‘पहले टर्म में मेरी योजना ऐसी थी कि कइयों ने गेहूं बेचकर शादी तक कर ली’- मुख्यमंत्री गहलोत

Gehlot’s Interview: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पिछली सरकार के कामकाज का बखान करते हुए कहा कि पहले टर्म में मेरी योजना ऐसी थी कि कइयों ने गेहूं बेचकर शादी तक कर ली. साथ ही कहा कि मैंने मिशन-156 का लक्ष्य लिया है. सीएम ने बयान दिया कि मेरा पहला टर्म 5 साल का था. […]

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राजस्थान तक

08 Jun 2023 (अपडेटेड: 08 Jun 2023, 10:15 AM)

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Gehlot’s Interview: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पिछली सरकार के कामकाज का बखान करते हुए कहा कि पहले टर्म में मेरी योजना ऐसी थी कि कइयों ने गेहूं बेचकर शादी तक कर ली. साथ ही कहा कि मैंने मिशन-156 का लक्ष्य लिया है. सीएम ने बयान दिया कि मेरा पहला टर्म 5 साल का था. उस दौरान 4 साल का अकाल और सूखा पड़ा था. तब अटल बिहारी वाजपेयी पीएम थे. उस दौरान उनसे काफई सहयोग मिला.

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सीएम ने कहा कि जो मैनेजमेंट मैंने अकाल और सूखे का किया, कोई सोच भी नहीं सकता. काम के बदले अनाज योजना के तहत इतना गेहूं जमा हो गया कि रखने की जगह नहीं थी. कईयों ने तो गेहूं बेचकर शादी भी की. इतना शानदार मैंने मैनेजमेंट किया. फिर भी चुनाव हार गए. कर्मचारियों की हड़ताल हो गई और 64 डेज नो वर्क नो पे रखा.

‘दी लल्लनटॉप’ को दिए एक इंटरव्यू में गहलोत ने कहा कि तब एक गलती मुझसे हुई और हम चुनाव हार गए. साथ ही उन्होंने वसुंधरा राजे से अपने रिश्ते के सवाल पर भी जबाव दिया. उन्होंने कहा कि हम 2003 में चुनाव हारे. साल 2013 में भी वसुंधरा राजे का शपथग्रहण समारोह हुआ था. मैं तो दोनों समारोह में गया हूं. सीएम के मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जब ये पब्लिक प्रोग्राम करते हैं तो 2 इंच छोड़कर टेक्नकल स्टेज बनाते हैं.

बीजेपी नेताओं को मुझे लेने के लिए आना पड़ा
इस दौरान साल 2003 का वाकया याद करते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद जब मैं गया तो मंच से अनाउंसमेंट किया गया. हजारों की भीड़ थी और तालियां बजाई तो बीजेपी के नेताओं को मुझे लेने के लिए आना पड़ा. उन्होंने बड़प्पन दिखाया. मैंने उनको कहा कि प्लीज मैं यहीं बैठा हुआ हूं.

जब दूसरी बार शपथ ग्रहण हुआ. तब भी जो रिस्पॉन्स मिला. किसी ने गले लगाया तो किसी ने हाथ मिलाया. भैरोसिंह शेखावत 3 बार सीएम बने और तब मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था. वो अपना फर्ज निभा रहे थे और मैं अपना. शाम को शादी ब्याह के अंदर वो जा रहे होते तो अवश्य ही मिलकर जाते थे. ये परंपरा आजादी के बाद से राजस्थान की रही है.

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