Ethanol Policy Bhupender Yadav statement: 'अब तो इतना इथेनॉल हो गया है… कि सब घाटे में हैं', ये शब्द किसी विपक्षी नेता के नहीं है. ये बयान है केंद्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का. और ये बात कही गई है संसद भवन के भीतर. वो भी तब, जब सामने राजस्थान के कांग्रेस सांसद बैठे हैं. अब सवाल सिर्फ एक बयान का नहीं है, सवाल है सरकार की नीति, नीयत और विरोधाभास का. अब जरा सोचिए अगर केन्द्र सरकार का ही पर्यावरण मंत्री ये कह रहा है तो फिर असली कहानी क्या है?
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मंगलवार को राजस्थान के कांग्रेस सांसदों और विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से मिलने उनके मंत्रालय पहुंचा था. मुलाकात सामान्य थी…बातचीत भी औपचारिक चल रही थी. लेकिन इसी बातचीत के बीच एक वाक्य कैमरे में कैद हो गया और वही वाक्य अब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है.
वायरल वीडियो में नजर आते हैं श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ से सांसद कुलदीप इंदौरा, चूरू से राहुल कस्वां, झुंझुनू से विजेंद्र ओला, भरतपुर सांसद संजना जाटव और सीकर से अमराराम और इन्हीं के सामने भूपेंद्र यादव कहते हैं अब तो इतना इथेनॉल हो गया है कि सब घाटे में हैं…
आप वायरल वीडियो देखिए
अब सवाल सीधा है, जब देश में इथेनॉल की भरमार है, जब खुद मंत्री मान रहे हैं कि घाटा हो रहा है तो फिर हनुमानगढ़ के टिब्बी में इथेनॉल फैक्ट्री क्यों? एक तरफ बीजेपी सरकार टिब्बी में इथेनॉल फैक्ट्री लगाने पर अड़ी है, दूसरी तरफ किसान कह रहे हैं हमारा पानी खत्म हो जाएगा. हमारी खेती तबाह हो जाएगी. कांग्रेस भी किसानों का समर्थन कर रही है तो सवाल उठता है क्या ये फैक्ट्री जरूरत है या फिर किसी खास फायदे की योजना? क्योंकि अगर इथेनॉल से घाटा हो रहा है तो नई फैक्ट्री लगाने का तर्क क्या है?
सबसे बड़ा सवाल यही है क्या भूपेंद्र यादव वो बात कह गए जो कहनी नहीं थी? क्या वो भी मानते हैं कि अब इथेनॉल प्रोजेक्ट्स पर ब्रेक लगना चाहिए? या फिर सरकार की नीति से असहमत होते हुए भी खुलकर बोल नहीं पा रहे? क्योंकि अगर मंत्री खुद कह रहे हैं कि इथेनॉल से घाटा हो रहा है, तो फिर नई फैक्ट्री का मतलब क्या है?
किसानों की जमीन पर पानी के संकट वाले इलाके में ऐसी परियोजना जिस पर खुद सरकार के मंत्री सवाल खड़े कर रहे हों? अब क्या कांग्रेस इस इसी बयान को हथियार बना सकती है. अब लोग भी यही सवाल कर रहे हैं कि जब इतना इथेनॉल हो चुका है तो बीजेपी किसके फायदे के लिए ये फैक्ट्री लगाना चाहती है? क्या भूपेंद्र यादव का ये बयान टिब्बी इथेनॉल फैक्ट्री पर सबसे बड़ा सवाल बन जाएगा?
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