Rajasthan: राजस्थान के गावों में बनती है भारत की सबसे महंगी सब्जी, फाइव स्टार होटल तक होती है डिमांड

राजस्थान में उगने वाली केर-सांगरी के दाम सुन उड़ जाएंगे आपके होश, गांवों और शहर की शादियों में यदि ये सब्जी न बने तो स्टेटस डाऊन माना जाता है.

NewsTak

राजस्थान तक

10 Apr 2024 (अपडेटेड: 18 May 2024, 03:18 PM)

follow google news

राजस्थान (Rajasthan news) में एक ऐसी सब्जी (Rajasthani cuisine) गांवों और शहरों में बनती है जिसे मारवाड़ का मेवा कहा जाता है. इस सब्जी का दाम इतना ज्यादा है कि काजू-बादाम कर रेट भी इसके आगे पानी भरता है. राजस्थान आए और केर-सांगरी न खाया तो क्या खाया. इस सब्जी की मांग फाइव स्टार होटल्स तक भी होती है. 

Read more!

चूरू के ढांढर गांव में पहुंची द लल्लन टॉप की टीम ने इस खास सब्जी का न केवल स्वाद चखा बल्कि इसकी खासियत को भी जानने की कोशिश की. दरअसल कैर और सांगरी पेड़ों पर लगनी वाली सब्जी है. कैर मटर के दानों जैसी होती है वहीं सांगरी पतली छोटी फली जैसी. हरी और सूखी दोनों प्रकार के सांगरी की सब्जी कैर को मिलाकर बनती है.

दोनों हरी हों तो इनके भाव उतने नहीं होते जितने इनके सूखने के बाद होते हैं. जैसे एक पेड़ से औसतन 20 किलो तक सांगरी निकलती है. जब ये सूख जाती है तो इसका वेट आधे से भी कम होता है. जिससे ये काफी महंगी हो जाती है. हरी सांगरी 150-200 रुपए किलो तक और सूखी सांगरी 1000-1200 रुपए किलो तक मिलती है. वहीं हरी कैर 150-300 तक और सूखी 800 रुपए किलो तक मिलती है. दोनों को मिलाकर सब्जी बनती है. एक किलो सब्जी की कीमत 2500 रुपए तक हो जाती है. 

कड़वी होती है कैर

कैर कड़वी होती है जिसे छांछ में 24-48 घंटे तक भिगोकर इसके कड़वापन को दूर किया जाता है. फिर इसे सांगरी के साथ पकाया जाता है. इसके पकाने में थोड़े बहुत प्याज का इस्तेमाल होता है. गरम मसाले जगह गावों में लोग सूखी कचरी का इस्तेमाल करते हैं. इससे स्वाद भी बढ़ जाता है और ये चीजें यहां के मौसम के हिसाब से शरीर को काफी फायदा भी पहुंचाती हैं. 

छांव में सुखाते हैं इन्हें

कैर-सांगरी और कचरी को तीखी धूप के दौरान छाए में सुखाया जाता है. सीधे धूप में सुखाने पर ये खराब हो जाती हैं. कैर और सांगरी को तोड़ने के लिए एक विशेष प्रकार का औजार होता है जो लंबे डंडे से बंधा होता है. इससे सांगरी की फलियों को काटा जाता है. कैर साल में दो बार पेड़ पर लगती हैं. इसमें पत्ते नहीं बल्कि फल ही फल होते हैं. वहीं सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर लगती है. इसके पत्ते मवेशी और ऊंट बड़े चाव से खाते हैं और लकड़ियां भी जलाने के काम आती हैं. ये पेड़ रेगिस्तान में विषम परिस्थितियों में हरे-भरे रहते हैं और इनके फल यहां के लोगों को विषम परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देते हैं. सांगरी में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है. 

शादियों में स्टेटस सिंबल है कैर-सांगरी

कैर सांगरी की सब्जी राजस्थान की शादियों का स्टेटस सिंबल है. ऐसा माना जाता है कि यदि किसी की शादी में कैर-सांगरी नहीं बनी है तो शादी का आयोजन दमदार नहीं है.

    follow google news