Rajasthan: जोधपुर के MDM हॉस्पिटल में हैरान करने वाला मामला, जन्म के 2 घंटे बाद लड़का कैसे बना लड़की?

जोधपुर एमडीएम अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है. प्रसूता राकेश परिवार को बेटी होने की जगह बेटा बताकर दे दिया गया. परिवार ने दो घंटे तक बेटे का जश्न मनाया उसके बाद में बच्चा बदलने का खुलासा हुआ.

 Jodhpur MDM Hospital
Jodhpur MDM Hospital

अशोक शर्मा

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जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में बुधवार को ऐसा मामला हुआ, जिसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाए. एक परिवार को बेटी होने के बावजूद अस्पताल की बाई जी ने जल्दबाजी में कह दिया कि आपके यहां बेटा हुआ है. परिवार खुशी से झूम उठा. घर में थालियां बजाई गईं, रिश्तेदारों को वीडियो कॉल किए गए. सोशल मीडिया पर फोटो तक डाल दिया गया.

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खुशियां मनाई जा रही थी फिर लगा सदमा

राकेश नाम के युवक ने अपने नवजात को सीने से लगाकर दो घंटे तक बेटे की तरह प्यार किया. खुद को दुनिया का सबसे खुश पिता महसूस किया. लेकिन दो घंटे बाद अस्पताल के स्टाफ की ओर से बोला गया कि भाई साहब… गलती हो गई. आपको बेटी हुई है. जो बच्चा आपको दिया था, वह किसी और का है. यह सुनते ही परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई.

'हमें हमारा बच्चा चाहिए'

ये सुनकर परिवार में मायूसी छा गई. राकेश ने कहा, हम बेटी लेने को भी तैयार हैं, बेटा हो तो भी ठीक… पर हमें हमारा बच्चा चाहिए. किसी और का बच्चा हम कैसे पालें? दो घंटे तक जिसे हमने अपने दिल से लगाया, वो किसी और का निकला. ये तो हमारे साथ गलत हुआ है. परिवार ने अस्पताल कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि बाई जी ने बेटा होने की बधाई के नाम पर 500 रुपये भी ले लिए.

अस्पताल में हंगामा, पुलिस तक बुलानी पड़ी

मामला इतना बढ़ा कि अस्पताल में भीड़ जमा हो गई. परिजन रोते हुए सवाल पूछने लगे कि इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है? स्थिति बिगड़ने पर अस्पताल प्रबंधन और पुलिस मौके पर पहुंची. अब डीएनए टेस्ट से पता चलेगा किसका बच्चा किसे मिलेगा.

विवाद शांत कराने के लिए अस्पताल प्रशासन ने तुरंत डीएनए जांच का फैसला किया. दोनों नवजातों और दोनों माताओं के सैंपल लिए गए. अब रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कि असली माता-पिता कौन हैं.

दोनों मांएं अस्पताल में भर्ती

विमला और ममता, दोनों का सीजेरियन हुआ था. दोनों अपने-अपने बच्चों को लेकर आशंकाओं में हैं. विमला का यह पहला बच्चा है, जबकि ममता को पहले से एक बेटी है. दोनों परिवार अब केवल एक बात चाहते हैं. जो बच्चा हमारा है, वही हमें मिले.

अस्पताल ने शुरू की जांच

अस्पताल प्रशासन ने मान लिया कि स्टाफ ने गुड न्यूज देने में जल्दबाजी की गई, जिसके कारण यह गड़बड़ हुई है. एक कमेटी बनाई गई है और आगे ऐसी गलती न हो, इसके लिए नए निर्देश भी जारी किए गए हैं.

पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके

यह कोई पहला मामला नहीं है. जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में भी 2011 में बच्चा बदलने पर सात दिन तक हंगामा चला था. स्टाफ द्वारा बधाई के नाम पर पैसे लेने की परंपरा आज भी जारी है.

अब सभी की नजर डीएनए रिपोर्ट पर है. दोनों परिवारों के लिए ये दो-तीन दिन सबसे मुश्किल हैं. अब अस्पताल में माहौल शांत है, अब रिपोर्ट आने के बाद ही सच सामने आएगा. किसके घर बेटा हुआ और किसके घर बेटी.

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