धनकड़ के असर को सत्यपाल मलिक से बैलेंस करेगी कांग्रेस! इस तस्वीर के क्या है मायने? जानें

Ashok gehlot and satypal malik meeting: राजस्थान (rajasthan news) की वीर भूमि इस समय चुनावी सरगर्मियों से तपी हुई है. सभी राजनीतिक दल अपनी शतरंजी चाल चलने के लिए हर मोहरे का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे समय में दो बड़े नामों की चर्चा इन दिनों काफी हो रही है. पहला नाम देश के उपराष्ट्रपति […]

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अक्षय शर्मा

02 Oct 2023 (अपडेटेड: 02 Oct 2023, 03:58 PM)

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Ashok gehlot and satypal malik meeting: राजस्थान (rajasthan news) की वीर भूमि इस समय चुनावी सरगर्मियों से तपी हुई है. सभी राजनीतिक दल अपनी शतरंजी चाल चलने के लिए हर मोहरे का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे समय में दो बड़े नामों की चर्चा इन दिनों काफी हो रही है. पहला नाम देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (jagdeep dhankar) और दूसरा जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (satyapal malik) का. जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दोनों व्यक्तियों की भागीदारी राजस्थान के कार्यक्रमों में काफी बढ़ गई है.

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पिछले कुछ महीनो में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान में कई कार्यक्रमों में शिरकत की है. हालांकि उनका कोई भी कार्यक्रम राजनीतिक नही था. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों एक टिप्पणी करते कहा कि चुनाव के किसी भी नेता को भेजो, बस उपराष्ट्रपति को मत भेजो. इसके बाद तो मानो प्रदेश की राजनीति में भूचाल सा आ गया.

वहीं, अब पूर्व राज्यपाल मलिक भी राज्य में काफी सक्रिय हैं और लगातार सभाएं कर मोदी सरकार को घेरने का काम करते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी सत्यपाल मलिक को बीजेपी की केंद्र सरकार ने ही राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण दायित्व की जिम्मेदारी सौंपी थी. अब उनकी एक तस्वीर गहलोत के साथ नजर आई है, जिसे खुद गहलोत ने ही ट्वीट किया. इसमे वह पूर्व राज्यपाल के साथ दिख रहे हैं. अब इस ट्वीट के बाद मायने यह भी निकाले जा रहे हैं कि यह मुलाकात क्या जाट वोट को कांग्रेस के खेमे में लाने के उद्देश्य से हुई है.

ऐसे समझिए जाट पॉलिटिक्स के मायने

दरअसल, राजस्थान में जाट पॉलिटिक्स काफी अहम है. अनुमानित तौर पर जाट समाज की हिस्सेदारी प्रदेश में 10 से 12 फीसदी तक है. राजस्थान में सीकर, झुंझुनूं, नीम का थाना, नागौर, डीडवाना- कुचामन, जोधपुर जोधपुर ग्रामीण, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, चितौड़गढ़, बाड़मेर, भरतपुर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़, गंगानगर, बीकानेर, टोंक, अजमेर, दूदू, ब्यावर, केकड़ी, चूरू, बालोतरा, धौलपुर जिलों में जाट समाज चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने का दमखम रखता है.

पिछले चुनाव में ये रही स्थिति

राजस्थान विधानसभा में औसतन 20% विधायक जाट जाति के होते हैं, यहां कुल 200 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 30 से 40 विधानसभा सीटों पर जाट जाति का कैंडिडेट चुनाव जीत जाता है. वहीं, अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो जाट समुदाय के 34 विधायक जीत कर आए. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 और बीजेपी ने 29 टिकट जाट समुदाय के लोगों को टिकट दिए.

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