Elvish Yadav Escort Case Controversy Jaipur: राजस्थान की राजधानी जयपुर में यूट्यूबर एल्विश यादव और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बेटे से जुड़ा एक वीडियो विवादों में घिर गया है. इस वीडियो में दावा किया गया कि एल्विश यादव को पुलिस एस्कॉर्ट दी गई थी. हालांकि, जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने इस दावे को गलत और गुमराह करने वाला करार दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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पुलिस कमिश्नर का बयान: सुरक्षा देने का कोई आदेश नहीं
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने मंगलवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि एल्विश यादव को राजस्थान पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक सुरक्षा नहीं दी गई थी. उन्होंने बताया कि वायरल हो रहा वीडियो पुराना है और इसे तोड़-मरोड़कर गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है. पुलिस कमिश्नर ने इसे एक सुनियोजित दुष्प्रचार बताते हुए कहा कि जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कैसे फैला भ्रम?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एल्विश यादव ने अपनी गाड़ी को पुलिस वाहन के पीछे चलाकर यह बताने का प्रयास किया कि उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जा रही है. एडिशनल कमिश्नर रामेश्वर सिंह ने बताया कि आधिकारिक सुरक्षा केवल विशेष अनुमति के बाद दी जाती है और इसके लिए अलग से निर्धारित एस्कॉर्ट वाहन होते हैं, एस्कॉर्ट में 112 वाहन नहीं होते हैं.
पुलिस की छवि खराब करने की कोशिश?
पुलिस का कहना है कि यह वीडियो एक सोची-समझी साजिश के तहत जारी किया गया, ताकि जनता के बीच गलत संदेश जाए और पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचे. जयपुर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एल्विश यादव और उनके साथ मौजूद पूर्व मंत्री के बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर ली है.
पूरा मामला क्या है?
8 फरवरी को एल्विश यादव जयपुर में एक म्यूजिक वीडियो रिकॉर्डिंग के सिलसिले में आए थे. इस दौरान उन्होंने एक व्लॉग रिकॉर्ड किया, जिसे 10 फरवरी को उनके यूट्यूब चैनल ‘एल्विश यादव व्लॉग्स’ पर अपलोड किया गया. इस वीडियो में उनकी कार के आगे-पीछे पुलिस की चेतक और 112 नंबर की गाड़ियां चलती हुई नजर आईं, वीडियो में बताया कि उन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान की गई थी. हालांकि, पुलिस ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया.
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
जयपुर पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अगर यह साबित होता है कि वीडियो के जरिए जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई, तो संबंधित लोगों पर सख्त धाराओं में मामला दर्ज किया जाएगा
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