Khairthal-Tijara Rename Bhartrihari Nagar: राजस्थान सरकार ने खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने का फैसला लिया है. यह निर्णय खैरथल-तिजारा जिले के स्थापना दिवस पर किया गया. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट प्रस्ताव में मंजूरी के बाद इसके नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
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इसके अलावा, जिला मुख्यालय को खैरथल से भिवाड़ी करने की भी तैयारी है. वहीं सरकार के इस फैसले का खैरथल विधायक दीपचंद खैरिया ने विरोध जताया है. विधायक ने कहा अगर मुख्यालय बदला गया तो मैं इसका कड़ा विरोध करूंगा.
केंद्रीय मंत्री ने किया स्वागत
अलवर सांसद और केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "खैरथल-तिजारा का नाम बाबा भर्तृहरि के नाम पर रखना गर्व की बात है. अलवर उनकी तपोभूमि रहा है. यह निर्णय सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देगा."
कांग्रेस विधायक ने जताई आपत्ति
इस फैसले पर किशनगढ़बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा, "जिला मुख्यालय को कहीं और ले जाना गलत है. मैं इसका विरोध करूंगा. सरकार के लोग गांवों में घुस नहीं पाएंगे."
2 साल पहले बनाया गया था खैरथल-तिजारा जिला!
आपको बता दें 2023 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गहलोत सरकार ने 19 जिलें बनाए थे. 4 अगस्त 2023 को खैरथल को नया जिला घोषित किया गया था. उस समय भिवाड़ी को जिला बनाने की मांग उठी थी. कांग्रेस विधायक संदीप यादव ने इस संबंध में विधानसभा के बाहर बैठकर धरना भी दिया था. जिसके बाद इसका नाम खैरथल-तिजारा किया गया था.
क्या है जिले के नाम बदलने की प्रक्रिया
- जिले का नाम बदलने की पहल जनता, MLA, MP या स्थानीय प्रशासन द्वारा की जाती है.
- इसके बाद राज्य सरकार के स्तर पर एक प्रस्ताव तैयार होता है, जिसे राज्य की कैबिनेट/मंत्रिपरिषद में स्वीकृति के लिए भेजा जाता है.
- मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव राज्य विधानसभा में पेश किया जाता है. जब यह बहुमत से पास हो जाता है तो राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है.
- राज्यपाल प्रस्ताव पर अपनी सहमति देते हैं उसके बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार (गृह मंत्रालय) को भेजा जाता है.
- गृह मंत्रालय विभिन्न एंजेंसियों (जैसे सर्वे ऑफ इंडिया, रेलवे, डाक, इंटेलिजेंस ब्यूरो आदि) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेता है. सभी से अनुमति मिलने पर केंद्र सरकार अंतिम मंजूरी देती है और परिवर्तन को स्वीकार कर लेती है.
- राज्य सरकार नए नाम की अधिसूचना (राजपत्र/गजट) प्रकाशित करती है, जिससे उस जिले का नाम आधिकारिक तौर पर बदल जाता है.
- गजट के बाद संबंधित डीएम (जिलाधिकारी) एवं सभी सरकारी विभागों को नाम के परिवर्तन की सूचना भेजी जाती है. सभी सरकारी दस्तावेज़ों, बोर्डों, स्टेशनरी, सील-मोहर आदि में नया नाम अपडेट किया जाता है.
अलवर जिले में मौजूद हैं बाबा भर्तृहरि का मंदिर
बाबा भर्तृहरि मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है. यह मंदिर अलवर जिले में स्थित है. जो अलवर शहर से करीब 30 से 32 किलोमीटर दूर स्थित है.
वहीं, खैरथल से लगभग इस मंदिर की दूरी 85 किलोमीटर दूर है. इसके अलावा, भिवाड़ी से इसकी दूसरी लगभग 120 किलोमीटर दूर है. हालांकि तिजारा में भर्तृहरि बाबा की तपोभूमि है, जहां गुंबद भी मौजूद है.
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