Dholpur news: धौलपुर में पत्थर खदानों से निकले रेड स्टोन का पूरे विश्व में नाम है. स्टोन व्यापारी बीहड़ों में से पहाड़ काटकर विश्व के विभिन्न भागों में भेजते रहे हैं. देश में बनी प्रमुख इमारतों में रेड स्टोन की प्रमुख भूमिका है चाहे वह राष्ट्रपति भवन हो, संसद भवन हो, लाल किला हो, कुतुबमीनार हो,अक्षरधाम, आगरा का लाल किला हो इन सबमें धौलपुर के स्टोन की बहुत अहम भूमिका रही है. लेकिन इन खदानों में पत्थर तोड़कर अपने परिवार का पेट भरने वाले मजदूरों को डस्ट (रज) से सिलिकोसिस बीमारी लग जाती है. सिलिकोसिस बीमारी हो जाने के बाद मजदूर अस्पताल और ऑफिस के चक्कर लगा कर परेशान हो जाता था. दलालों के चक्कर में पड़ कर मोटी रकम भी बर्बाद कर देता था.
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जिले के डांग इलाके में हजारों की तादाद में लोग पत्थर तोड़ कर अपने परिवार का पेट भरते हैं. सिलिकोसिस प्रमाण पत्र और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को सरल और ऑनलाइन कराने के लिए जिले की सोच बदलो-गांव बदलो टीम ने एक मुहीम छेड़ दी. आरटीआई और डिजिटल माध्यम से राजस्थान सरकार को जगाने का काम किया. सोच बदलो-गांव बदलो टीम के कार्यकर्ता डिजिटल मैन मनीराम मीणा ने राजस्थान सरकार को सिलिकोसिस प्रमाणीकरण की जटिल प्रकिया को सरल करवाने के साथ सिलिकोसिस से पीड़ित और उनके आश्रितों को मिलने वाली सहायता राशि को सुगम बनाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को सुझाव भेजे.
अब सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर न्यू सिलिकोसिस पोर्टल शुरू कर दिया है. पीड़ित मजदूरों को प्रमाण पत्र बनवाने और वेरिफिकेशन के नाम पर बार-बार ऑफिसों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. अब पीड़ित मजदूरों को घर बैठे ही सहायता राशि उपलब्ध हो सकेगी. सिलिकोसिस बीमारी की नई गाइडलाइन में सीएचसी स्तर पर ही सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. न्यू सिलिकोसिस पोर्टल जारी करने के बाद खदानों में काम करने वाले मजदूर काफी खुश हैं और वह सोच बदलो-गांव बदलो टीम का आभार व्यक्त कर रहे हैं.
टीम के कार्यकर्ता मनीराम मीणा ने बताया कि सरकार की ओर से सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों को आर्थिक सहयोग तो मुहैया कराई जाती है, लेकिन बिचौलियों और दलालों के चक्कर में सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों को उनका हक नहीं मिल रहा था. पीड़ित मजदूरों को सरकारी सहायता राशि मिलने की प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि बीमारी से जूझते हुए मजदूर को सहायता नहीं मिलती. मरने के बाद उसके परिवार को भटकना पड़ता था. सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों और उनके आश्रितों को मिलने वाली सहायता राशि को सुगम बनवाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को समय समय पर सुझाव भेजे, आरटीआई लगाई. जिसके बाद राजस्थान सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर न्यू सिलिकोसिस पोर्टल शुरू किया हैं,नई गाइडलाइन में पूर्व हमारे द्वारा भेजे गए सुझावों को शामिल किया हैं.
नई गाइडलाइन में अब सर्टिफिकेट बनबाने के लिए सीएचसी स्तर पर सिंगल चिकित्सक से प्रमाण पत्र बन सकेगा. जिससे पीड़ित को दलालों से छुटकारा मिल जाएगा. पीड़ित मजदूर की परेशानी को देखते हुए अब राजस्थान सरकार ने सिलिकोसिस प्रमाण पत्र की पुरानी जिला स्तर की त्रिस्तरीय बोर्ड को खत्म कर सीएचसी स्तर पर सिंगल चिकित्सक के जरिए प्रमाणिकता की प्रकिया लागू कर दी. अब पीड़ित मजदूर को ऑनलाइन आवेदन करने के बाद उसकी नजदीकी सीएचसी पर सक्षम चिकित्सा अधिकारी, एमडी, मेडिसिन या टीबी रेस्पिरेटरी उपलब्ध होगा,वहां पर चिकित्सकीय परीक्षण के लिए सूचना आवेदक को एसएमएस द्वारा दी जाएगी. जांच के लिए सीएचसी पर तैनात चिकित्सा अधिकारी,एमडी,मेडिसिन या टीबी रेस्पिरेटरी अधिकृत होंगे.
अगर जांच में प्रारंभिक लक्षण दिखाई दिए तो सिलिकोसिस बीमारी का प्रमाण पत्र निर्धारित समय सीमा सात दिवस में किया जाएगा. इसके बाद पीड़ित मजदूर सीधा ई-मित्र प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकेगा. आवेदक के सिलिकोसिस प्रमाणीकरण पश्चात और मृत्यु उपरांत डेथ सर्टीफिकेट की सूचना पहचान पोर्टल से जन आधार पर अपडेशन के आधार पर आवेदन सिलिकोसिस पोर्टल द्वारा ऑटो अप्रूवल होकर ऑटो सैंक्शन हो जाएगी. इससे पूर्व व्यवस्था में जिला स्तर पर नॉडल अधिकारी से वेरीफाई के बाद प्रत्येक केस कई महीनों से अप्रूवल और सैंक्शन के लिए निःशक्त विशेष योग्य जन आयोग, जयपुर के पास पेंडिंग पड़ा रहता है.अब पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया है. न्यू सिलिकोसिस पोर्टल के माध्यम से अब सिलिकोसिस बीमारी का प्रमाण पत्र प्राप्त होते ही ऑटो स्वीकृति के माध्यम से पीड़ित मजदूरों और उनके परिवारों को सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में डी.बी.टी.के माध्यम से हस्तांतरित की जा सकेगी.
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