राजस्थान में कफ सिरप से मौत, डॉक्टर खुद 8 घंटे बेहोश, ब्लैकलिस्ट दवा मार्केट में कैसे पहुंची?

राजस्थान में ब्लैकलिस्टेड कफ सिरप पीने से एक बच्चे की मौत हो गई और 11 लोग बीमार पड़ गए. केसन फार्मा कंपनी का यह सिरप बैन होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों में सप्लाई हो रहा था. जांच से बचने के लिए कंपनी ने फैक्ट्री पर ताला लगा दिया.

Cough Syrup Death
Cough Syrup Death

शरत कुमार

02 Oct 2025 (अपडेटेड: 02 Oct 2025, 02:39 PM)

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राजस्थान में एक खांसी की दवा से जुड़ा गंभीर मामला सामने आया है. दवा के सेवन से एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि 10 अन्य बच्चे और एक डॉक्टर की हालत गंभीर हो गई.

यह मामला सीकर, जयपुर, झुंझुनू, भरतपुर और बांसवाड़ा जिलों से जुड़ा है. जांच में पता चला कि केसन फार्मा कंपनी का कफ सिरप 'डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड' ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा योजना के तहत बांटा जा रहा था. इस हादसे के बाद कंपनी ने अपनी फैक्ट्री बंद कर दी और कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया. 

फैक्ट्री पर ताला, कर्मचारी गायब

जयपुर के सरणाडूंगर में स्थित केसन फार्मा की फैक्ट्री पर जब जांच टीम पहुंची, तो वहां ताला लटका मिला. आसपास के लोगों ने बताया कि तीन दिन से फैक्ट्री बंद है और कोई कर्मचारी नजर नहीं आया.

एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "यहां 30-40 लोग काम करते थे लेकिन अब कोई नहीं दिखता." फैक्ट्री के पीछे दवाओं का कचरा बिखरा पड़ा था. वहां तैनात नए गार्ड ने बताया कि वह तीन दिन पहले ही आया है और तब से फैक्ट्री बंद है. 

ब्लैकलिस्ट दवा नए फॉर्मूले से बेची

दस्तावेजों से पता चला कि केसन फार्मा का एक कफ सिरप 2023 और 2025 में ब्लैकलिस्ट हो चुका था. फरवरी 2025 में सरकारी आदेश के बाद इसकी सप्लाई पर रोक लगाई गई थी. इसके बावजूद कंपनी ने प्रतिबंधित साल्ट को नए फॉर्मूले में बदलकर सरकारी अस्पतालों में दवा पहुंचाना जारी रखा.

कंपनी के मालिक वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने दावा किया, "हमारा एक सिरप ब्लैकलिस्ट हुआ था, लेकिन डेक्स्ट्रोमेथोर्फन पर कोई बैन नहीं है. यह हादसा डॉक्टरों द्वारा दवा की गलत खुराक देने की वजह से हुआ." हालांकि, उन्होंने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया.

निजी लैब में होती है दवाओं की जांच

पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि राजस्थान में मुफ्त दवा योजना के तहत दी जाने वाली दवाओं की जांच सरकारी लैब में नहीं, बल्कि निजी लैब में होती है. साल 2024 में 101 दवाओं के सैंपल जांच में फेल हुए थे. 2025 में अब तक 81 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरीं. फिर भी ड्रग कंट्रोल विभाग ने इन दवाओं की बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई. 

सरकार ने उठाए सख्त कदम

इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड साल्ट वाले सभी कफ सिरप की सप्लाई पर रोक लगा दी है. राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के एमडी पुखराज सेन ने कहा, "अब हम प्रस्ताव लाएंगे कि अगर किसी कंपनी की एक दवा ब्लैकलिस्ट होती है तो उसकी सभी दवाओं की सप्लाई रोकी जाए." सरकार ने मामले की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति भी बनाई है. 

भरतपुर में डॉक्टर ने खुद ली सिरप, तो हुए बेहोश

भरतपुर के बयाना में 3 साल के गगन कुमार को 24 सितंबर को कफ सिरप दिए जाने के बाद उसकी तबियत खराब हो गई थी. उसकी मां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी के पास शिकायत करने गई, जिन्होंने सिरप लिखा था.आत्मविश्वासी डॉ. योगी ने फिर खुद सिरप की एक खुराक ली और एम्बुलेंस ड्राइवर राजेंद्र को भी यह साबित करने के लिए दी कि यह सेफ है.

इसके बाद डॉक्टर अपनी कार से भरतपुर के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें नींद आने लगी, उन्होंने कार सड़क किनारे खड़ी कर दी और बेहोश हो गए. काफी देर तक उनसे कोई संपर्क न होने पर, उनके परिवार ने उनके मोबाइल लोकेशन का पता लगाया और आठ घंटे बाद उन्हें कार में बेहोश पाया. एम्बुलेंस ड्राइवर ने भी सिरप दिए जाने के तीन घंटे बाद इसी तरह के लक्षण बताए और इलाज के बाद ठीक हो गया.

सरकार ने बनाई जांच कमेटी

राजस्थान सरकार ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बना दी है. इस कंपनी की खांसी वाली दवा पर भी पाबंदी लगा दी है, जांच समिति की रिपोर्ट से इस मामले की सच्चाई सामने आने की उम्मीद है. 

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