Rajasthan Assembly Election 2023: एआइएमआइएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) राजस्थान में लगातार सभाएं करते नजर आ रहे हैं. राजस्थान में 40 ऐसी सीट हैं. जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा है. 2018 के चुनाव में इन सीटों में से 29 सीट पर कांग्रेस (Congress) ने सीट दर्ज कराई थी. तो इस बार विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी प्रदेश में सक्रिय नजर आ रहे हैं. साथ ही कांग्रेस सरकार पर भी जमकर हमला बोल रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है की क्या राजस्थान के मुस्लिम वोटरों पर ओवैसी का जादू चल पाएगा या यूपी विधानसभा चुनाव की तरह कुछ वोट प्रतिशत पर ओवैसी की पार्टी को संतुष्ट रहना होगा.
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राजस्थान में चुनावी घमासान के बीच कांग्रेस, भाजपा, बसपा, आरएलपी, एआइएमआइएम सभी पार्टियों प्रत्याशियों को लुभाने में लगी है. तो बीजेपी व कांग्रेस की तरफ से पूरी ताकत झोंकी जा रही है. कांग्रेस गहलोत सरकार के काम और योजनाओं के बल पर लोगों से संपर्क साथ रही है. तो भाजपा नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के कामकाज पर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने की अपील कर रही है. नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर है इसलिए वह लगातार राजस्थान का दौरा कर रहे हैं. इन सब के बीच वोट बैंक की राजनीति भी जारी है. सभी नेता जातिगत वोट बैंक के आधार पर वोटरों को अपनी और करने में लगे हैं. तो राजस्थान में मुस्लिम वर्ग बड़ा वोट बैंक है.
40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम समुदाय निर्णायक
प्रदेश में करीब 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम समुदाय निर्णायक रूप में रहता है. साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटों में से लगभग 29 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी. जबकि भाजपा ने 7 और अन्य 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. सीटों की बात करें तो राजस्थान में टोंक शहर, कामा, तिजारा, सीकर, हवा महल, किशनपुर, आदर्श नगर, कोटा उत्तर, सवाई माधोपुर, रामगढ़, सिटी प्रमुख सीट हैं. इन सीटों पर आमतौर पर 15 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतरते रहे हैं. ऐसे में इस बार असदुद्दीन ओवैसी राजस्थान में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. लगातार सभाएं कर रहे हैं व गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोल रहे हैं. ओवैसी व उनकी पार्टी राजस्थान की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दावा कर रहे हैं. देखना होगा कि उनका दावा कितना सही रहता है.
यूपी चुनाव में नहीं मिली सफलता
इस तरह का दावा वो पहले भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 403 सीट हैं. इसमें से महज 95 सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे, तो पार्टी का वोट शेयर 0.49 प्रतिशत था. यह प्रतिशत नोटा से भी काम था. जबकि दक्षिणी राज्य में 224 सीट में पर उन्होंने चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. लेकिन महज 25 सीटों पर उन्होंने उम्मीदवार उतारे थे. जिसमें 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. लेकिन वास्तव में केवल दो सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए गए थे. दोनों सीट पार्टी हार गई और केवल 0.02 प्रतिशत उनका वोट शेयर रहा.
ऐसे में सवाल उठता है क्या राजस्थान विधानसभा चुनाव में ओवैसी का जादू चल पाएगा. वो मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे या नहीं. क्योंकि अगर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगती है. तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा. ऐसे में कांग्रेस ओवैसी पर हमला बोल रही है. तो ओवैसी की पार्टी और खुद ओवैसी कांग्रेस सरकार के काम पर सवाल उठा रहे हैं.
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