Rajasthan CM Bhajanlal Sharma: राजस्थान में पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा (Rajasthan CM Bhajanlal Sharma) को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने चौंका दिया. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पूरी तरह से दरकिनार कर एमपी-छत्तीसगढ़ वाला फॉर्मूले ही राजस्थान में भी अपनाया गया और एक सरप्राइज फेस सीएम के तौर पर दे दिया गया. यह भी हर किसी ने देखा कि नए सीएम के तौर पर भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान ने ना सिर्फ पार्टी को, बल्कि वसुंधरा राजे को भी चौंका दिया. खुद प्रस्तावक बनी राजे ने जब भजनलाल के नाम का प्रस्ताव रखा तो कुछ समय के लिए विधायक दल की बैठक में सन्नाटा छा गया. पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह ने तब विधायकों से कहा कि कोई और भी नाम हो तो विधायक बता सकते हैं. लेकिन विधायकों की चुप्पी के बीच 15 मिनट के भीतर ही नए मुख्यमंत्री का चयन हो गया.
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3 दिसंबर को नतीजे घोषित होने के बाद से अब तक राजे समेत करीब दर्जनभर चेहरों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन सेहरा सजा तो भजनलाल शर्मा के सिर पर. उनकी ताजपोशी की कहानी दिल्ली में लिखी गई थी.
टिकट देने के साथ ही लिखी जा रही थी स्क्रिप्ट!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी स्क्रिप्ट लिखी. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी की सुरक्षित सीट सांगानेर विधानसभा से अशोक लाहोटी का टिकट काट दिया गया और यहां से मैदान में भजनलाल शर्मा को उतारा गया. उम्मीदवार का यह नाम हर किसी को हैरान करने वाला था. क्योंकि संगठन के सिपाही को सिटिंग विधायक का टिकट काटकर मौका दिया गया था.
रामजन्म भूमि आंदोलन में भी जेल गए थे सीएम शर्मा
भजनलाल सरपंच और पंचायत समिति सदस्य रह चुके हैं. संघ पृष्ठभूमि से आने वाले शर्मा रामजन्म भूमि आंदोलन में भी सक्रिय रहे. ना सिर्फ उन्होंने भाग लिया, बल्कि इस दौरान वह जेल भी गए. पिछले 4 प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल से वह महामंत्री की भूमिका निभा रहे थे. इसकी खास वजह यह भी है कि वह अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के काफी करीबी हैं. कहा जा रहा है कि सीएम के तौर पर वह शाह की ही पसंद थे.
जब सीएम का प्रबल दावेदार ही बन गया प्रस्तावक
खास बात यह भी है कि पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह को हाईकमान का यह संदेश था कि प्रस्तावक वसुंधरा राजे को बनाया जाए यानी जो कल तक सीएम पद का ख्बाब देख रही थीं, उसी नेता को विधायक दल चुने जाने के लिए प्रस्तावक बना दिया गया. इसकी खास वजह संभावित तौर पर यह भी है कि राजनाथ सिंह ने जयपुर पहुंचते ही वसुंधरा से चर्चा की तो उनकी कुछ बड़े नामों पर सहमति नहीं थीं. हालांकि भजनलाल शर्मा के नाम पर वसुंधरा ने आपत्ति नहीं की. साथ ही उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को उनका करीबी माना जाता है.
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