Rajasthan: कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले के बीच लोगों की सेहत से जुड़ा एक और बड़ा और गंभीर खुलासा हुआ है. राजस्थान में पिछले एक साल के भीतर कई बड़ी बीमारियों की दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं. हैरानी की बात यह है कि ये खतरनाक गोलियां पहले ही हजारों की संख्या में बिक चुकी है. इनमें एंटीबायोटिक, हृदय रोग, डायबिटीज और एंटी-एलर्जी की दवाएं शामिल हैं.
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चौंकाने वाली बात यह है कि कई दवाओं में तो जरूरी साल्ट भी नहीं मिला, जिससे मरीजों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है.
फेल हुईं ये दवाएं
औषधि नियंत्रण विभाग की जांच में कई दवाओं के सैंपल अमानक पाए गए हैं. इनमें एंटीबायोटिक्स, एंटी-डायबिटिक समेत अनेक दवाएं शामिल हैं. इन दवाओं के सैंपल फेल हुए...
- एंटीबायोटिक्स: इमोक्सीसिलन, सिफ्रोफ्लोक्सासिन, सेफपोडॉक्सिन और सेफट्राइजोन इंजेक्शन के 6 बैच फेल. मेडिरिच लिमिटेड की 1 लाख से ज्यादा गोलियां बिक चुकीं.
- स्टेरॉयड: बीटामेथासोन के 3 बैच फेल. मेडिवेल बायोटिक की 30 हजार दवाएं बिक चुकीं.
- एंटी-एलर्जी: लिवोसिट्रिजिन और मॉन्टेलुकास्ट के 4 बैच फेल. थेराविन फार्माल्यूसेशन की 35 हजार गोलियां बिक चुकीं.
- एंटी-डायबिटिक: ग्लिमिप्राइड और पायोग्लिटाजोन के 3 बैच फेल. रिलीफ बायोटेक की 18 हजार दवाएं बिक चुकीं.
- पेनकिलर: एसिक्लोफेनाक और पैरासिटामॉल के 3 बैच फेल. 20 हजार गोलियां बिक चुकीं.
- कैल्शियम और गैस की दवाएं: कैल्शियम और विटामिन डी3 के 8 बैच और पेट की गैस की दवाओं के 3 बैच फेल.
- हृदय रोग: लोसरटान के 2 बैच फेल. एमेक्स फार्मा की 10 हजार से ज्यादा टैबलेट बिक चुकीं.
दवा से साल्ट गायब
जांच में यह भी सामने आया कि कई दवाओं में जरूरी साल्ट ही नहीं था. पेट दर्द, नाक-कान की दवाओं से लेकर इंजेक्शन और फ्लूइड में भी खामियां मिलीं. कुछ इंजेक्शनों में तो इंफेक्शन पाया गया, जो मरीजों के लिए घातक हो सकता है.
कार्रवाई में देरी हुई
राजस्थान औषधि नियंत्रण विभाग के कमिश्नर टी. शुभमंगलन ने बताया कि अगले दो दिनों में 65 दवा कंपनियों की सघन जांच की जाएगी. उन्होंने कहा, "हम अमानक दवाओं को लेकर गंभीर हैं." हालांकि, नियमों में खामियों के चलते कार्रवाई में देरी हो रही है. सैंपल फेल होने के बाद कोर्ट केस दर्ज होना चाहिए, लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं हुआ. कोलकाता की सेंट्रल लैब में सैंपल भेजकर राष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी लगाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई.
ड्रग कंट्रोल विभाग की लापरवाही
राजस्थान के औषधि नियंत्रण विभाग की जांच में यह पूरा मामला सामने आया है. विभाग की प्रयोगशाला में दवाओं की जांच तो हुई और नतीजे भी आए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर गंभीर लापरवाही बरती गई. राजस्थान ड्रग कंट्रोलर विभाग के अनुसार, सैकड़ों दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं लेकिन नियमानुसार इन नकली दवाओं के सैंपल फेल होने पर कोर्ट केस होना चाहिए था, जो ज्यादातर मामलों में नहीं हुआ.
इतना ही नहीं, नियमों के अनुसार इन कंपनियों के सैंपल कोलकाता की सेंट्रल लेबोरेटरी से जांच करवाकर राष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी लगाने के लिए लिखना था लेकिन राजस्थान के ड्रग कंट्रोलर रिपोर्ट लेकर बैठे रहे.
नकली दवाओं का जाल
हर बीमारी की नकली दवा बाजार में उपलब्ध है. जांच पूरी होने और पाबंदी लगने तक लाखों मरीज इन दवाओं का इस्तेमाल कर चुके होते हैं. ज्यादातर नकली दवाएं दूसरे राज्यों से आ रही हैं, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है. दवा कंपनियां इस लचर व्यवस्था का फायदा उठा रही हैं.
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