Baran, Rajasthan: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर शुक्रवार को बारां जिले के दौरे पर थे. जिला परिषद सभागार में आयोजित खुली जनसुनवाई में उन्होंने आम लोगों की समस्याएं सुनीं. लेकिन इस दौरान एक अनोखी घटना ने सबका ध्यान खींच लिया.
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छात्रा ने अंग्रेजी में किया सवाल, मंत्री हुए हैरान
जनसुनवाई में मौजूद छात्रा दामिनी हाड़ा ने जब शिक्षा मंत्री से अंग्रेजी में सवाल पूछना शुरू किया, तो मंत्री जी पहले तो चौंक गए. फिर हंसते हुए अपने कान पकड़े और हाथ जोड़कर बोले, "मैं गांव का आदमी हूं, अंग्रेजी समझ नहीं आती." यह सुनकर वहां मौजूद लोग भी हंस पड़े. इसके बाद दामिनी ने हिंदी में अपना सवाल दोहराया.
सरकारी स्कूलों की बदहाली पर उठाए सवाल
छात्रा दामिनी ने सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए. उसने बताया कि बारां जिले के सरकारी स्कूलों में इमारतें जर्जर हैं, शिक्षकों की कमी है और संसाधनों का अभाव है.
दामिनी ने कहा, "गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन वहां न शिक्षक हैं, न कंप्यूटर जैसी आधुनिक सुविधाएं. कई स्कूलों में तो एक-दो शिक्षक ही सैकड़ों बच्चों को पढ़ाते हैं."
छात्रा की बेबाकी ने जीता दिल
दामिनी ने बिना किसी डर के अपनी बात रखी. उसने बताया कि कई गांवों में स्कूल तक नहीं हैं, जिसके कारण बच्चों को दूर पैदल जाना पड़ता है. उसने पूछा, "सरकार की क्या योजना है ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके?"
दामिनी ने यह भी कहा कि आज के समय में आधुनिक शिक्षा जरूरी है, लेकिन सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर और प्रोजेक्टर जैसी सुविधाएं न के बराबर हैं.
मंत्री ने दिया जवाब
शिक्षा मंत्री ने दामिनी की बातों को ध्यान से सुना. उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है. हालांकि, दामिनी ने बताया कि अभी भी कई जगहों पर विकास की रफ्तार धीमी है और बहुत से गांवों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं.
छात्रा की हिम्मत की तारीफ
दामिनी की बेबाकी और आत्मविश्वास ने सभी का दिल जीत लिया. उसने न सिर्फ अपनी बात रखी, बल्कि जिले के तमाम विद्यार्थियों की समस्याओं को शिक्षा मंत्री के सामने उजागर किया. यह घटना बारां में चर्चा का विषय बन गई है.
क्या बोलीं दामिनी हाड़ा?
दामिनी ने कहा, "हम विद्यार्थी अपनी परेशानियां अक्सर किसी के सामने नहीं रख पाते. मैंने सोचा कि सभी बच्चों की समस्याएं सामने लानी चाहिए. सरकारी स्कूलों में सुविधाएं नहीं हैं. शिक्षकों की कमी है. कंप्यूटर हैं, लेकिन चलते नहीं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि गरीब बच्चों का भविष्य भी बेहतर हो."
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