झालरापाटन सीटः जहां बेअसर है जातिगत समीकरण और मुद्दे, पिछले 20 साल से जीतती आ रही हैं वसुंधरा राजे

Jhalrapatan Vidhansabha Seat: झालरापाटन विधानसभा सीट से वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायक हैं. उन्होंने साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह को 34 हजार 980 वोटों से हरा कर जीत दर्ज की. राजस्थान की एक सीट जहां की राजनीति में ना मुद्दे प्रभावी है और ना जातिगत समीकरण. पिछले […]

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राजस्थान तक

09 Jun 2023 (अपडेटेड: 09 Jun 2023, 10:10 AM)

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Jhalrapatan Vidhansabha Seat: झालरापाटन विधानसभा सीट से वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायक हैं. उन्होंने साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह को 34 हजार 980 वोटों से हरा कर जीत दर्ज की. राजस्थान की एक सीट जहां की राजनीति में ना मुद्दे प्रभावी है और ना जातिगत समीकरण. पिछले 2 दशक की राजनीति पूर्व सीएम राजे के इर्द-गिर्द घूम रही है. ‘राजस्थान तक’ की खास सीरीज के तहत आज हम आपको बता रहे हैं इस सीट के पिछले चुनावी परिणाम, वोट शेयर और भी बहुत कुछ.

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प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में झालावाड़ जिले की इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. जहां साल 2018 के दौरान वसुंधरा राजे को अपनी पारंपरिक सीट बचाने के लिए चुनौती झेलनी पड़ी. हालांकि कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह को 34,980 मतों से हराकर पांचवीं जीत दर्ज की.  

इस सीट ही नहीं, बल्कि पूरे झालावाड़ जिले को वसुंधरा राजे का गढ़ कहा जाता है. वसुंधरा राजे के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस कई प्रयोग कर चुकी है. सचिन पायलट की मां रमा पायलट ने भी इस सीट से ताल ठोंकी थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी है.

1998 के बाद से कांग्रेस का सूखा
यह सीट पिछले 20 साल से कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है. साल 1990 और 1993 के चुनावों में बीजेपी की जीत हुई. उसके बाद 1998 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई, लेकिन 2003 के चुनाव में वसुंधरा राजे ने जीत दर्ज की. जब राजे ने नामांकन भरा तो उनके सामने सचिन पायलट की मां रमा पायलट मैदान में थी. इस दौरान 27 हजार वोटों के अंतर से वसुंधरा राजे की जीत हुई. जिसके बाद 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में जीत हासिल की.

हर जाति को साधा, बेअसर हुए जातिगत समीकरण 
झालरापाटन की सीट पर करीब दो लाख 73 हजार मतदाता हैं. जिनमें सबसे अधिक 45 हजार मुसलमान, 17 हजार राजपूत, 20 हजार डांगी, अनुसूचित जाति 35 हजार, अनुसूचित जनजाति 10 हजार, ब्राह्मण 28 हजार, गुर्जर 22 हजार और 30 हजार पाटीदार मतदाता हैं. खास बात यह है कि वसुंधरा राजे की इस इलाके में हर जाति पर पकड़ है. जिसके चलते यहां सभी जातिगत समीकरण बेअसर होते दिखाई देते है. हालांकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को झालरापाटन से उम्मीदवार बनाकर मुकाबला रोचक बना दिया था. जिसके बाद वसुंधरा सरकार से राजपूतों की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश में कांग्रेस को बहुत ज्यादा मौका नहीं मिल पाया.

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