Ranvidra bhati filed nomination: बीजेपी ज्वॉइन करने के सप्ताहभर भीतर के ही रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Bhati) ने शिव विधानसभा (Shiv Assembly) से निर्दलीय नामांकन भर दिया है. पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने दावेदारी पेश की है. जिसके बाद से उनका नामांकन रैली में दिया हुआ भाषण चर्चा में है. दरअसल, समर्थकों को लग रहा था कि भाटी को बीजेपी टिकट देगी. लेकिन पार्टी की चौथी सूची में शिव से भाटी की यह टिकट स्वरूप सिंह खारा को दी गई. जिसके बाद भाटी ने भी पार्टी से बगावत कर ताल ठोंक दी है. नामांकन रैली के दौरान उन्होंने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया.
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नामांकन रैली के दौरान उन्होंने कहा कि अगर मैं ठहर गया तो क्या जवाब दूंगा भांडासर के उन 80 साल के लंगे खानजी को, जिनसे पानी का वादा करके आया था? क्या जवाब दूंगा डगारी गांव के उस बुजुर्ग को जिन्होनें मुझे माला पहनाते हुए कहा था कि तुमने पोस्टर पर मेरे गांव का नाम लिखा?
भाटी ने कहा कि मोडरड़ी के लोगों में विश्वास है कि रवि MLA बनेगा और भारतमाला से एक पतली सड़क हमारे गांव तक भी आएगी. बरसिंगा से लेकर आरंग चोचरा तक के लोगों को मैनें सोलर में स्थानीय लोगों को रोजगार का वादा किया है. अगर आज मैं रुक गया तो क्या जवाब दूंगा थुंबली, गिरल, आकली, तुड़बी के लोगों को, जो 10 मिनट का सफर 1 घंटे में पूरा करते है.
नामांकन में दिखाया दम
रविंद्र भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा. भाटी की रैली में जनसैलाब दिखा. युवा नेता की रैली में युवाओं की भीड़ ज्यादा दिखी.
यहां पढ़िए भाटी का पूरा भाषण
कौन हैं रविंद्र सिंह भाटी?
रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा क्षेत्र में स्थित दुधोड़ा गांव के रहने वाले हैं. पिछले एक साल से भाटी इसी सीट से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुट थे. गत वर्ष रन फॉर रेगिस्तान नाम का मैराथन निकालकर भाटी ने हजारों की संख्या में युवाओं को इकठ्ठा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. भाटी मारवाड़ की सबसे बड़े जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं.
जेएनवीयू वाला इतिहास दोहराने चले भाटी!
रविंद्र सिंह भाटी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में जीत हासिल कर की थी. दिलचस्प बात यह है कि उस दौरान भी उन्हें ABVP से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता भी. गौरतलब है कि वह यूनिवर्सिटी में साल 2016 से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. जब 3 साल बाद चुनाव में उन्होंने दावेदारी जाहिर की तो लेकिन उन्हें ABVP के टिकट नहीं मिला, जिसके कारण इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का सोचा. निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद इन्होंने 1294 वोट से भारी जीत हासिल करके एक रिकॉर्ड बना डाला.
छात्र राजनीति में ही किए कई आंदोलन
रविंद्र सिंह जय नारायण विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के दौरान छात्र हितों से लगाकर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर कई आंदोलन किए. यहां तक कि हजारों युवाओं की भीड़ के साथ गहलोत सरकार के खिलाफ विधानसभा का घेराव भी किया था. इस आंदोलन में भाटी यूनिवर्सिटी की जमीन बचाने में कामयाब भी रहे थे. इसी वजह से भाटी का युवाओं में काफी क्रेज है.
सीएम गहलोत के सामने चुनाव लड़ने का ऑफर
अंदरखाने चर्चा ये भी है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व रविंद्र सिंह भाटी को मुख्यमंत्री के सामने जोधपुर की सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ाने का ऑफर दे चुका है. हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है, इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है. सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर चुके हैं. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी रविंद्र सिंह भाटी को मुख्यमंत्री के अपोजिट चुनाव लड़ा सकती है.
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