Ashok gehlot meeting with suryakanta vyas: वसुंधरा राजे के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) ने 85 वर्षीय विधायक सूर्यकांता व्यास (suryakanta vyas) के लिए भी वही बातें कह दी. इसके बाद वो उनसे मिलने भी चले गए. गहलोत से उनकी ये मुलाकात सियासी गलियारों में काफी चर्चा में रही. इस मुलाकात पर गहमा-गहमी इतनी बढ़ी कि अगले ही दिन बुधवार सुबह 6 बीजेपी के पदाधिकारियों ने डेरा डाल दिया. 11 बजे के करीब मीटिंग भी हुई.
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जोधपुर की सूरसागर सीट को लेकर आखिर इतनी गहमा-गहमी क्यों है? अपनी विधायक और वरिष्ठ नेता सूर्यकांता व्यास का टिकट काटने के बाद भी बीजेपी गहलोत के जादुई दांव से घबराई हुई क्यों है? कांग्रेस ने सूरसागर की सीट पर प्रत्याशी घोषित न करके इसे होल्ड पर क्यों रखा है? सूर्यकांता व्यास के लिए गहलोत ने क्या कहा जिससे उनके कांग्रेस में आने के कयास लगाए जाने लगे.
गहलोत के इस बयान से शुरू हुई सियासत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 अक्टूबर को जोधपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि भाजपा ने सूरसागर की विधायक सूर्यकांता व्यास का टिकट काट दिया. अब यह सजा जीजी को मिली है. दो बार उन्होंने मेरे लिए कमेंट किया था, मुझे आशीर्वाद दिया था. इसका उनको पनिशमेंट मिला है, जबकि उनको सम्मान मिलना चाहिए था. गौरतलब है कि इससे पहले यही बात उन्होंने वसुंधरा राजे के लिए कही थी.
बीजेपी ने क्यों डाला डेरा?
इधर टिकट काटने के बावजूद बीजेपी ने सूर्यकांता व्यास के घर अगले ही दिन डेरा डाल दिया. दरअसल बीजेपी को लगने लगा है कि गहलोत उनके 85 साल की लीडर पर भरोसा जताकर जोधपुर का सियासी समीकरण बदल देंगे. ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2018 में जोधपुर की इन तीन सीटों में से एक पर बीजेपी (सूर्यकांता व्यास) और बाकी पर अशोक गहलोत समेत कांग्रेस का कब्जा था.
तीन चुनावों से जिले में 2-1 की सियासत
पिछले तीन चुनावों से जोधपुर में 2-1 की सियासत हो रही है. बात साल 2008 की करें तो इस साल यहां बीजेपी के बाद 2 और कांग्रेस के पास एक सीट (अशोक गहलोत) थी. यही हाल 2013 में भी था. 2018 में कांग्रेस के पास दो सीटें आ गईं, वहीं बीजेपी के पास एक ही सीट (सूर्यकांता व्यास) रही. अब गहलोत इसे 3-0 के खेल में बदलने की तैयारी में हैं.
सूरसागर सीट का क्या है सियासी समीकरण
सूरसागर सीट पर अल्पसंख्यक और ब्राह्मण वोटों में ज्यादा अंतर नहीं है. इसके अलावा यहां 60 हजार के करीब ओबीसी, सिंधी और कायस्थ मिलाकर 35000 के आसपास वोट हैं. बीजेपी पिछले तीन चुनावों से यहां ब्राह्मण कार्ड खेलकर जीत रही है. इससे पहले ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. इस सीट पर अभी तक बीजेपी का ही दबदबा रहा है. चूंकि जोधपुर की तीनों सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर बाकी सीटों को साधने की कोशिश करती है. वहीं इस बार कांग्रेस सूरसागर से ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है. बीजेपी ने देवेंद्र जोशी को टिकट देकर ये दांव चल दिया है.
जिले की 10 सीटों में 7 पर कांग्रेस का कब्जा
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जोधपुर जिले की 10 सीटों में 7 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा रहा. एक सीट आरएलपी के खाते में गई थी. जोधपुर की तीन सीटों में से दो पर कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. तीसरी सीट सूरसागर पर अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है.
टिकट कटने का शेखावत से क्या है कनेक्शन?
सूरसागर सीट पर घोषित बीजेपी कैंडिडेट देवेंद्र जोशी को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का खास माना जाता है. कहा जा रहा है कि शेखावत और सूर्यकांता के व्यास के बीच जुबानी जंग भी उम्मीदवारी की लिस्ट से गायब होने की प्रमुख वजह है. इस बात को सूर्यकांता व्यास भी कह चुकी हैं.
कौन हैं सूर्यकांता व्यास जिनके आगे PM मोदी भी झुके
सूर्यकांता व्यास प्रदेश की सबसे बड़ी (85 वर्ष) की विधायक हैं. राजस्थान की सियासत में लोग इनके सम्मान में इन्हें जीजी कहते हैं. वे वर्ष 1990 से लेकर अब तक करीब 7 बार चुनाव लड़ चुकी हैं. सूर्यकांता व्यास को वसुंधरा राजे गुट का माना जाता है. बीजेपी में रहने के बावजूद इनके सीएम गहलोत से पारिवारिक संबंध हैं. वे अक्सर उनकी तारीफ करती नजर आती हैं. एक कार्यक्रम में पीएम मोदी भी इनके आगे नतमस्तक होते नजर आए थे. ये तस्वीर सियासी गलियारों में खूब चर्चा में रही थी.
गहलोत की राजाओं से कर दी थी तुलना
सीएम गहलोत किस बात के लिए जीजी को सजा मिलने की बात कह रहे हैं. दरअसल सूर्यकांता व्यास ने जोधपुर शहर के चांदपोल क्षेत्र में पुष्करणा समाज की कुलदेवी उष्ट्र वाहिनी के मंदिर के जीर्णोंद्धार के लिए गहलोत से निवेदन किया था. उनके निवेदन पर गहलोत ने 4.75 करोड़ रुपये के बजट की स्वीकृति दे दी. इसपर सूर्यकांता व्यास ने उनकी तुलना राजे-महाराजाओं से कर दी.
तो क्या सूर्यकांता व्यास लड़ेंगी चुनाव?
सबसे पहले सवाल ये उठता है कि सूर्यकांता व्यास 85 साल की हो गई हैं. बीजेपी ने उनका टिकट भी काट दिया है. सीएम गहलोत से मुलाकात के बाद बीजेपी पदाधिकारी जब उनके घर पहुंचे तो वे पार्टी छोड़ने जैसी किसी भी बात से मुकर गईं. अब सवाल ये उठता है कि क्या जीजी अभी भी चुनाव लड़ेंगी. दरअसल पिछले दिनों जीजी ने साफ कर दिया था कि वे मरते दम तक चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में अब इस बात के कयास जोरों पर हैं कि वे सूरसागर सीट से कांग्रेस पार्टी के चुनावी चिन्ह पर लड़ सकती हैं.
इनपुट: जोधपुर से अशोक शर्मा.
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