महज 8 महीने के भीतर ही राजस्थान में तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली भारत आदिवासी पार्टी (BAP) टूटने की कगार पर है. भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी से अलग हुए सदस्यों ने इन सदस्यों ने अलग पार्टी बनाई थी. लेकिन एक बार फिर इनमें फूट नजर आ रही है. चौरासी उपचुनाव से पहले इस तरह की खबरें आने के बाद दक्षिण राजस्थान की सियासत हिल चुकी है. दरअसल, जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर फैसला सुनाया तो कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया. इसी दौरान बाप पार्टी दो गुटों में बंटी हुई नजर आई.
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पहली बार सांसद बने राजकुमार रोत ने समाज से बंद का समर्थन करने का आग्रह किया तो वहीं, पार्टी के दूसरे संस्थापक सदस्य ने इसका विरोध. रोत ने आरोप लगाया कि फूट डालो और राज करो की मानसिकता वाली नीति से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा ST- SC आरक्षित समाज को आपस में लड़ाने के फैसले का हम विरोध करते हैं.
जबकि कांति भाई रोत का कहना था कि भारत बंद का आह्वान कौनसे संगठन ने किया है, 2 अप्रैल की घटना झेल चुके हैं. हवाई फायर आदेश नहीं चलेगा. जिसके बाद पार्टी में मतभेद की खबरों ने जोर पकड़ लिया.
चौरासी में उम्मीदवारी को लेकर गुटबाजी!
इस पूरे मामले में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पार्टी के भीतर वर्चस्व और पद की लड़ाई के चलते ऐसा हो रहा है. क्योंकि उपचुनाव से पहले चौरासी सीट पर दावेदारी को लेकर कांति भाई रोत दम लगाए हुए हैं. क्योंकि कांति भाई साल 2019 में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा और 2023 में डूंगरपुर सीट से विधानसभा लड़ चुके हैं. लेकिन इन दोनों चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली. जबकि राजकुमार रोत वाला गुट चाहता है कि उनका कोई विश्वस्त को टिकट मिल जाए.
विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले बनी पार्टी ने लहराया था परचम
भारतीय आदिवासी पार्टी का गठन राजस्थान में विधानसभा चुनाव के ठीक 2 महीने पहले हुआ था. इसके बाद विधानसभा चुनाव में राजकुमार रौत समेत तीन विधायकों ने जीत का परचम लहराया. चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत, डूंगरपुर जिले के आसपुर विधानसभा से उमेश मीणा और प्रतापगढ़ जिले की धरियावद सीट से थावरचंद ने जीत दर्ज की और विधायक बने. वहीं बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की कई विधानसभाओं में भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे. भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) महज 8 महीने में ही राजस्थान में आरएलपी और आम आदमी पार्टी से बड़ी पार्टी बन गई. अब 'बाप' पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के बाद प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है.
इसके बाद जब बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के राजकुमार रोत को समर्थन दिया तो उन्होंने कांग्रेस के बागी और बीजेपी में आए दिग्गज नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया को बडे़ अंतर से शिकस्त देकर प्रदेश की सियासत में खलबली पैदा कर दी थी. जबकि मालवीया के इस्तीफे से खाली हुई उनकी सीट और उनका गढ़ कहे जाने वाले बागीदौरा से 'बाप' के ही जयकृष्ण पटेल ने 51 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीता है.
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