जयपुर के कई इलाकों में दो दिनों से दहशत फैला रहे तेंदुए को आखिरकार शुक्रवार देर रात पकड़ लिया गया. यह जंगली जानवर एक रिहायशी कॉलोनी में बनी दुकान में घुस गया था.
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दुकान मालिक ने हालात समझते ही शटर गिरा दिया, जिससे तेंदुआ अंदर ही फंस गया. इसके बाद उसने पुलिस और वन विभाग को इसकी सूचना दी. रात करीब 11 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ और तीन घंटे बाद तेंदुए को सुरक्षित ट्रैंक्विलाइज कर बाहर निकाला गया.
दो दिन से कई इलाकों में दिखा तेंदुआ
वन विभाग के अनुसार तेंदुआ सबसे पहले गुरुवार सुबह शास्त्री नगर और उससे पहले मंगलवार रात विद्याधर नगर इलाके में दिखाई दिया था. CCTV फुटेज में यह कल्याण कॉलोनी की सड़क पार करते और बाद में सीकर हाउस के पास एक छत पर चलता हुआ नजर आया. इसके बाद खतरनाक जानवर की तलाश तेज कर दी गई.
लोगों में दहशत, घरों से बाहर निकलना बंद
तेंदुआ देखे जाने के बाद आसपास के क्षेत्रों में लोगों में घबराहट फैल गई. कई लोग पूरी रात घरों में ही बंद रहे. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीमों ने शास्त्री नगर, नेहरू नगर और विद्याधर नगर के आसपास लगातार सर्च अभियान चलाया, लेकिन जानवर का पता शुरू में नहीं चल सका.
विद्याधर नगर में बछड़ा मिला मृत
स्थानीय निवासियों ने बताया कि मंगलवार रात कुत्ते लगातार भौंकते रहे और अगली सुबह इलाके में एक बछड़ा मृत मिला. CCTV फुटेज से पुष्टि हुई की यह तेंदुआ ही था, जो लगातार कई जगह घूम रहा था.
हाल में बार-बार दिख रहे तेंदुए
पिछले सप्ताह भी एक तेंदुआ जयपुर के हाई-सिक्योरिटी सिविल लाइंस क्षेत्र में घुस गया था. तेंदुए की मूवमेंट सचिन पायलट, एक मंत्री के बंगले और बाद में एक स्कूल तक देखी गई थी. तब भी उसे ट्रैंक्विलाइज कर पकड़ा गया था.
नाहरगढ़ और झालाना जंगल से आता है मूवमेंट
जयपुर में झालाना और नाहरगढ़ के जंगल तेंदुओं के दो बड़े ठिकाने माने जाते हैं, जहां इनकी अच्छी-खासी आबादी मौजूद है. अधिकारियों का मानना है कि पकड़ा गया तेंदुआ भी नाहरगढ़ जंगल के पास के इलाके से भटक कर आया होगा.
शहर के कई इलाकों में बढ़ी आवाजाही
जगतपुरा, मालवीय नगर, विद्याधर नगर, शास्त्री नगर और जयसिंहपुरा जैसे क्षेत्रों में हाल के वर्षों में तेंदुओं के मूवमेंट में तेजी आई है. राजस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस, लालकोटी और स्मृति वन में भी तेंदुओं की मौजूदगी देखी गई, जिनके कारण उस समय कई दिनों तक एरिया बंद करना पड़ा था.
एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, "आसानी से मिलने वाला खाना और जंगलों पर पड़ता शहरी दबाव तेंदुओं को इंसानी बस्तियों के करीब ले आता है."
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