शांति धारीवाल के जैसे ही 24 साल पहले भी ये दिग्गज नेता बने थे गहलोत के संकटमोचक, पढ़ें रोचक किस्सा

Siasi Kisse: राजस्थान की सियासत में 25 सितंबर 2022 को जब अशोक गहलोत को सीएम पद से हटाकर कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं चल रही थीं, उसी वक्त गहलोत खेमा आलाकमान से भिड़ गया था. उस दौरान गहलोत खेमे को एकजुट करने में जिन नेताओं ने मुख्य भूमिका निभाई […]

NewsTak

Omprakash Sharma

• 11:55 AM • 14 Feb 2023

follow google news

Siasi Kisse: राजस्थान की सियासत में 25 सितंबर 2022 को जब अशोक गहलोत को सीएम पद से हटाकर कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं चल रही थीं, उसी वक्त गहलोत खेमा आलाकमान से भिड़ गया था. उस दौरान गहलोत खेमे को एकजुट करने में जिन नेताओं ने मुख्य भूमिका निभाई थी उनमें शांति धारीवाल और महेश जोशी का नाम सबसे ऊपर है.

Read more!

ये वही नेता थे जिन्होंने गहलोत की तरफ से पार्टी में बगावत की कमान संभाली थी. ऐसा कहा जाता है कि गहलोत राजनीति के जादूगर माने जाते हैं, लेकिन जब भी उन्हें चाल चलनी होती है वह खुद कभी आगे नहीं दिखते. पार्टी में उनके करीबी नेता ही उनकी तरफ से बगावत की कमान संभालते हैं.

ये कोई पहली बार नहीं था. इससे पहले भी गहलोत साल 1990 में गांधी परिवार के खिलाफ बगावत कर चुके हैं. उस समय उनके संकटमोचक बने थे उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाब सिंह शक्तावत. सियासी किस्से की सीरीज में जानिए कि आखिर वो क्या वजह थी जिसकी वजह से गहलोत को लेना पड़ गया था राजीव गांधी से पंगा?

1989 में भी सभी 25 लोकसभा सीटें हार गई थी कांग्रेस
साल 1989 का दौर था. उस समय राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे शिवचरण माथुर. उसी साल लोकसभा चुनाव भी हुए. कांग्रेस राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटें हार गई. गाज गिरी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गहलोत और मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर पर. दोनों ने इस्तीफा दे दिया. दिया क्या, ले लिया गया, लेकिन दिक्कत ये थी कि राज्य में 4 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव थे. ऐसे में आलाकमान राजीव गांधी ने हरिदेव जोशी को बुलावा भेजा. वह उस समय वे असम के राज्यपाल थे. गहलोत के सामने जोशी ने कहा कि ये मुझे काम नहीं करने देंगे. राजीव गांधी ने कहा कि आप फ्री हैं. जोशी असम की गवर्नरी छोड़ राजस्थान के मुख्यमंत्री मंत्री बन गये. शर्त थी सरकार बनाने की.

2 दिसंबर, 1989 को जोशी विधायक दल के नेता चुन लिए गए. 3 दिसंबर को वे शपथ लेने पहुंचे. इसी शपथ के ठीक पहले राज्यपाल ने उन्हें रोक दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि तब तक बतौर असम राज्यपाल उनका इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर नहीं किया था. महामहिम वेंकटरमण की तरफ कांग्रेसियों ने अपने घोड़े दौड़ाए. शाम तक इस्तीफा स्वीकृत हुआ और फिर 4 दिसंबर 1989 को हरिदेव जोशी सीएम बने.

यह भी पढ़ें: वे लोक कहावतें जिनकी वजह से कभी गरमा गई थी राजस्थान की राजनीति, जानें उनकी कहानी

गुलाब सिंह शक्तावत ने संभाली थी बगावत की कमान
जनवरी 1990 में कड़कड़ाती सर्दी में जोशी ने चन्द्र राज सिंघवी को एक छोटे और अनाम हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. यह बात प्रदेश अध्यक्ष अशोक गहलोत को नागवार गुजरी. उन्होंने अपने समर्थकों के इस्तीफे की झड़ी लगा दी. बगावत के नेता बने तत्कालीन गृहमंत्री गुलाब सिंह शक्तावत. जैसा गहलोत ने कहा उन्होंने बिल्कुल वैसा ही किया. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी विदेश में थे. उनके विदेश से लौटते ही उम्रदराज शक्तावत की पेशी हुई और उनकी क्लास लग गई. गहलोत ने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया. बताया जाता है कि शक्तावत इस बात से बहुत गुस्सा और परेशान थे कि जब आलाकमान की गाज गिरी तो गहलोत ने उन्हें अकेला छोड़ दिया.

गहलोत के काफी खास माने जाते हैं धारीवाल
इतिहास ने फिर करवट ले ली. शक्तावत का जमाना खत्म हो गया तो अब आ गए शांति धारीवाल. धारीवाल भी शक्तावत की तरह ही गहलोत के लिए संकटमोचक बने. धारीवाल ही वह शख्स हैं जिनके घर पर गहलोत खेमे के विधायकों की अनौपचारिक बैठकें हुईं और पायलट को सियासी लड़ाई में पटकनी देने की कोशिशें की गईं. हालांकि इस घटना के बाद गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार नहीं बन पाए, लेकिन वह अपनी सीएम की कुर्सी बचाने में कामयाब रहे. गौरतलब है कि नॉर्थ कोटा की सीट से तीन बार के विधायक शांति सिंह धारीवाल, अशोक गहलोत के सबसे खास मंत्रियों में एक हैं. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि गहलोत सरकार में धारीवाल के पास शहरी विकास, कानून और संसदीय कार्य जैसे भारी भरकम मंत्रालय हैं.

गौरतलब है कि शक्तावत के बेटे गजेंद्र सिंह शक्तावत ने गहलोत के खिलाफ बगावत में पायलट का साथ दिया था. बाद में कोराना की वजह से उनकी मौत हो गई. अब उनकी पत्नी प्रीति शक्तावत विधायक हैं और मेवाड़ में कांग्रेस की धुरी है. प्रीति की गिनती गहलोत खेमे के नेताओं में की जाती है.

यह भी पढ़ें: Valentine’s Day: पढ़ाई के दौरान सारा को दिल दे बैठे पायलट, अब्दुल्ला परिवार के खिलाफ जाकर की थी शादी

    follow google newsfollow whatsapp