वसुंधरा राजे की सियासी वापसी की चर्चा, क्या राजस्थान में बनेगा नया समीकरण?

वसुंधरा राजे राजस्थान की सियासत में वापसी कर रही हैं. आरएसएस और पीएम मोदी से उनकी नजदीकियां बढ़ी हैं. कैबिनेट विस्तार में उनके समर्थकों को जगह मिल सकती है. भजन लाल शर्मा की सादगी उनकी ताकत है, लेकिन उन्हें जनता के मुद्दों पर फोकस करना होगा.

Vasundhara Raje
Vasundhara Raje

शरत कुमार

03 Oct 2025 (अपडेटेड: 03 Oct 2025, 04:34 PM)

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राजस्थान की सियासत में एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सक्रिय होने की खबरें सुर्खियों में हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वसुंधरा राजे अपने 'राजनीतिक वनवास' से बाहर निकल रही हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी बातचीत तेज हो गई है. सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में जल्द ही कैबिनेट विस्तार होने वाला है, जिसके लिए दिवाली तक का समय तय किया गया है. इस बीच, वसुंधरा के समर्थकों में उत्साह है और वे दावा कर रहे हैं कि दिसंबर तक उनकी नेता की सियासी पारी में नया मोड़ आएगा.

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वसुंधरा का बढ़ता प्रभाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरएसएस के बड़े नेता वसुंधरा राजे को खास तवज्जो दे रहे हैं. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हाल ही में बांसवाड़ा दौरे के दौरान उनसे खास तौर पर मिले.

सूत्रों का दावा है कि वसुंधरा का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि उनकी राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम भूमिका की चर्चा हो रही है. कुछ लोग उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए भी संभावित उम्मीदवार मान रहे हैं.

हालांकि, कुछ जानकारों ने जोधपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ उनकी कथित 30 मिनट की मुलाकात की खबर को खारिज किया है. फिर भी, इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि यह अखबार अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है.

कैबिनेट विस्तार की उम्मीदें

वसुंधरा के समर्थकों का मानना है कि अगर वह मुख्यमंत्री नहीं भी बनतीं तो भी उनके कई समर्थक मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं. इसके अलावा, एक समन्वय समिति बनाए जाने की भी चर्चा है, जिसमें वसुंधरा का प्रभाव साफ दिखेगा. उनके आसपास समर्थकों की भीड़ फिर से जुटने लगी है, जो उनके बढ़ते सियासी कद का संकेत दे रही है.

भजन लाल शर्मा के नेतृत्व पर सवाल

दूसरी ओर, वर्तमान मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे हैं. उनके स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें चल रही हैं. कुछ लोग उनके अनाज न खाने की बात को लेकर मजाक उड़ा रहे हैं. हालांकि, उनके करीबियों का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने अनाज का सेवन कम किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे पूरी तरह भोजन छोड़ चुके हैं.

भजन लाल शर्मा की सादगी और आम आदमी से जुड़ाव उनकी ताकत मानी जाती है. हाल ही में एक बच्ची के साथ उनकी मुलाकात और उसे मंच पर बुलाने का वाकया खूब चर्चा में रहा. लेकिन कुछ लोग इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली की नकल मान रहे हैं.

आम आदमी का सीएम बनने की सलाह

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भजन लाल शर्मा को मोदी की शैली की नकल करने के बजाय अपनी खासियत पर ध्यान देना चाहिए. उनकी ताकत उनकी सादगी और जनता से सीधा जुड़ाव है. अगर वे आम आदमी के मुद्दों, जैसे पानी, बिजली और रोजगार, पर ध्यान दें तो उनकी स्थिति और मजबूत हो सकती है.

हाल ही में 23,000 करोड़ रुपये की लागत से ईआरसीपी परियोजना का टेंडर पास हुआ है, जो राजस्थान के लिए बड़ा कदम है. अगर शर्मा सरकार इस दिशा में ठोस काम कर पाती है तो उनके लिए सियासी चुनौतियां कम हो सकती हैं.

आगे क्या होगा?

इन सबके बीच, सरकार के विकास कार्यों पर भी जोर है. 23,000 करोड़ रुपये के ईआरसीपी (ERCP) टेंडर का पास होना, साथ ही पानी, बिजली और रोज़गार देने पर बड़े पैमाने पर हो रहा काम, मुख्यमंत्री शर्मा के लिए बड़ी उपलब्धि साबित हो सकता है. यदि इन तीनों मोर्चों पर सफलता मिलती है, तो भजनलाल शर्मा को हटाने का सपना देखने वाले विरोधियों के लिए राह मुश्किल होगी.

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