शिव विधायक (Shiv MLA) रविंद्र सिंह भाटी ने शुक्रवार को विधानसभा में सीमांत इलाकों के गांवों में पानी की किल्लत (Water Crisis) का मुद्दा उठाया. उन्होंने सदन में कहा कि 'उंडे तले रो पानी पीण म्हे ऐथ पूगां हां' (गहरे कुएं का पानी पीकर हम यहां पहुंचे हैं). इसलिए हम मरुस्थल में रहने वाले लोगों से ज्यादा पानी की कीमत कौन जान सकता है.
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शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) ने कहा कि सीमांत इलाकों में आजादी के बाद से लेकर अब तक पानी नहीं पहुंचा है और हम मंगल गृह पर पानी तलाश रहे हैं. धरातल पर स्थितियां कुछ और है.
पुराने पेयजल स्रोतों के संरक्षण के लिए पैकेज की मांग की
सीमांत के गांवों में पेयजल संकट पर बात करते हुए रविंद्र भाटी ने कहा कि मोहनगढ़ लिफ्ट कैनाल से पानी की सप्लाई होती है. वो भी बिजली के अभाव में कई बार ठप्प हो जाती है. केंद्र सरकार ने ईआरसीपी को जिस तरह से मंजूरी दी है, ठीक उसी तरह से नर्मदा और इंदिरा गांधी नहर परियोजना को भी जोड़ा जाए. ताकि पानी की किल्लत का समाधान हो. इसके साथ ही रविंद्र भाटी ने कहा कि पेयजल के स्रोत चाहे वो बावड़ी हो, बेरी हो या गांव के तालाब हो, उनको संरक्षित करने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की जाए. ताकि रेगिस्तानी और डीएनपी जैसे इलाकों में पेयजल किल्लत की समस्या के समाधान के साथ किसान अपनी भूमि में बुवाई कर सकें.
भाटी बोले- मैं 80 साल के बुजुर्गों से वादा करके आया हूं
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि मैं सीमांत बीजावल गांव गया था, जहां बुजुर्ग लोग टंकी के पास बैठकर धरना दे रहे थे. कह रहे थे कि 30 दिन से उनको पानी नहीं मिला. आखिर धरना देने जैसी स्थिति क्यों बनी ? भाटी ने कहा कि हम इस दौर में मंगल गृह पर पानी की तलाश कर रहे हैं, जबकि सैकड़ों गांव आज भी पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. भाटी ने कहा कि मैं बांडासर गांव के 80 साल के बुजुर्ग लोगों से वादा करके आया था कि मैं आपके लिए पानी लेकर आऊंगा. इसलिए आप सीमांत क्षेत्र के गांवों पर थोड़ा विचार करें.
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