बारां: पॉली हाउस बनाकर ऐसे लाखों रुपए की कमाई कर रहा किसान, पहले खेती में होता था नुकसान

Rajasthan: बारां जिले के नाहरगढ़ कस्बे के किसान ने जुगल किशोर खेती में नवाचार कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. किसान जुगल किशोर 2000 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस बनाकर खीरे की खेती से लाखों रुपए का लाभ कमा रहे हैं. किसान पॉली हाउस में साल में दो खेती कर 5 से 6 लाख […]

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Ram Pratap

• 10:22 AM • 12 Feb 2023

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Rajasthan: बारां जिले के नाहरगढ़ कस्बे के किसान ने जुगल किशोर खेती में नवाचार कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. किसान जुगल किशोर 2000 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस बनाकर खीरे की खेती से लाखों रुपए का लाभ कमा रहे हैं. किसान पॉली हाउस में साल में दो खेती कर 5 से 6 लाख रु का लाभ कमा रहे हैं. पॉली हाउस कम जमीन एवं लागत में अधिक लाभ कमाने का एक अच्छा मध्यम भी बताया है.

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पॉली हाउस में खीरे की फसल का 1 साल में 50 से 60 टन उत्पादन होता है. जिसमे लगभग 10 से 12 लाख की आय होती है. वहीं खीरा आदिवासी अंचल से राजधानी जयपुर तक पहुंच रहा है. देशभर के किसानों के बीच खेती किसानी में आधुनिक तकनीक का प्रयोग बढ़ रहा है. इसकी मदद से खेती आसान हो गई है. जिससे किसानों की समृद्धि भी बढ़ रही है.

युवा किसानों के अलावा सदियों से पारंपरिक खेती करने वाले किसान भी खेती के आधुनिक तरीके को अपनाने लगे हैं. राजस्थान के किसान आधुनिक खेती की तकनीक को अपनाकर खेती किसानी के जरिए नया मुकाम हासिल कर रहे हैं. राजस्थान के आदिवासी अंचल नाहरगढ़ के किसान जुगलकिशोर मंगल ने पॉलीहाउस में खीरे की खेती कर पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफा हासिल किया है.

किसान जुगलकिशोर मंगल ने बताया कि परंपरागत खेती में बढ़ रही लागत से निजात पाने के लिए उन्होंने खेती में नवाचार करने का इरादा बनाया. इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें पॉलीहाउस के बारे में जानकारी दी. साथ ही सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी एवं अन्य सुविधाओं के बारे में अवगत कराया.

2019 में उन्होंने पॉली हाउस बनाया जिसमें उन्होंने खीरे की फसल उगाई. पहले ही साल में उन्हें करीबन 3.5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. उसके बाद कोविड-19 के कारण देश प्रदेश में लोक डाउन जैसे हालात बन गए. इसकी वजह से पिछले 2 वर्षों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी. आज एक बार फिर से आदिवासी अंचल का खीरा प्रदेश की राजधानी तक पहुंच रहा है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती जा रही है.

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