सियासत में एंट्री के लिए जब भरतपुर पहुंचे राजेश पायलट, वहां अपना नया नाम सुन चौंक पड़े, पढ़ें ये किस्सा

Rajasthan Siasi Kisse: राजस्थान के कद्दावर नेताओं में शुमार सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की प्रदेश की सियासत में एंट्री रोचक तरीके से हुई थी. बात 1980 की है. तब राजेश पायलट वायु सेना की नौकरी को छोड़कर राजनीति में एंट्री लेने के लिए इंदिरा गांधी के पास पहुंचे थे. यहीं से उन्होंने राजनीति […]

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10 Feb 2023 (अपडेटेड: 10 Feb 2023, 09:07 AM)

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Rajasthan Siasi Kisse: राजस्थान के कद्दावर नेताओं में शुमार सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की प्रदेश की सियासत में एंट्री रोचक तरीके से हुई थी. बात 1980 की है. तब राजेश पायलट वायु सेना की नौकरी को छोड़कर राजनीति में एंट्री लेने के लिए इंदिरा गांधी के पास पहुंचे थे. यहीं से उन्होंने राजनीति में कदम रखा और संजय गांधी के कहने पर राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़ने पहुंचे. वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें पहचानने से इनका कर दिया और उनका वो नया नाम बताया जो खुद उन्हें पता नहीं था. राजेश पायलट के जन्मदिन पर पढ़िए सियासी किस्से की इस सीरीज में या रोचक किस्सा…

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1971 के भारत-पाक युद्ध में अपना दम-खम दिखा चुके राजेशवर बिधूड़ी का जन्म 10 फरवरी 1945 को गौतमबुद्ध नगर जिले के वेदपुरा गांव में हुआ था. राजेश्वर बिधूड़ी बड़े हुए तो आजीविका चलाने के लिए दूध बेचने का काम करने लगे. फिर उनका सलेक्शन एयरफोर्स में हो गया और वे पायलट बन गए.

वे दिल्ली के रकाबगंज इलाके में एक रिश्तेदार के यहां रहकर दूध बेचते थे और जब मंत्री बने तो वहीं बंगला अलॉट हुआ जहां वे दूध देने जाते थे. राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट ने उनकी जीवनी ‘राजेश पायलट-अ बायोग्राफी’ लिखी है. उसमें इन बातों का जिक्र किया है. 

वर्ष 1980 में एक दिन राजेश्वर बिधूड़ी इंदिरा गांधी के पास पहुंचे और यूपी के बागपत से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की. ये सुनकर इंदिरा गांधी चौंका गईं. उन्होंने समझाया कि बागपत में चौधरी चरण सिंह चुनाव लड़ते हैं और वहां चुनाव के दौरान हिंसा जैसे रिस्क फैक्टर को भी समझाया. इसपर राजेश्वर बिधूड़ी ने कहा कि वो भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में कई बम गिरा चुके हैं, चुनाव में लाठियां भी खा सकते हैं. 

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संजय गांधी का आया फोन
इंदिरा गांधी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद राजेश्वर बिधूड़ी के पास संजय गांधी का फोन आया. उन्होंने उनसे राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़ने का मशविरा दिया. भरतपुर यूपी से सटा वो इलाका है जिसके बारे में राजेश्वर बिधूड़ी बहुत ज्यादा कुछ नहीं जानते थे. वे संजय गांधी के कहने पर सीधे भरतपुर पहुंचे. वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा- मैं राजेश विधूड़ी हूं. संजय गांधी ने भेजा है. कार्यकर्ता बोले- हम राजेश्वर बिधूड़ी को नहीं जानते. संजय गांधी ने हमें राजेश पायलट का प्रचार करने के लिए बोला है. इसपर वे चौंक गए. उन्होंने संजय गांधी को फोन मिला दिया.

संजय गांधी ने नाम बदलने का बताया उपाय
तब संजय गांधी ने कचहरी जाकर नाम बदलने का हलफनामा देने को कहा और बोले कि राजेशश्वर बिधूड़ी से अपना नाम राजेश पायलट कर लीजिए. इसके बाद राजेश पायलट नाम बदलकर चुनाव लड़े और राजस्थान की सियासत ही नहीं बल्कि देश की सियासत में मशहूर हो गए.

भरतपुर से पहला चुनाव जीते और वादे भी पूरे किए 
वर्ष 1980 में वे चुनाव जीते और भरतपुर से किए गए वादों को पूरा किया. इसके बाद वे दौसा से लगातार 3 बार चुनाव जीते. वर्ष 1991 में टेलीकॉम मिनिस्टर बने और 1993 में आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार संभाला.

दौसा से विशेष लगाव, वहीं हुआ हादसा
कहते हैं राजेश पायलट का दौसा से विशेष लगाव रहा. दौसा में ही 11 जून 2000 को भंडाना गांव के पास सड़क दुर्घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें आनन-फानन में जयपुर लाया गया जहां सवाईमान सिंह अस्पताल में डॉक्टरों में मत घोषित कर दिया. दौसा में ऐसा मातम पसरा कि उस दिन एक भी घर में चूल्हा नहीं जला. उनकी मृत्यु का समाचार सुनकर पूरा प्रदेश गमगीन हो गया था.

स्क्रीन ग्रैब: सचिन पायलट के ट्वीटर से.

जन्मदिन पर बेटे सचिन ने ट्वीट कही ये बात
पिता राजेश पायलट के जन्मदिन पर बेटे सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा- मेरे पूज्य पिताजी स्व. राजेश पायलट जी की जयंती पर सादर नमन। धरातल से जुड़े रहकर उन्होंने जनभावना को समझा व लोगों के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। वो कहते थे कि “जिन कुर्सियों से नीतियां बनती है, उन पर किसान, गरीब और साधारण परिवार के लोग बैठेंगे, तभी देश का सही मायने में विकास होगा।”

 

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