राजस्थान में सरकारी दफ्तरों, मदरसों में अब रोज होगा 'वंदे मातरम' गायन, शिक्षा मंत्री का बड़ा ऐलान

राजस्थान सरकार ने सभी सरकारी दफ्तरों और मदरसों में रोज 'वंदे मातरम' गाना अनिवार्य कर दिया है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने यह घोषणा 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में "देशभक्ति वर्ष" के तहत की है.

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न्यूज तक डेस्क

• 06:57 AM • 06 Nov 2025

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राजस्थान सरकार ने 'वंदे मातरम' को लेकर बड़ा फैसला लिया है, इसको लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने ऐलान किया है कि अब प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में रोजाना 'वंदे मातरम' गाया जाएगा, साथ ही मदरसों में भी 'वंदे मातरम' को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जो भी संस्थान राजस्थान सरकार का हिस्सा हैं, उनमें वंदे मातरम जरूर गाया जाएगा.

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यह फैसला उस समय लिया गया है, जब 7 नवंबर को 'वंदे मातरम' गीत के 150 साल पूरे होने जा रहे हैं. राजस्थान सरकार इसे “देशभक्ति वर्ष” के रूप में मनाने की तैयारी में है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है, जो हर नागरिक के हृदय में देशप्रेम जगाती है. इस फैसले के तहत अब राज्य के सभी सरकारी संस्थानों में भी वंदे मातरम का गायन अनिवार्य किया जाएगा. मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार के अधीन आने वाले हर संस्थान में यह नियम लागू होगा, चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज या मदरसा.

नीरजा मोदी स्कूल केस पर भी बोले 

शिक्षा मंत्री ने नीरजा मोदी स्कूल में छात्रा की आत्महत्या के मामले पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है, लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्यवाही की जाएगी. मंत्री ने बताया कि केंद्र की सीबीएसई टीम और राज्य सरकार की जांच टीम दोनों जांच कर रही हैं और राज्य टीम को रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की कोई लिखित जानकारी नहीं है कि स्कूल प्रबंधन ने जांच टीम को भीतर जाने से रोका था.

शिक्षा विभाग करेगा कम छात्रों वाले स्कूलों का विलय

इसके अलावा राजस्थान का शिक्षा विभाग अब कम विद्यार्थी वाले स्कूलों के विलय की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस साल 449 स्कूलों का मर्ज किया जा चुका है और अगले साल 312 और स्कूलों का विलय किया जाएगा. इनमें 25 से कम विद्यार्थियों वाले 155 उच्च माध्यमिक विद्यालय, और 5 या उससे कम नामांकन वाले 157 प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं. दो साल के प्रयासों के बाद भी इन स्कूलों में नामांकन नहीं बढ़ा, इसलिए इन्हें नजदीकी स्कूलों में मिलाया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को ज्यादा दूरी तय न करनी पड़े. सर्वे जारी है और प्रक्रिया अगले वर्ष की शुरुआत तक पूरी हो जाएगी.

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