Rajasthan: दशहरे पर रावण मारने की पंरापरा हजारों वर्षों से चली आ रही है. लेकिन राजस्थान के झालावाड़ में एक वर्ष में दो बार रावण मारने की पंरापरा मनाई जाती है. एक साल मे दो बार रावण मारने की यह अनोखी परंपरा आज भी कायम है. इस अनोखी परंपरा को चैत्र नवरात्र की दशमी पर राडी के बालाजी जी मंदिर के मैदान में मनाया गया.
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यहां पहले 9 दिनों तक रामकथा चली. उसके बाद अंतिम दिन चैत्र नवरात्र की दशमी पर रावण दहन की प्राचीन परंपरा मनाई गई. इसके अलावा हाड़ौती में रावण दहन की परंपरा कुछ स्थानों पर आज भी कायम है, साथ रावण दहन से पहले राम का विजय जुलूस (शोभायात्रा) निकाला जाता है.
जो शहर के विभिन्न इलाकों से राडी के बालाजी पहुंचती है. शोभायात्रा मे भारी तादाद मे पुलिस जवान तैनात थे. थानाधिकारी चन्द ज्योति शर्मा समेत अन्य अधिकारीगण शामिल रहे. शोभायात्रा के राडी के बालाजी पहुंचने के बाद राम द्वारा रावण दहन किया गया.
माना जाता है की यह 180 वर्ष से अधिक समय से यह परंपरा आज भी चली आ रही है. इसकी शुरूआत महाराजा मदन सिह के समय से मानी जाती है. आज इसे भव्य आयोजन के रूप में मनाया जा रहा है. दहन से पूर्व बालाजी मन्दिर समिति महावीर सेवादल के द्वारा विजयी जुलुस निकाला गया. जूलुस शहर के पंचमुंखी मन्दिर परिसर से पूजा अर्चना के साथ विभिन्न झांकियों के साथ प्रारंभ हुआ. जिसमें पहलवानों ने लट्ट तलवार सहित कई हैरतअंगेज करतब दिखाए.
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