पेश किया जाता है, उर्स के दौरान चांद दिखाई देने से पूर्व वर्षभर प्रस्तुत किए गए संदल को उतारा जाता है.

दरगाह में आने वाले अकीदतमंदो को यह संदल तबर्रुक के रूप में दिया जाता है. अकीदतमंदों का विश्वास है कि मजार से उतारे गए संदल में चमत्कारी गुण है. इसे पानी में मिलाकर पीने से शरीर में व्याप्त बीमारियों से छुटकारा मिलने की मान्यता है. अजमेर दरगाह आने वाले जायरीन को खादिम यह संदल देते हैं. बीमार व्यक्ति की बेहतर सेहत के लिए दूर दराज से लोग संदल मंगवाते है. दरगाह के खादिम सय्यद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज को खुशबू पसंद थी. इसलिए उनकी मजार पर संदल, गुलाबजल और केवड़ा का मिश्रण लगाया जाता है. वर्ष में एक बार मजार से संदल उतारा जाता है. रात्रि में खिदमत के बाद खादिमों ने ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किए संदल को उतारा गया.

खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर होने वाली खिदमत के दौरान वर्षभर संदल पेश किया जाता है, उर्स के दौरान चांद दिखाई देने से पूर्व वर्षभर प्रस्तुत किए गए संदल को उतारा जाता है. दरगाह में आने वाले अकीदतमंदो को यह संदल तबर्रुक के रूप में दिया जाता है. अकीदतमंदों का विश्वास है कि मजार से उतारे गए संदल में चमत्कारी गुण है. इसे पानी में मिलाकर पीने से शरीर में व्याप्त बीमारियों से छुटकारा मिलने की मान्यता है.

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